जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एंग्लो इंडियन विधायक की चयन प्रक्रिया पर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग और प्रदेश की कमलनाथ सरकार को अपना पक्ष रखने की बात कही है. जबकि राज्य सरकार और चुनाव आयोग द्वारा अब तक अपना पक्ष न दिए जाने पर हाईकोर्ट ने दोनों को फटकार भी लगाई है.
मध्य प्रदेश सरकार में चल रहे सियासी दांव पेंच और बहुमत पर संकट गहराने के बाद से जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ एक तरफ एंग्लो इंडियन विधायक को मनानें कि कोशिश में हैं. दूसरी तरफ एक व्यक्ती द्वारा लगाई गई एंग्लो इंडियन विधायक के मनोनयन की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में 23 जुलाई को सुनवाई हुई. याचिका में कहा गया था प्रदेश में ढाई हजार से ज्यादा एंग्लो इंडियन है इसलिए इस समुदाय से विधायक मनोनीत नहीं किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने अंग्रेजों के शासनकाल में बनाए गए इस कानून को बदलने जाने की मांग की है. याचिका के लगाए जाने के बाद से ही प्रदेश में बीजेपी इस मामले पर सक्रीय नजर आ रही है. क्योंकि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार भी बसपा-सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है. ऐसे में प्रदेश में कभी राजनीतिक उथल-पुथल के हालत बन सकते है. ऐेसे में एंग्लो इंडियन विधायक की भूमिका भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. जिसके चलते दोनों दल इस समुदाय के विधायक को मनाने की कवायत में जुटे हैं.