इंदौर। क्या भिखारी किसी शहर, प्रदेश या देश के विकास में योगदान दे सकते हैं ? इस सवाल का जवाब आप शायद न में दें लेकिन मध्यप्रदेश के इंदौर शहर को चमकाने साफ स्वच्छ बनाने में यहां के भिखारियों ने बड़ा योगदान दिया है. मध्यप्रदेश का इंदौर शहर वैसे तो अपनी कई खूबियों के लिए जाना जाता है लेकिन करीब 20 लाख जनसंख्या वाले इस शहर ने सफाई में 5 बार अव्वल रहकर एक अलग पहचान बनाई है (Indore cleanest city for the fifth consecutive year). केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर ने लगातार पांचवी बार देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का रिकॉर्ड बनाया है. इस कीर्तिमान के पीछे अगर इंदौर नगर निगम का हाथ है तो इंदौरवासियों का कम योगदान नहीं है, और इसमें बड़ी भूमिका इंदौर शहर के भिखारियों की है (Indore cleanest city in India). आपको जानकर हैरानी होगी कि उनका शहर साफ रहे इसके लिए वो भूखे रह लेते हैं लेकिन सफाई के लिए ज़रूरी टैक्स भरने में पीछे नहीं रहते.
शहर की सफाई को लेकर सजग इंदौर के भिखारी
इंदौर शहर के भिखारी स्वच्छता को लेकर कितने सजग और जागरूक हैं वो इस बात से समझा जा सकता है कि जहां भिखारी से लेकर अधिकारी तक कचरा कलेक्शन टैक्स जमा करते हैं, सुनने में यह बात अजीब लग सकती है, लेकिन सच यह है कि जो लोग दिन भर भीख मांगकर 2 जून की रोटी का इंतजाम बमुश्किल कर पाते हैं, वह भी शहर की स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझते हैं. यही वजह है कि जैसे शहरवासी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और अधिकारी सब संपत्ति कर, जल कर के साथ ही कचरा प्रबंधन का शुल्क जमा कराते हैं, ठीक उसी तरह शहर के भिखारी भी अपने बकाया कर के साथ कचरा प्रबंधन शुल्क जमा करा रहे हैं.(Indore beggars pay cleanliness tax)
टैक्स जमा करने में पीछे नहीं इंदौर के भिखारी
शहर के बाणगंगा क्षेत्र के बाबुल पुरा के भिखारियों से कचरा शुल्क जमा कराने के लिए कहा गया तो सभी ने बारी-बारी से भीख मांग कर शुल्क जमा किए (Beggars are pay cleaning tax to Indore Municipal Corporation). खास बात यह थी कि बिना किसी ज़ोर ज़बर्दस्ती के सभी भिखारियों ने स्वेच्छा से नगर निगम के कार्यालय जाकर बारी-बारी से टैक्स जमा किया और रसीदें प्राप्त की.
इंदौर के 10 सफाई 'Warrior' भिखारी (10 Indore beggars paid waste management property tax)
अपने शहर को साफ स्वच्छ और सुंदर बनाने में योगदान देने वाले भिखारियों में पुरुष महिलाएं सभी आगे हैं. टैक्स जमा करने वाले इंदौर के 10 भिखारियों को जान लीजिए. वालों में वार्ड संख्या 10 निवासी भिक्षुक कमलाबाई पादरी ने ₹720, देवराम चंपत ने ₹3625, संभाजी गंगाराम कबाड़े ने ₹1840, गंगूबाई ने ₹1100, राजाराम ने ₹2950, घनश्याम कंवर ने ₹5060, बसंत भालेराव ने ₹5240, बाबूलाल मोतीराम ने ₹2400, सुदामा गायतोंडे ने ₹2880, अंजना भाई इंग्लैंड ने ₹2770 जमा कराए हैं. इन लोगों ने संपत्ति कर और कचरा प्रबंधन शुल्क की बकाया राशि खुद नगर निगम के दफ्तर पहुंचकर जमा कराई. इस तरह करीब एक दर्जन भिखारियों ने 12000 से ज्यादा राशि स्वच्छता कर और संपत्ति कर के रूप में नगर निगम में जमा कराई है, जबकि बाकी बचे लोग भी शुल्क जमा कराने को तैयार हैं.
कर जमा करने में पीछे नहीं इंदौरवासी
इंदौर में सेवन स्टार रैंकिंग के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण की जो शर्ते हैं, उसके मुताबिक राजस्व वसूली शहर के व्यावसायिक क्षेत्रों से 90 फीसदी और आवासीय इलाकों से 70 फीसदी होना जरूरी है. 2020-21 के लिए नगर निगम ने बतौर स्वच्छता शुल्क जो राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा था, वह 45 करोड़ रुपए था,11 दिसंबर तक 36 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है यानी लक्ष्य से केवल 9 करोड़ रुपए दूर.
जनसहयोग से इंदौर बना सफाई में नंबर 1 (Indore no 1 clean city)
बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रशासन के साथ सथा जनता का सहयोग भी ज़रूरी है. शहर को स्वच्छ बनाने में संसाधन के लिए पैसे होने ज़रूरी हैं जो जनता से लिए जाने वाले टैक्स से हासिल होता है.इंदौर नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल आश्वस्त हैं कि बाकी बचे दिनों में राजस्व का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा.शुल्क को लेकर भी इंदौर ने देश के बाकी शहरों के सामने उदाहरण पेश किया है. इंदौर एकमात्र ऐसा शहर होगा जहां कचरा प्रबंधन शुल्क जमा करने में पीछे नहीं हैं जिससे शहर को साफ रखने में मदद मिली है. इंदौर को सफाई में नंबर 1 बनाने में अधिकारियों ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाई है.