इंदौर। देश में जितने लोग लगातार तंबाकू और तंबाकू से बने अन्य उत्पाद का सेवन कर रहे हैं, ऐसे लोगों में 25 फीसदी लोग हर साल कैंसर का शिकार हो रहे हैं. लिहाजा कैंसर की शुरुआती बीमारी का पता लगाने के लिए इंदौर के डॉक्टर सुरेंद्र दिल्लीवाल ने बीते 20 सालों से अपनी मोबाइल डेंटल एंबुलेंस के जरिए तंबाकू खाने वाले मरीजों का उपचार करने के लिए अंचल के गांव-गांव में निशुल्क सेवा देकर लोगों को कैंसर से बचाने में जुटे हैं.(World Anti-Tobacco Day)
तंबाकू खाने वालों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी: वर्तमान दौर में कैंसर के लक्षणों वाले उन मरीजों की संख्या सर्वाधिक है जो तंबाकू गुटका या पाउच आदि खाते हैं, इनमें अत्यधिक सिगरेट पीने वालों की भी बड़ी संख्या है जो हर साल कैंसर का शिकार हो रहे हैं. दरअसल तंबाकू गुटखा और पाउच खाने वालों को इस बीमारी का पता बीमारी की गंभीर स्थिति में लग पाता है क्योंकि ज्यादातर लोग तंबाकू खाने के बावजूद दांतो का परीक्षण नहीं कराते, ऐसी स्थिति में कई बार मरीज की बीमारी फ्री कैंसर स्टेज से सेकेंड स्टेज में चली जाती है. जिससे मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है.
30 वर्षों में स्थिति में आया इतना परिवर्तन: 1970 के दशक में जब इंदौर के डेंटल कॉलेज में कैंसर के इक्का-दुक्का मरीज आते थे, तो मेडिकल कॉलेज में लोग मरीज को देखने आते थे. मरीज की बीमारी का तरह-तरह से उपचार का प्रयास करते थे, लेकिन बीते 30 सालों में स्थिति यह हो चुकी है कि तंबाकू खाने वाले कुल लोगों में से 25 फीसदी मरीज अब मुंह और गले के कैंसर का शिकार बन रहे हैं. ऐसे मरीजों में भी वे मरीज ज्यादा है जो ग्रामीण परिवेश में रहकर तंबाकू और गुटखा की लत में बुरी तरह से जकड़े हुए हैं. इंदौर डेंटल कॉलेज में यह स्थिति देखकर यहां पदस्थ रहे डॉ सुरेंद्र दिल्लीवाल ने अपने रिटायरमेंट के बाद ऐसे तमाम मरीजों का इलाज उनके घर पर जाकर ही करने का फैसला लिया.
डॉ सुरेंद्र दिल्लीवाल का सराहनीय कदम: डॉ सुरेंद्र दिल्लीवाल ने लोगों को मुंह और गले के कैंसर से बचाने के लिए अपने खर्चे पर 20 लाख की एक ऐसी एंबुलेंस तैयार कराई, जिसके जरिए दांतों का परीक्षण एवं फ्री स्टेज बीमारियों का पता लगाकर मरीजों को चिन्हित किया जा सके. इसके बाद उन्होंने अपने बेटे और सहयोगियों की बदौलत इंदौर के आसपास के ग्रामीण अंचल के अलावा धार, आष्टा, सीहोर, बदनावर, महेश्वर, और बड़वा आदि इलाकों में आयोजित होने वाले स्वास्थ्य शिविरों और मेलों में अपनी डेंटल एंबुलेंस लेकर पहुंचना शुरू कर दिया, और मरीजों का अत्याधुनिक संसाधनों से लैस अपनी एंबुलेंस में इलाज किया.
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डॉक्टर की अपील के बाद कई लोगों ने छोड़ी तंबाकू: डॉक्टर दिल्लीवाल ने ऐसे मरीजों का परीक्षण करते हुए शिविरों में ऐसे मरीजों का इलाज किया जिनको तंबाकू अथवा गुटके की बुरी लत थी, या जो भविष्य में कैंसर का शिकार हो सकते थे. लिहाजा डॉक्टर ने सैकड़ों मरीजों का फ्री कैंसर स्टेज में पता लगा कर उनका इलाज कराया, इसके अलावा वह गांव-गांव में अपनी सेवा के बदौलत लोगों से तंबाकू छोड़ने की अपील भी करते हैं. बीते 30 से 40 सालों तक निशुल्क गरीबों की इलाज व्यवस्था उनके घर तक लाने के कारण अब ग्रामीण अंचल के लोग भी डॉक्टर को अपना हितेषी मानते हैं. यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में दिल्लीवाल की बात मानकर कई लोगों ने अपनी तंबाकू गुटके की लत को छोड़ा है, इसके अलावा जो लोग तंबाकू नहीं छोड़ पा रहे हैं उनको मुंह के अलग-अलग हिस्से में तंबाकू रखने की सीख भी डॉक्टर दिल्लीवाल देते हैं. इस दौरान वे मरीजों का इलाज भी करते जिससे कि संबंधित मरीज तंबाकू छोड़ सकें.
सरकार चलाए तंबाकू विरोधी अभियान: डॉ सुरेंद्र दिल्लीवाल का कहना हैं कि 'बड़ी-बड़ी कंपनियां सिगरेट और तंबाकू का जो एडवर्टाइज और प्रमोशन करती हैं, उनकी तुलना में लोगों के बीच तंबाकू के खिलाफ जन-जागरण अभियान नहीं चल सकता, इसमें कोई फैसला शासन स्तर पर ही लिया जा सकता है.'