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विजयंत टैंक, ब्रह्मोस बढ़ाएंगे जबलपुर की शान, इंजीनियरिंग कॉलेज में दिखेगी जल-थल और वायु सेना की ताकत

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Published : Jan 27, 2022, 12:42 PM IST

जबलपुर। जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज को विजयंत टैंक (jabalpur Engineering College got vijayant tank and brahmos missile) और ब्रह्मोस मिसाइल की सौगात मिलने जा रही है. छात्र जल, थल और आकाश के सुपर पॉवर काे करीब से देख पाएंगे. विजयंत टैंक भारतीय सेना के पूना मुख्यालय से और ब्रम्होस मिसाइल हैदराबाद से कॉलेज में आएगी.

jabalpur brahmos missile
jabalpur brahmos missile

जबलपुर। जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज को विजयंत टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल (jabalpur Engineering College gets vijayant tank, brahmos missile) की सौगात मिलने जा रही है. छात्र जल, थल और आकाश की सुपर पॉवर काे करीब से देख पाएंगे. विजयंत टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल फरवरी तक संस्थान में आ सकती है. यह प्रदेश के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए गौरव का पल है और विजयंत टैंक, ब्रम्होस मिसाइल मिलने के बाद इसे ऐतिहासिक उपलब्धि कहा जा सकता है. इससे पहले जिस मिग-21 फाइटर प्लेन ने द्वितीय विश्वयुद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे, उसी लड़ाकू विमान को कॉलेज में सेना की बहादुरी, शौर्य की कहानी सुनाने और छात्रों का तकनीकी कौशल बढ़ाने के लिए रखा गया था.

दुश्मनों का काल ब्रह्मोस और विजयंत टैंक आएगा जबलपुर

सेना के मुख्यालय से आ रहा विजयंत टैंक

कई जंगों में दुश्मनों को हार की दहलीज पर पहुंचाने वाला विजयंत टैंक (vijayant tank will tell story of victory over pakistan) भारतीय सेना के पूना मुख्यालय से जबलपुर के इंजीनियरिंग कालेज में आने वाला है. इसके लिए सेना के अधिकारियों ने भी हामी भर दी है, इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य डॉ ए.के शर्मा के मुताबिक उनके पास अधिकृत सूचना आ चुकी है. जनवरी में टैंक आने वाला था लेकिन किसी वजह से आने में देरी हो गई. सेना के बोर्ड में जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के एक सदस्य हैं, जिनकी कोशिशों से यह टैंक नि:शुल्क संस्थान को दिया जा रहा है. कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया कि सेना के उपकरण को देखकर छात्र समझेंगे की इंजीनियरिंग देश के कितने काम आती है, देश की ताकत बढ़ाने में उनका कितना योगदान है.

हैदराबाद से आएगी ब्रह्मोस मिसाइल

विजयंत टैंक के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में छात्र जान सकेंगे, इसका मूल स्वरूप हैदराबाद से आ रहा है. हालांकि इसमें लगने वाली गोपनीय सामग्री को पहले ही निकाल लिया जाएगा ताकि सुरक्षा में किसी तरह की कोई परेशानी न आए. प्राचार्य ने बताया कि पिछले दिनों रिटायर्ड हुए ब्रह्मोस मिसाइल के सीईओ डॉ.सुधीर मिश्रा जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के भूतपूर्व छात्र रहे हैं, उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कॉलेज को ब्रह्मोस मिसाइल की सौगात मिलने जा रही है.

एक साथ दिखेगी जल-थल और नभ की शक्ति

द्वितीय विश्वयुद्ध में दुश्मनों को धूल चटाने वाला मिग-21 चार महीने पहले ही कॉलेज में आ चुका है, और अब विजयंत टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल भी मिल रही है. यह पहला मौका होगा जब एक साथ ही सेना की तीनों तरह की शक्ति एक ही संस्थान में छात्रों के लिए उपलब्ध करवाई जा रही है. कालेज के प्राचार्य डॉ. एके शर्मा ने बताया मिग-21 और टैंक के बीच में ब्रह्मोस मिसाइल को स्थापित किया जाएगा. इसे देखने के बाद छात्र खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे.

छात्रों ने बताया गोल्डन अपॉर्चुनिटी

जबलपुर के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब 4 माह पहले एयर फोर्स ने मिग-21 स्थापित किया था. सेना के सबसे ताकतवर हथियार को अपने बीच पाकर छात्र भी बेहद खुश हैं, उन्हें फख्र हो रहा है कि वह ऐसे कॉलेज के छात्र हैं जिन्हें सेना की ताकत को इतने करीब से देखने का मौका मिल रहा है. छात्रों का कहना है कि हम इसे गोल्डन अपॉर्चुनिटी की तरह देख रहे हैं, क्योंकि मिग 21 और ब्रह्मोस मिसाइल देश की सुरक्षा के लिए कारगार साबित हुए हैं, इनका कॉलेज में स्थापित होना खुशी की बात है.

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जानिये क्या है विजयंत की खासियत...

विजयंत टैंक को चैन्नई की एक कंपनी ने तैयार किया था. यह सेना में 1966 में शामिल हुआ था. अपने नाम के ही अनुरूप विजयंत ने मारक क्षमता से दुश्मन के हौसले पस्त कर दिए थे. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के दौरान विजयंत टैंक ने दुश्मनों के आधुनिक टैंकों पर विजय हासिल की थी. विजयंत टैंक इंडियन आर्मी में शामिल होने वाला पहला मेड इन इंडिया टैंक था. भारतीय सेना से यह टैंक 2001 में रिटायर हुआ था.

ब्रह्मोस की ताकत और खूबी

ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन से कहीं से भी दागा जा सकता है. भारतीय वायुसेना में इसे 8 दिसंबर 2021 को जोड़ा गया था. सुखोई-30 एमके-1 में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण किया गया, यह टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर में किया गया. इसमें लगाए गए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है. इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण जुलाई 2021 में किया गया था. यह मिसाइल जमीन या समुद्र से दागे जाने पर 290 किलोमीटर की रेंज में 2500 किमी प्रति घंटे की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है.

जबलपुर। जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज को विजयंत टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल (jabalpur Engineering College gets vijayant tank, brahmos missile) की सौगात मिलने जा रही है. छात्र जल, थल और आकाश की सुपर पॉवर काे करीब से देख पाएंगे. विजयंत टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल फरवरी तक संस्थान में आ सकती है. यह प्रदेश के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए गौरव का पल है और विजयंत टैंक, ब्रम्होस मिसाइल मिलने के बाद इसे ऐतिहासिक उपलब्धि कहा जा सकता है. इससे पहले जिस मिग-21 फाइटर प्लेन ने द्वितीय विश्वयुद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे, उसी लड़ाकू विमान को कॉलेज में सेना की बहादुरी, शौर्य की कहानी सुनाने और छात्रों का तकनीकी कौशल बढ़ाने के लिए रखा गया था.

दुश्मनों का काल ब्रह्मोस और विजयंत टैंक आएगा जबलपुर

सेना के मुख्यालय से आ रहा विजयंत टैंक

कई जंगों में दुश्मनों को हार की दहलीज पर पहुंचाने वाला विजयंत टैंक (vijayant tank will tell story of victory over pakistan) भारतीय सेना के पूना मुख्यालय से जबलपुर के इंजीनियरिंग कालेज में आने वाला है. इसके लिए सेना के अधिकारियों ने भी हामी भर दी है, इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य डॉ ए.के शर्मा के मुताबिक उनके पास अधिकृत सूचना आ चुकी है. जनवरी में टैंक आने वाला था लेकिन किसी वजह से आने में देरी हो गई. सेना के बोर्ड में जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के एक सदस्य हैं, जिनकी कोशिशों से यह टैंक नि:शुल्क संस्थान को दिया जा रहा है. कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया कि सेना के उपकरण को देखकर छात्र समझेंगे की इंजीनियरिंग देश के कितने काम आती है, देश की ताकत बढ़ाने में उनका कितना योगदान है.

हैदराबाद से आएगी ब्रह्मोस मिसाइल

विजयंत टैंक के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में छात्र जान सकेंगे, इसका मूल स्वरूप हैदराबाद से आ रहा है. हालांकि इसमें लगने वाली गोपनीय सामग्री को पहले ही निकाल लिया जाएगा ताकि सुरक्षा में किसी तरह की कोई परेशानी न आए. प्राचार्य ने बताया कि पिछले दिनों रिटायर्ड हुए ब्रह्मोस मिसाइल के सीईओ डॉ.सुधीर मिश्रा जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के भूतपूर्व छात्र रहे हैं, उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कॉलेज को ब्रह्मोस मिसाइल की सौगात मिलने जा रही है.

एक साथ दिखेगी जल-थल और नभ की शक्ति

द्वितीय विश्वयुद्ध में दुश्मनों को धूल चटाने वाला मिग-21 चार महीने पहले ही कॉलेज में आ चुका है, और अब विजयंत टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल भी मिल रही है. यह पहला मौका होगा जब एक साथ ही सेना की तीनों तरह की शक्ति एक ही संस्थान में छात्रों के लिए उपलब्ध करवाई जा रही है. कालेज के प्राचार्य डॉ. एके शर्मा ने बताया मिग-21 और टैंक के बीच में ब्रह्मोस मिसाइल को स्थापित किया जाएगा. इसे देखने के बाद छात्र खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे.

छात्रों ने बताया गोल्डन अपॉर्चुनिटी

जबलपुर के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब 4 माह पहले एयर फोर्स ने मिग-21 स्थापित किया था. सेना के सबसे ताकतवर हथियार को अपने बीच पाकर छात्र भी बेहद खुश हैं, उन्हें फख्र हो रहा है कि वह ऐसे कॉलेज के छात्र हैं जिन्हें सेना की ताकत को इतने करीब से देखने का मौका मिल रहा है. छात्रों का कहना है कि हम इसे गोल्डन अपॉर्चुनिटी की तरह देख रहे हैं, क्योंकि मिग 21 और ब्रह्मोस मिसाइल देश की सुरक्षा के लिए कारगार साबित हुए हैं, इनका कॉलेज में स्थापित होना खुशी की बात है.

Today Gold silver rates in MP: नये साल में पहली बार आज सोने के दाम ने पार किया 50 हजार, चांदी के भाव में भी तेजी

जानिये क्या है विजयंत की खासियत...

विजयंत टैंक को चैन्नई की एक कंपनी ने तैयार किया था. यह सेना में 1966 में शामिल हुआ था. अपने नाम के ही अनुरूप विजयंत ने मारक क्षमता से दुश्मन के हौसले पस्त कर दिए थे. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के दौरान विजयंत टैंक ने दुश्मनों के आधुनिक टैंकों पर विजय हासिल की थी. विजयंत टैंक इंडियन आर्मी में शामिल होने वाला पहला मेड इन इंडिया टैंक था. भारतीय सेना से यह टैंक 2001 में रिटायर हुआ था.

ब्रह्मोस की ताकत और खूबी

ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन से कहीं से भी दागा जा सकता है. भारतीय वायुसेना में इसे 8 दिसंबर 2021 को जोड़ा गया था. सुखोई-30 एमके-1 में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण किया गया, यह टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर में किया गया. इसमें लगाए गए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है. इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण जुलाई 2021 में किया गया था. यह मिसाइल जमीन या समुद्र से दागे जाने पर 290 किलोमीटर की रेंज में 2500 किमी प्रति घंटे की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है.

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