ग्वालियर। इस समय पूरे प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है और लोग अपने घरों के भीतर ही रहना पसंद करते हैं, ऐसे में भी कुछ लोग समाज सेवा का जज्बा लिए मैदान में उतरते हैं. इनका काम है भीषण गर्मी से परेशान लोगों की प्यास बुझाना. ग्वालियर में पंजाबी परिषद से जुड़ी बुजुर्ग महिलाएं और पुरुषों की एक ऐसी ही टीम है जो पिछले 26 साल से भीषण गर्मी में रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए जल सेवा कर रही है. ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर आने वाली किसी भी ट्रेन के रुकते ही सभी बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष यात्रियों को पानी पिलाने के लिए दौड़ पड़ते हैं. इन लोगों के सेवा करने के जज्बे की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 'मन की बात' में कर चुके हैं.
प्रतिष्ठित परिवारों से हैं सभी जल सेवक: पंजाबी परिषद से जुड़े सभी समाजसेवियों जल सेवक प्रतिष्ठित परिवारों से हैं. इनमें से कुछ तो शासकीय सेवक हैं जो, समय मिलने पर रेलवे स्टेशन पहुंचकर यात्रियों की जल सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. पिछले लगभग 26 साल से जल सेवा कर रहे पंजाबी परिषद के इन लोगों की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैंं. खास बात यह है कि जल सेवा करने वालों में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की है.
बुजुर्गों को है जल सेवा का जुनून: जल सेवा के प्रति बुजुर्ग महिलाओं का इतना जुनून इतना है कि वे अपने घर के काम को जल्दी निपटा कर सीधे स्टेशन पहुंचती है. इसके बाद जो भी ट्रेन स्टेशन पर रूकती है वैसे ही ये दौड़ दौड़ कर यात्रियों को पानी पिलाती हैं, किसी की बोतल भरती हैं. हालांकि स्टेशन पर ट्रेन कुछ मिनिट के लिए ही रुकती हैं, लेकिन इस दौरान इन लोगों की कोशिश रहती है कि जल्द से जल्द जितने ज्यादा लोगों को पानी पिलाया जा सकता है पिलां दें. इससे जल सेवा कर रही महिलाओं को आत्म संतुष्टि मिलती है. जिससे इस भीषण गर्मी में भागदौड़ करती इन महिलाओं को कोई थकान नहीं महसूस होती. भीषण गर्मी में इनके सेवा भाव को देखते हुए यहां आने वाले यात्री भी इन लोगों की तारीफ किए बिना नहीं रहते. लोग कहते हैं कि इतनी गर्मी में प्यारे को पानी पिला देने से बड़ी सेवा कुछ भी नहीं है.
55 से लेकर 90 साल के जल सेवक शामिल: पिछले कई वर्षों से जल्द सेवा कर रही महिलाओं का कहना है कि वह सुबह जल्दी से घर का काम निपटा कर स्टेशन पर आ जाती है. जिस दिन स्टेशन नहीं पहुंचती है उनका मन नहीं लगता. 26 सालों से यही रुटीन फॉलो कर रहे हैं. जल सेवकों की इस टीम में 50-55 साल की महिलाएं शामिल हैं. इनमें सबसे बुजुर्ग सदस्य की उम्र 90 साल तक है.
ऐसे शुरू हुआ सफर:
कई सालों से जल सेवा कर रही पंजाबी परिषद की इस टीम की संयोजिका ने बताया कि इस सफर की शुरूआत कैसे हुई. उन्होंनें बताया कि एक बार उनके पति ट्रेन में सफर कर रहे थे इस दौरान उन्हें प्यास लगी, लेकिन कई किलोमीटर तक सफर तय करने पर भी उन्हें किसी भी स्टेशन पर पानी नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने तय किया कि ग्वालियर पहुंचकर वे रेलवे स्टेशन पर जल सेवा का काम शुरू करेंगे. चार लोगों के साथ शुरू हुआ जल सेवा का यह काम आज बड़ा रूप ले चुका है. सेवा करने वाले लोगों की संख्या हर साल लगातार बढ़ रही है. यही वजह है कि अब ये लोग शिफ्ट के हिसाब काम करते हैं. उन्होंने बताया कि जब 26 साल पहले जल सेवा की शुरुआत की गई थी तो चार मटको में पानी भरकर यात्रियों की प्यास बुझाते थी लेकिन अब धीरे-धीरे जलसेवा का स्वरूप भी काफी बड़ा हो चुका है.
जनरल कोच के यात्रियों पर होता है ज्यादा ध्यान: यह लोग जल सेवा जनरल कोच में ही करते हैं, क्योंकि जनरल कोच में सफर कर रहे लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे आसानी से पानी की बोतल खरीद कर पानी पिएं. कई बार भीड़ होने के चलते स्टेशन पर उतर कर भी पानी नहीं भर पाते. ऐसे में उन्हें प्यासे ही सफर करना पड़ता है। यही वजह है जल सेवा कर रही बुजुर्ग महिलाएं गाड़ी आने पर सबसे पहले जनरल डिब्बे की तरह भागती है और उसमें बैठे यात्रियों को पानी पिलाती हैं और उनकी दुआएं लेती हैं.