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High Court News: पुलिस आरक्षक चयन में रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन न होने से वंचित करने को चुनौती

पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन न होने के आधार पर अभ्यार्थियों को भर्ती से वंचित किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. जिसमें 13 जून को सुनवाई होगी.

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जबलपुर हाईकोर्ट न्यूज
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Published : Jun 13, 2022, 4:33 PM IST

जबलपुर। अभिषेक पटेल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक 2020 की भर्ती प्रक्रिया का दूसरा चरण अर्थात शारीरिक परीक्षण (फिजिकल परीक्षा) का आयोजन दिनांक 2 जून से 29 जून 2022 निर्धारित किया गया है. जो अभ्यर्थी लिखित परीक्षा मे उत्तीर्ण हो चुके है, उनके दस्तावेज सत्यापन के दौरान जिनका रोजगार पंजीयन एक्सपायर हो चुका है या जो नवीनीकरण नहीं करा पाए हैं. उनको बिना किसी लिखित आदेश के बाहर किया जा रहा है, जबकि अन्य जिलो में उक्त अभ्यर्थीयों से अंडरटेकिंग लेकर फिजीकल परीक्षा में शामिल कर लिया गया है. छठवीं वाहिनी राँझी जबलपुर में चल रही द्वितीय चरण की परीक्षा में चयन समिति ने कई अभ्यर्थीयों को रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन के आभाव में बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है.

सैकड़ो अभ्यार्थी बिना लिखित आदेश के बाहर: याचिका में आरोप है कि, सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी अभ्यर्थी को रोजगार पंजीयन के आभाव में चयन से वंचित नहीं किया जा सकता. फिर भी चयन समिति मनमाने रूप से जबलपुर परीक्षा केंद्र में सैकड़ो अभ्यार्थियों को बिना किसी लिखित आदेश के बाहर किया जा रहा है. मध्य प्रदेश से बाहर के राज्यों के अभ्यार्थियों से रोजगार पंजीयन नही मांगा जा रहा है एवं अन्य जिलो में भी कई अभ्यर्थीयों से लिखित में अंडर टेकिंग लेकर परीक्षा में शामिल किया जा रहा है. मामले में जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है, याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा.

दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा: पॉक्सो की विशेष न्यायधीश मेरी माग्रेट फ्रांसेस डेविड ने एक नाबालिग के साथ दुराचार करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने आरोपी सुंदरलाल पर 21 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत को अभियोजन पक्ष की ओर से बताया गया कि पीड़िता ने गोरखपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि 1 अगस्त 2020 को जब वह सामान लेने जा रही थी, तो अभियुक्त सुदंर ने उसे बुलाया और अपने कमरे में ले गया. जहां आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती दुराचार किया, उसने डर के कारण अपने घर में किसी को कुछ नहीं बताया. 1 नवंबर 2020 जब उसे उल्टी होने लगी, तब उसकी मां द्वारा उससे पूछे जाने पर उसने आपबीती बताई. आरोपी सुदंरलाल द्वारा उसे जान से मारने की धमकी देने के कारण पीड़िता ने इतने दिनों से किसी को कुछ नहीं बताया. शिकायत पर गोरखपुर पुलिस ने आरोपी सुंदरलाल के खिलाफ दुराचार व पॉक्सो सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर अदालत के समक्ष चालान पेश किया. सुनवाई के दौरान पेश किये गये गवाह व साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए अदालत ने आरोपी को आजीवन कारावास व 21 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया. मामले में एडीपीओं मनीषा दुबे ने पक्ष रखा.

नााबालिग बेटी को मॉं के सुपुर्द किये जाने के आदेश: हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस नंदिता दुबे की युगलपीठ ने नााबालिग बेटी को मॉं के सुपुर्द किये जाने के आदेश जारी किये हैं. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ दायर बंधी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण कर दिया. याचिकाकर्ता मॉं की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि उसकी नाबालिग बेटी को क्षेत्र में रहने वाला राजू मरावी नामक युवक जबरन बंधन बनाकर ले गया है. इस कार्य में उसे परिजनों द्वारा सहयोग किया गया है. इस संबंध में उसने तिलवारा घाट थाने में आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने नाबालिग लड़की को न्यायालय में पेश किया: नाबालिग बेटी की तलाश में पुलिस द्वारा कारगर कार्रवाई नहीं किये जाने के खिलाफ उक्त याचिका दायर की गयी है. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने लापता नाबालिग लडकी को पेश करने के निर्देष दिये थे. याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस ने नाबालिग लड़की को पेश किया. पुलिस ने युगलपीठ को बताया कि नाबालिग लड़की को नागपुर में अनावेदक राजू मरावी के पास से बरामद किया गया है. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए पुलिस को निर्देश दिया है कि नाबालिग को उसकी मॉं के सुपुर्द किया जाये.

जबलपुर। अभिषेक पटेल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक 2020 की भर्ती प्रक्रिया का दूसरा चरण अर्थात शारीरिक परीक्षण (फिजिकल परीक्षा) का आयोजन दिनांक 2 जून से 29 जून 2022 निर्धारित किया गया है. जो अभ्यर्थी लिखित परीक्षा मे उत्तीर्ण हो चुके है, उनके दस्तावेज सत्यापन के दौरान जिनका रोजगार पंजीयन एक्सपायर हो चुका है या जो नवीनीकरण नहीं करा पाए हैं. उनको बिना किसी लिखित आदेश के बाहर किया जा रहा है, जबकि अन्य जिलो में उक्त अभ्यर्थीयों से अंडरटेकिंग लेकर फिजीकल परीक्षा में शामिल कर लिया गया है. छठवीं वाहिनी राँझी जबलपुर में चल रही द्वितीय चरण की परीक्षा में चयन समिति ने कई अभ्यर्थीयों को रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन के आभाव में बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है.

सैकड़ो अभ्यार्थी बिना लिखित आदेश के बाहर: याचिका में आरोप है कि, सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी अभ्यर्थी को रोजगार पंजीयन के आभाव में चयन से वंचित नहीं किया जा सकता. फिर भी चयन समिति मनमाने रूप से जबलपुर परीक्षा केंद्र में सैकड़ो अभ्यार्थियों को बिना किसी लिखित आदेश के बाहर किया जा रहा है. मध्य प्रदेश से बाहर के राज्यों के अभ्यार्थियों से रोजगार पंजीयन नही मांगा जा रहा है एवं अन्य जिलो में भी कई अभ्यर्थीयों से लिखित में अंडर टेकिंग लेकर परीक्षा में शामिल किया जा रहा है. मामले में जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है, याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा.

दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा: पॉक्सो की विशेष न्यायधीश मेरी माग्रेट फ्रांसेस डेविड ने एक नाबालिग के साथ दुराचार करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने आरोपी सुंदरलाल पर 21 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत को अभियोजन पक्ष की ओर से बताया गया कि पीड़िता ने गोरखपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि 1 अगस्त 2020 को जब वह सामान लेने जा रही थी, तो अभियुक्त सुदंर ने उसे बुलाया और अपने कमरे में ले गया. जहां आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती दुराचार किया, उसने डर के कारण अपने घर में किसी को कुछ नहीं बताया. 1 नवंबर 2020 जब उसे उल्टी होने लगी, तब उसकी मां द्वारा उससे पूछे जाने पर उसने आपबीती बताई. आरोपी सुदंरलाल द्वारा उसे जान से मारने की धमकी देने के कारण पीड़िता ने इतने दिनों से किसी को कुछ नहीं बताया. शिकायत पर गोरखपुर पुलिस ने आरोपी सुंदरलाल के खिलाफ दुराचार व पॉक्सो सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर अदालत के समक्ष चालान पेश किया. सुनवाई के दौरान पेश किये गये गवाह व साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए अदालत ने आरोपी को आजीवन कारावास व 21 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया. मामले में एडीपीओं मनीषा दुबे ने पक्ष रखा.

नााबालिग बेटी को मॉं के सुपुर्द किये जाने के आदेश: हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस नंदिता दुबे की युगलपीठ ने नााबालिग बेटी को मॉं के सुपुर्द किये जाने के आदेश जारी किये हैं. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ दायर बंधी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण कर दिया. याचिकाकर्ता मॉं की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि उसकी नाबालिग बेटी को क्षेत्र में रहने वाला राजू मरावी नामक युवक जबरन बंधन बनाकर ले गया है. इस कार्य में उसे परिजनों द्वारा सहयोग किया गया है. इस संबंध में उसने तिलवारा घाट थाने में आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने नाबालिग लड़की को न्यायालय में पेश किया: नाबालिग बेटी की तलाश में पुलिस द्वारा कारगर कार्रवाई नहीं किये जाने के खिलाफ उक्त याचिका दायर की गयी है. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने लापता नाबालिग लडकी को पेश करने के निर्देष दिये थे. याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस ने नाबालिग लड़की को पेश किया. पुलिस ने युगलपीठ को बताया कि नाबालिग लड़की को नागपुर में अनावेदक राजू मरावी के पास से बरामद किया गया है. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए पुलिस को निर्देश दिया है कि नाबालिग को उसकी मॉं के सुपुर्द किया जाये.

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