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स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, टीका लगाए जाने के बाद हुई नवजात की मौत - लिंबोदा गांव उज्जैन

उज्जैन जिले के लिंबोदा गांव में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से एक मासूम की मौत हो गई. गांव के सात बच्चों को जीवन रक्षक टीके लगाए गए थे. लेकिन इन बच्चों में से दो दिन बात तीन बच्चों की तबियत बिगड़ गई जिनमें एक की अस्पताल में मौत हो गई. जबकि दो अन्य नवजातों का इलाज जारी है. स्वास्थ्य विभाग की टीम मामले की जांच में जुटी है.

स्वास्थ्य विभाग उज्जैन
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Published : Sep 2, 2019, 7:56 PM IST

उज्जैन। जिले के लिंबोदा गांव से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. जहां सात नवजातों को जीवन रक्षक टीका लगाने के बाद तीन बच्चों की तबियत बिगड़ गई, जिसमें डेढ़ माह के एक मासूम की मौत हो गई. इस घटना के बाद जिले के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. उज्जैन कलेक्टर ने तत्काल मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

उज्जैन में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही

लिंबोदा गांव में सात बच्चों को बीमारियों से बचाव वाले टीके लगाए गए थे. टीकाकरण के दो बाद इनमें से तीन बच्चे की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद सभी को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. जबकि एक नवजात की मौत हो गई. सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी है

गांव में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र पर एमपीडब्ल्यू मुकेश प्रजापति बच्चों को पोलियो, रोटा वायरस, पैंटम, एफआइपीबी, पीसीबी सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाने पहुंचे थे. लेकिन 28-29 अगस्त की रात में यहां पर राजेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति के बेटे अर्थव की अचानक तबियत खराब हो गई. जिसे शाजापुर जिला अस्पताल में जांच के बाद नवजात को मृत घोषित कर दिया गया. जबकि इसी गांव के दो और नवजातों की तबयित खराब है. जिनका इलाज चल रहा है.

उज्जैन। जिले के लिंबोदा गांव से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. जहां सात नवजातों को जीवन रक्षक टीका लगाने के बाद तीन बच्चों की तबियत बिगड़ गई, जिसमें डेढ़ माह के एक मासूम की मौत हो गई. इस घटना के बाद जिले के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. उज्जैन कलेक्टर ने तत्काल मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

उज्जैन में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही

लिंबोदा गांव में सात बच्चों को बीमारियों से बचाव वाले टीके लगाए गए थे. टीकाकरण के दो बाद इनमें से तीन बच्चे की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद सभी को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. जबकि एक नवजात की मौत हो गई. सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी है

गांव में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र पर एमपीडब्ल्यू मुकेश प्रजापति बच्चों को पोलियो, रोटा वायरस, पैंटम, एफआइपीबी, पीसीबी सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाने पहुंचे थे. लेकिन 28-29 अगस्त की रात में यहां पर राजेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति के बेटे अर्थव की अचानक तबियत खराब हो गई. जिसे शाजापुर जिला अस्पताल में जांच के बाद नवजात को मृत घोषित कर दिया गया. जबकि इसी गांव के दो और नवजातों की तबयित खराब है. जिनका इलाज चल रहा है.

Intro:उज्जैन गांव में हुए टीकाकरण के बाद एक नवजात की मौत, दो अन्य बीमार , स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची जांच करने, उज्जैन कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
Body:उज्जैन के पास ग्राम लोम्बोदा में स्वास्थ विभाग की लापरवाही का मामला सामने आया है . नवजात 5 बच्चो को जीवन रक्षक टिके लगाने के बाद तीन बच्चो की तबियत बिगड़ी जिसके बाद डेढ़ माह के अथर्व नामक बच्चे की मौत हो गयी
और दो अन्य जिसमे प्रदीप , और आरोहीत नाम के लड़के को भी टिका लगाने के बाद भी भर्ती कराया था . जिसके बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और आनन् फानन में एक कमिटी बना कर जांच के आदेश दिए है


Conclusion:उज्जैन गांव में प्रतिमाह होने वाले टीकाकरण के तहत ग्राम लिंबोदा में 7 बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाव के टीके लगाए गए थे। टीकाकरण के दो दिन बाद इन 5 में से 3 बच्चों की तबियत बिगड़ गई। जिनका अस्पताल में उपचार कराया गया। वहीं टीकाकरण के दो दिन बाद एक नवजात की मौत हो गई। वन्ही आज एक प्रदीप नाम के बच्चे की शाजापुर अस्पताल से छुट्टी हो जायेगी . सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में जांच करने के लिए पहुंची। गांव में प्रतिमाह के चौथे शुक्रवार को डेढ़ माह से लेकर 16 साल तक के बच्चों को पोलियो, रोटा वायरस, पैंटम, एफआइपीबी, पीसीबी सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाए जाते है। ग्राम लिंबोदा में भी इसी क्रम में टीकाकरण किया जा रहा था एमपीडब्ल्यू दिनेश प्रजापति अपने साथ वैक्सीन सहायक एवीडी मुकेश कुमार को लेकर ग्राम लिंबोदा पहुंचे थे। गांव में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र पर एमपीडब्ल्यू प्रजापति ने कुल 5 बच्चों को टीके लगाए। इसके बाद वे वापस लौट गए। टीका लगने के बाद तो सभी बच्चें स्वस्थ्य थे, लेकिन 28-29 अगस्त की रात में यहां पर बुलबुल पति राजेंद्रसिंह के एक माह के बेटे अर्थव की तबियत खराब हो गई। सुबह जब परिजनों ने को इसकी जानकारी मिली तो वे नवजात को लेकर शाजापुर जिला अस्पताल आ गए। यहां पर जांच के बाद डॉक्टर ने नवजात को मृत घोषित कर दिया। इधर गांव में इसी दिन मोना पति कमल के पुत्र विजय, माया पति शैलेंद्र के नवजात आरोहित और रीना पति राजकुमार के बेटे प्रदीप की भी तबियत बिगड़ गई। इन तीनों बच्चों को भी 27 अगस्त को ही टीके लगाए गए थे।
मामले की जांच के लिए जिला टीकाकरण अधिकारी सहित गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारी भी ग्राम लिम्बोदि पहुंचे थे । जंहा टीम को पता चला की बुलबुल के जिस बेटे अथर्व की मृत्यु हुई है उसे 27 अगस्त को 3 टीके लगाए गए और दो दवाईयां पिलाई गई थी। इसके बाद दो दिन उसे कुछ नहीं हुआ। बाद में 29 अगस्त को उसकी मृत्यु हो गई। मृतक अथर्व के परिवार वाले से फोन पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि बुलबुल अपनी पहली डिलीवरी के लिए अपने मायके आई थी। यहां पर उसने स्वस्थ्य शिशु को जन्म दिया था। परिजनों ने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उसके स्वस्थ्य जीवन के लिए लगाए जा रहे

बाइट --- अनीता बिलवाल ( प्रभारी सीएमएचो )
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