इंदौर। करीब 2 दशकों बाद इंदौर की जिस सिरपुर झील को अंतर्राष्ट्रीय रामसर साइट का दर्जा मिला है, उसकी जैव विविधता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों द्वारा परखा गया है. इतना ही नहीं, आठ अलग-अलग पैमानों पर दुनिया भर की झीलों को लेकर किए जाने वाले सर्वे में यह अव्वल पाई गई, जिसके बाद अब सिरपुर झील की बायोडायवर्सिटी को अब सहेजने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं.
सिरपुर तालाब को रामसर साइट का दर्जा: इंदौर के सिरपुर तालाब को रामसर साइट का दर्जा दिया गया है. इस साइट को मिलाकर अब देश में 64 ऐसी लोकेशन हैं, जिन्हें यह दर्जा मिल सका है. इससे पहले भी रामसर सम्मेलन 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय आद्र भूमि संधि है. यह सम्मेलन 1975 में कार्रवाई में आया था, जिसमें पानी में स्थित मौसमी यह स्थाई पारिस्थितिक तंत्र जिसमें दलदल नदियां, डेल्टा बाढ़ के मैदान चावल के खेत, समुद्री क्षेत्र, तालाब और जलाशय शामिल किए जाते हैं, जिसे आद्रभूमि कहा जाता है.
वैज्ञानिकों की सहमति के बाद दिया जाता है दर्जा: इंदौर के सिरपुर तालाब को रामसर साइट घोषित किए जाने के पहले, इंदौर-भोपाल समेत मध्य प्रदेश के तमाम वैज्ञानिकों ने इसकी आठ बिंदुओं पर पड़ताल की थी. जिसमें फ्लोरल बायोडायवर्सिटी, उसका उपयोग, झील का पर्यावरण में योगदान, झील का साइंटिफिक रिसर्च एवं यहां कितने प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं. इसी तरह कितने तरह की मछलियां यहां पैदा होती हैं, 8 बिंदुओं पर आधारित यह रिपोर्ट पहले राज्य के वैज्ञानिक, भारत सरकार के मार्फत स्विजरलैंड स्थित रामसर मुख्यालय पर भेजते हैं. जहां स्विजरलैंड के अलावा अन्य देशों के वैज्ञानिक तमाम बिंदुओं की बारीकी से जांच करते हैं. इसके बाद तमाम वैज्ञानिकों की सहमति के बाद किसी साइट को यह दर्जा दिया जाता है.
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भालू मोंडे का सिरपुर झील को बचाने का प्रयास: इंदौर की रामसर झील को संवारने के प्रयास शुरू हो गए हैं. झील के संरक्षण में कई दशकों से जुटे पर्यावरणविद भालू मोंडे ने बताया कि, अगले 2 साल में इस साइट को संवारने के प्रयास युद्ध स्तर पर होंगे. यदि इसे विकसित नहीं किया गया तो, रामसर साइट का दर्जा छिन भी सकता है. भालू मोंडे कई दशकों से सिरपुर झील को बचाने के प्रयास कर रहे थे, जिनकी अथक मेहनत और जागरूकता के फल स्वरुप इंदौर की झील को प्रदेश की तीसरी रामसर झील का गौरव प्राप्त हुआ है. अब इस मामले में प्रदेश सरकार ने भी पहल की है. जिसके जरिए झील के संरक्षण और उसके पर्यावरण आधारित विकास को लेकर प्रयास जल्द ही शुरू होने के आसार हैं.
रामसर साइट को सहेजने के प्रयास शुरू: सिरपुर तालाब को रामसर साइट का दर्जा दिए जाने के बाद अब इसे सहेजने के प्रयास शुरू हो गए हैं. आज पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव अनिरुद्ध मुखर्जी समेत epco के अधिकारियों ने सिरपुर तालाब का दौरा किया. इसके बाद पर्यावरण विभाग द्वारा तय किया गया है कि, सिरपुर झील के करीब 800 एकड़ क्षेत्र का सीमांकन किया जाएगा. यहां पर 50 मीटर की दूरी पर निर्माण कार्य प्रतिबंधित होगा. इसके अलावा जॉन ऑफ इनफ्लुएंस काटी मार सेशन होगा. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित बायोडायवर्सिटी के संरक्षण और संधारण के तहत झील को संरक्षित किया जाएगा.