जबलपुर। दमोह उपचुनाव में ड्यूटी करने वाले 100 शासकीय कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से हुई मौत को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार ने मृत सरकारी कर्मचारी और उनके ((High Court Headlines) )परिजनों की सूची पर जवाब पेश करने का समय प्रदान करने का आग्रह किया है. हाईकोर्ट युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
क्यों नहीं माना कोरोना से हुई मौत
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को उपचार करते हुए महिला डॉक्टर की संक्रमित होने के कारण मौत हो गयी. महिला डॉक्टर के परिवार को कोविड योद्धा कल्याण योजना का लाभ नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय शुक्ला ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
कोर्ट ने जारी किया नोटिस
याचिका में कहा गया था कि उपचार के दौरान की गयी जांच से साफ है कि उसकी पत्नी की मौत कोरोना वायरस से हुई है. उसका अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया था. उपचार के लिए RT-PCR टेस्ट नहीं करवाये जाने के कारण सरकार उसे कोरोना योद्धा मानने से इंकार कर रही है. जबकि ब्लॉक चिकित्सक अधिकारी ने लिखित में इस बात का उल्लेख किया है कि जल्दी में रैफर किये जाने के कारण उसका RTPCR टेस्ट नहीं करवाया गया था. याचिका में केन्द्र व प्रदेश सरकार, संचालक मेडिकल ऐजुकेशन,जिला आयुष अधिकारी को अनावेदक बनाया गया था. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में निर्धारित की है.
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कोर्ट में तबीयत बिगड़ने से मौत का मामला
सोमवार की शाम को सागर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में मामूली विवाद के एक आरोपी की पेशी के दौरान मौत का मामला सामने आया था. मोहल्ले में पानी भरने को लेकर हुए विवाद में आरोपी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी और आरोपी पर धारा 151 के तहत कार्यवाही कर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में पेश किया गया था. जहां उसे मुचलके पर जमानत मिल गई थी. लेकिन इसी दौरान उसकी अचानक तबीयत बिगड़ी और जब तक उसे जिला चिकित्सालय ले जाते, तब तक उसकी मौत हो गई. इस मामले में मृतक के परिजनों का आरोप है कि तबीयत बिगड़ने पर आरोपी ने पुलिस को बताया था,लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी और उसकी मौत हो गई. इस मामले में सागर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि मामले की जांच के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखा गया था. उन्होंने न्यायधीश की देखरेख में मामले की मजिस्ट्रियल जांच शुरू करा दी है.