सागर। मिशन 2023 के मद्देनजर बुंदेलखंड जैसे संवेदनशील इलाके में जातीय और वर्गीय ध्रुवीकरण के प्रयास बुंदेलखंड की सामाजिक समरसता का ताना-बाना तो बिगड़ ही रहे हैं. दूसरी तरफ जातिवाद की सियासत में पिछड़े वर्ग के निशाने पर आया ब्राह्मण समुदाय जाति, उपजातियों में बंटे ब्राह्मणों को एकजुट करने की तैयारी कर रहा है. दरअसल, राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते पिछले 2 सालों से बुंदेलखंड में घट रही आपराधिक घटनाओं को जाति और वर्ग की सियासत का रंग दिया जा रहा है. खास बात ये है कि इन घटनाओं के जरिए पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति को इकट्ठा करने की कोशिश की जा रही है. इस कोशिश को अमलीजामा पहनाने के लिए ब्राह्मणों को सॉफ्ट टारगेट के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. व्यक्तिगत विवाद और आपराधिक घटनाएं जातियों से जोड़ी जा रही हैं और उनके जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है. इन हालातों को देखते हुए प्रेम प्रसारणी सनाढ्य सभा ने अपने शताब्दी वर्ष पर ब्राह्मण एकजुटता पर जोर दिया है. सनाढ्य सभा सभी ब्राह्मणों को एक मंच पर लाकर समरसता बढ़ाने पर जोर दे रही है.
वो आपराधिक घटनाएं जिनको दिया सियासी रंग : बुंदेलखंड के पिछले 2 साल का इतिहास उठाकर देखें, तो बुंदेलखंड आपको जातिवाद की आग में धधकता नजर आएगा. दरअसल, सितंबर 2021 और सितंबर 2022 में ऐसी 2 आपराधिक घटनाएं सामने आईं, जो बुंदेलखंड में जातीय और वर्गीय ध्रुवीकरण का कारण बनी. इन घटनाओं के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई और सामाजिक समरसता का ताना-बाना भंग हो गया. अगड़ी और पिछड़ी जातियों ने एकजुटता दिखाकर अपनी सियासी ताकत का एहसास कराने की कोशिश की.
सितंबर 2021 की घटना: सितंबर 2021 में सागर जिला के नरयावली थाना के सेमरा लहरिया गांव में ब्राह्मण लड़की और यादव लड़के के प्रेम प्रसंग के मामले में यादव युवक झुलसा हुआ शादीशुदा ब्राह्मण लड़की के घर पाया गया. ये घटना सामान्य तौर पर प्रेम प्रसंग की घटना थी, लेकिन पृथ्वीपुर में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में यादवों को एकजुट करने के लिए सत्ताधारी दल बीजेपी ने सियासी रंग दे दिया. नतीजा ये हुआ कि यादव और ब्राह्मण आमने सामने आ गए और दोनों ने सागर में अपनी ताकत भी दिखाई. असल फायदा सत्ताधारी दल बीजेपी को हुआ और बीजेपी उप चुनाव जीत गई.
अगस्त-सितंबर 2022 की घटना: अगस्त-सितंबर 2022 में बंडा थाना के खेजराभेड़ा गांव में नाबालिग लोधी समुदाय की लड़की से ब्राह्मण वर्ग के अधेड़ व्यक्ति द्वारा अगवा कर दुष्कर्म की वारदात सामने आई. घटना को लेकर तत्कालीन भाजपा नेता प्रीतम लोधी ने ब्राह्मणों और कथावचक को पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. ब्राह्मण विरोध में उतरे, तो भाजपा ने निष्कासित कर दिया. फिर प्रीतम लोधी ने छोटे-छोटे दलों और ओबीसी- अनुसूचित जाति को एकजुट करने के उद्देश्य से बुंदेलखंड और चंबल में ओबीसी और एससी एसटी एकता के नाम पर शक्ति प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इसे सत्ताधारी दल बीजेपी का प्रयोग माना जा रहा है और ये भी माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अपने लोधी समाज की ताकत का एहसास इस घटना के जरिए कराना चाहती हैं.
समाजवादी नेता रघु ठाकुर ने कर्पूरी ठाकुर की मूर्ति स्थापित कराई: सागर में मधुकर शाह पार्क में समाजवादी नेता रघु ठाकुर द्वारा जननायक कर्पूरी ठाकुर की मूर्ति स्थापित कराई जा रही थी, लेकिन स्थानीय लोग विरोध में उतर आए कि अगर मूर्ति लगाना है,तो सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. गौर या मधुकर शाह की लगाई जाए. जननायक कर्पूरी ठाकुर का मध्य प्रदेश से कोई लेना देना नहीं है. विवाद जब ज्यादा बढ़ा, तो इसे भी सियासी रंग दिया गया. इसके बहाने पिछड़े वर्ग को एकत्रित करने की कोशिश की गई. कहा जा रहा है कि ब्राह्मणों के विरोध के कारण कर्पूरी ठाकुर की मूर्ति नहीं लगाने दी जा रही है.
ओबीसी बनाम ब्राह्मण क्यों : बुंदेलखंड में अगड़ी जातियों में ब्राह्मणों का बोलबाला है. ब्राह्मण संपन्न और उच्च पदों पर आसीन हैं. वहीं पिछड़ी जातियों की संख्या भी काफी ज्यादा है. लोधी, कुर्मी, यादव, कुशवाहा समाज निर्णायक स्थिति में है. 2018 में कांग्रेस ने बुंदेलखंड में लोधी समुदाय के आधा दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. नतीजा ये हुआ था कि लोधी बाहुल्य वाली ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. अब मिशन 2023 को ध्यान रखते हुए सत्ताधारी दल बीजेपी ने जातीय और वर्गीय ध्रुवीकरण को अपनाया है. ध्रुवीकरण के लिए साफ्ट टारगेट के तौर पर ब्राह्मणों का उपयोग किया जा रहा है. ब्राह्मणों को निशाना बनाकर पिछड़े वर्ग की जातियों और अनुसूचित जातियों को एकजुट कर ऐसा समीकरण तैयार करने की कोशिश की जा रही है,जो जीत का फॉर्मूला बने.
सियासी समीकरण देखें ब्राह्मण, एकता पर जोर : सितंबर 2021 में घटी सेमरा लहरिया घटना के बाद ब्राह्मणों ने शक्ति प्रदर्शन कर सरकार को एहसास दिला दिया था कि ब्राह्मणों को हाशिए पर रखकर राजनीति नहीं की जा सकती है, लेकिन सियासी दल को लग रहा है कि ब्राह्मणों को टारगेट कर ओबीसी और अनुसूचित जाति समुदाय को एकजुट किया जा सकता है. फिलहाल की परिस्थितियों में ग्रामीण शांत हैं और सियासी हालातों पर नजर रखे हुए हैं. लेकिन दूसरी तरफ ब्राह्मण समुदाय एकजुटता की ओर ध्यान दे रहा है. दरअसल, ब्राह्मण कई जातियों की जातियों में बंटा हुआ है, ऐसी स्थिति में एकजुटता का अभाव देखने मिलता है. लेकिन अब ब्राह्मण समुदाय को समझ आ रहा है कि एकजुटता ही एक ऐसा तरीका है जो ब्राह्मण समुदाय को अपनाना चाहिए.
प्रेम प्रसारणी सनाढ्य सभा में उठाया बीड़ा : आगामी 9 अक्टूबर को सागर प्रेम प्रसारणी सनाड्य सभा का शताब्दी वर्ष का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन की खास बात ये है कि इसमें सभी वर्ग के ब्राह्मणों को आमंत्रित किया जा रहा है और ब्राह्मणों की एकजुटता पर जोर दिया जा रहा है. सनाढ्य सभा चाहती है कि ब्राह्मण उपजाति के बंधन को तोड़ कर रोटी और बेटी का रिश्ता बनाएं और मजबूत हो. आयोजन समिति के अध्यक्ष और साहित्यकार डॉ. श्याम मनोहर सिरोठिया कहते हैं कि कवि शिव कुमार श्रीवास्तव ने कहा है कि " जो जहां जहां विभाजित है, वह वहां वहां पराजित हैं. इन्हीं पक्तियों को याद करके हम सामाजिक एकजुटता पर जोर दे रहे हैं. हम चाहते हैं कि सागर से निकला संदेश प्रदेश तक जाए, देश तक जाए और एक ऐसा देश तैयार हो, जिसमें आपसी सद्भाव हो". वहीं, सनाढ्य सभा के अध्यक्ष इंद्रजीत दुबे कहते हैं कि "हमें कहीं बिखराव नजर नहीं आता है, लेकिन हम चाहते हैं कि सभी एकजुट हों, युवा आगे आएं, महिलाएं आगे आएं और अपनी ताकत को पहचानें और सामाजिक तानाबाना मजबूत करें".(Bundelkhand Caste Politics)(MP Assembly Elections 2023)