भोपाल/इंदौर (शिफाली पांडे): नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश गरीबी के मामले में 15.94 फीसदी की गिरावट के साथ गरीब राज्य की पहचान से उबरने की कोशिश में है. देश के स्वच्छतम शहर इंदौर में तेजी से बढ़ती साफ-सफाई के जद में यहां के भिखारी भी आ चुके हैं. एक जनवरी से देश का पहला भिखारी मुक्त शहर बन गया है इंदौर. इंदौर का भिखारी क्लीनिंग प्रोग्राम आखिर है क्या?
भिखारियों को तलाशकर लाने पर ईनाम और भीख देने पर जुर्माने के इंदौर जिला प्रशासन के फैसले पर मानव अधिकार संगठन आवाज क्यों उठा रहे हैं? भीख मांगना अपराध के दायरे में कैसे आ गया, इन भिखारियों के पुर्नवास का रास्ता क्या है? क्लीन सिटी इंदौर के भिखारी क्लीनिंग प्रोग्राम पर कंप्लीट एक्सप्लेनर.
क्लीन के बाद ऐसे भिखारी फ्री बनेगा इंदौर
एक जनवरी से देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर भिखारी मुक्त शहर बनने की तैयारी में है.. ये देश का पहला शहर होगा, जहां भिखारी की सूचना देने वाले को एक हजार का ईनाम दिया जाएगा. भीख लेना और देना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आएगा जिसमें धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
पहले सलाह फिर सख्ती, जानिए , किस नियम के तहत भीख देना भी अपराध
एक जनवरी से इंदौर को पूरी तरह से भिक्षुक मुक्त रखने की घोषणा इंदौर जिला प्रशासन ने कर दी थी. नागरिक संहिता 2023 की धारा 163 (1-2) नागरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए गए हैं. जिसके तहत अब इंदौर में भीख मांगना अपराध के दायरे मे आएगा. भीख मांगने वालों पर धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा "इंदौर को पूरी तरह से भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने का काम किया. पहले सर्वे का काम हुआ फिर उन्हे रोजगार से जोड़ने का काम हुआ. इस तरह की जानकारी भी सामने आई कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो बाहर से लोगों को लाकर भिक्षावृत्ति कराते हैं. घर के लोगों से जर्बदस्ती भिक्षावृत्ति करवाते हैं. उसकी वजह से ये बहुत जरूरी हो जाता है. आज की तारीख तक हम इंदौर को लगभग भिक्षावृत्ति मुक्त करा चुके हैं. हम उनका पुर्नवास भी बहुत अच्छे तरीके से करवा रहे हैं. उनको रोजगार से भी जोड़ रहे हैं. उन्हें ऐसी जगह रख रहे हैं जहां उनहे दैनिक जरूरतों का सामान मिल सके."
देश का पहला शहर जहां भिखारी की सूचना देने पर ईनाम
जिला प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है भिखारियों की ट्रेसिंग. लिहाजा इंदौर में किसी चौराहे अथवा सार्वजनिक स्थान पर भिखारी या भीख मांगने वाले की सूचना देने के लिए जिला प्रशासन की ओर से ईनाम दिया जाएगा. इसके लिए भिखारी सूचना नंबर(9691494951) जारी किया गया है. इस नंबर पर कोई भी भिखारी के शहर के किसी भी हिस्से में होने सूचना दे सकता है.
शिकायत के बाद अब सही में अगर सूचना सही निकलती है तो भिखारी की भौतिक सत्यापन के बाद बताने वाले को एक हजार का ईनाम या प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा "अभियान के बाद ये मुहिम ठंडी ना पड़े, इसके लिए हमने भिखारी की सूचना देने पर सम्मान राशि का प्रावधान किया है."
भीख मांगने हैदराबाद से पहुंचा शख्स, भिखारियों की पसंद क्यों बना इंदौर
इंदौर में भीख मांगने के लिए राजस्थान से गिरोह आया था. जिन्हे जिला प्रशासन ने रेस्क्यू किया. इसके अलावा इंदौर के राजवाड़ा के शनि मंदिर में भिक्षावृत्ति करते हुए एक ऐसी महिला भी मिली थी जिसने साड़ी के नीचे करीब 75 हजार रुपये छिपाकर रखे थे. ये उसकी दस दिन में भीख के तौर पर जमा की गई राशि थी. पिछले दिनों इंदौर में भीख मांगने आया एक ऐसा शख्स भी पकड़ में आया जो बाकायदा ट्रेन से रिजर्वेशन करवा कर हैदराबाद से इंदौर भीख मांगने आया था. और कई परिवार भी पकड़ में आए जिनके परिवार का हर सदस्य भिक्षावृत्ति के जरिए ही अपनी जीविका चलाता है.
भिखारियों के पुर्नवास का खर्च किसकी जेब से जाएगा
इंदौर को भिक्षावृत्ति मुक्त किए जाने का जो फैसला हुआ है. इस पर वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर का कहना है "मैं इंदौर में हुई इस पहल को अच्छी पहल मानता हूं. किसी भी देश के लिए भीख मांगना गौरव की बात तो नहीं कही जा सकती. लाल बत्ती पर गाड़ी रुकते ही भीड़ जुट जाती है. ये अच्छी तस्वीर नहीं है. इस लिहाज से देखिए तो ये गलत फैसला नहीं है. लेकिन सवाल ये है कि इनके पुर्नवास का क्या बंदोबस्त है.
अगर मान लीजिए कि इंदौर में दस हजार भिखारी हैं तो अगर वे भीख नहीं मांगते तो उनके खाने पीने का बंदोबस्त कैसे होगा? क्या उनको रैन बसेरा में रखा जाएगा. क्या इंतजाम होगा. फिर सवाल ये उठता है कि जो उन पर खर्च होगा वो पैसा किसकी जेब से जाएगा. जिस तरह से फ्री बीज पर सवाल उठ रहे हैं कि जो इन योजनाओ पर खर्च हो रहा है वो टैक्स पेयर्स की जेब से जा रहा है."
सवाल, भीख मांगना क्रिमिनल एक्टिविटी कैसे हो गया
वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक और मानव अधिकारों के लिए निरंतर संघर्षरत विचारक लेखक डॉ चिन्मय मिश्रा कहते हैं, "जिला प्रशासन का ये जो भिखारी मुक्त इंदौर का फरमान है. मैं समझता हूं कि ये एक किस्म का अमानवीय कृत्य है. कोई व्यक्ति किन हालात में भीख मांगने के लिए मजबूत होता है. आप व्यवस्थाएं तो ठीक नहीं कर सकते. उसकी जरूरत का इंतजाम भी नहीं कर सकते, उसके गुजर-बसर के जरिए को अपराध के दायरे में ला रहे हैं. भिखारी को पकड़कर लाने पर ईनाम.. अरे क्या वो कोई अपराधी है. और किसने तय कर दिया कि भीखा मांगना क्रिमिनल एक्टिविटी होगी ? ये समाज के लिए शर्म की बात है. हमारे देश में तो भिक्षावृत्ति की लंबी परंपरा रही है. कई वर्ग तो इसी पर जिंदा रहे हैं."
इंदौर अकेला नहीं भिखारी मुक्त होने जा रहे देश के दस और शहर
इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने के अभियान को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लाया गया है. इसे स्माइल योजना नाम दिया गया है. उद्देश्य ये है कि भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों का व्यापक पुर्नवास किया जा सके. सीधे सड़कों से हटाने के बजाए उनके पुर्नवास उनकी शिक्षा और रोजगार की राह बनाना. इस प्रोजेक्ट में देश के तीस शहर शामिल हैं. इनमें दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद, मुंबई, पटना, बैंगलुरु और नागपुर मिलाकर कुल दस शहर पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुने गए हैं.
भारत में चार लाख से ज्यादा भिखारी, मध्य प्रदेश में 28 हजार के पार
देश भर में भिखारियों का जो सरकारी आंकड़ा है वह कहता है कि पूरे देश में चार लाख 13 हजार से ज्यादा भिखारी हैं. केवल मध्य प्रदेश में इनकी औसत तादात 28 हजार 695 है. जिला कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक अकेले इंदौर से 354 वयस्क व्यक्तियों के साथ 45 बच्चों को भिक्षावृत्ति छुड़ाकर रेस्क्यू किया गया है.
एमपी में गरीब पहले ही घटे, इंदौर से भिखारी हटाने की तैयारी
नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक की दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में गरीबों की तादाद में 15.94 फीसदी की गिरावट आई है. गरीबी का प्रतिशत मध्य प्रदेश जो पहले 36. 57 प्रतिशत था वह घटकर अब 20.63 प्रतिशत पर पहुंच गया है. प्रदेश के सबसे गरीब जिले का दाग झेल चुके अलीराजगपुर से लेकर बड़वानी, खंडवा, बालाघाट और टीकमगढ़ में हालात सुधरे हैं.