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2023 फतह करने के लिए शिव "राज" का मेगा प्लान, जानिए कैसे जमीन पर उतरेगा ये प्लान

भाजपा ने मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है. शिवराज सरकार पिछली गलतियों को दोहराना नहीं चाहती, पढ़िए इसके लिए भाजपा के पास क्या प्लान है. (MP Assembly elections 2023)

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Published : Feb 23, 2022, 1:33 PM IST

Shivraj Singh Plan for winning MP assembly elections 2023
भाजपा ने मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति को साधने के लिए बीजेपी सरकार ने पहले ओबीसी-दलित और आदिवासियों को अपने पाले में लिया था. अब पिछली गलती को सुधाने के लिए भाजपा सवर्ण और किसानों को भी साधने में जुट गई है. एक तरफ जहां सवर्णों को खुश करने के लिए सवर्ण आयोग का गठन किया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के किसानों पर शिवराज सरकार ने हाल में हजारों करोड़ रुपये झोंक दिये हैं.

22 महीनों में किसानों पर 1 लाख 73 हज़ार करोड़ रुपए किये गये खर्च

शिवराज सरकार ने अभी हाल ही में 10 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि उनके खाते में डाली. सरकार ने पिछले 22 महीनों में किसानों को खुश करने के लिए 1 लाख 73 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि दी है. इसके अलावा किसानों को रिझाने के लिए शिवराज कैबिनेट ने 15 हज़ार 722 करोड़ रुपए अनुदान देने का फैसला भी किया है. सरकार ये अनुदान राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली की प्रति यूनिट दर में उपभोक्ता को छूट देने की एवज में बिजली कंपनियों को प्रतिरूप के रूप में देगी.

सवर्ण आबादी को साधने के लिए...
शिवराज सरकार ने दूसरी तरफ प्रदेश की 22 फीसदी सवर्ण आबादी को साधने के लिए सवर्ण आयोग का गठन किया. यह आयोग सामान्य वर्ग के कल्याण के लिए काम करेगा. आयोग को नए अधिकार और जिम्मेदारी दी गई है:

  • सरकार की समस्त कल्याणकारी योजनाओं का संकलन और योजनाओं में सामान्य वर्ग के हितग्राहियों का चुनाव
  • आपदा की स्थिति में शासन द्वारा सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को तात्कालिक सहायता उपलब्ध कराना
  • कृषि, खेलकूद, सांस्कृतिक भजन मंडली आदि गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता
  • मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में सामान्य वर्ग के वृद्ध जन की सहभागिता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना
  • सामान्य वर्ग द्वारा चिन्हित योजनाओं की कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा नियमित समीक्षा
  • सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सहायता

किसानों को क्यों साधना चाहती है शिवराज सरकार
2018 में शिवराज सरकार के जाने की वजह किसानों की नाराजगी रही थी. शिवराज सिंह ने चाहे किसानों के खातों में राशि डाली हो, लेकिन महंगा डीजल और बढ़ती महंगाई के चलते किसान परेशान थे, जिसका खामियाजा शिवराज सरकार को 2018 में चुकाना पड़ा. वहीं कांग्रेस ने कर्ज माफी का ट्रंप कार्ड खेल कर किसानों को अपनी तरफ आकर्षित किया और राहुल गांधी ने भोपाल में किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने का ऐलान कर दिया, जो तुरुप का इक्का साबित हुआ. एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी से छिटक कर कांग्रेस में चला गया और कमलनाथ ने सरकार बना ली.

साल 2016 में शिवराज का आरक्षण पर दिया बयान घातक सबित हुआ
कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है, 2016 की गलतियों का खामियाजा शिवराज को 2018 में सत्ता गंवाकर चुकाना पड़ा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2016 में कहा था कोई माई का लाल आरक्षण नहीं खत्म कर सकता जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा और ग्वालियर चंबल में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया, इसके साथ कई और सवर्ण प्रभावित जिलों में बीजेपी को पटखनी मिली. बीजेपी ने भी माना कि शिवराज का बयान पार्टी को ले डूबा. 2018 में कई सीटों पर भाजपा जितने अंतर से हारी थी उसके बराबर या कुछ ज्यादा वोट नोटा पर पड़े.

मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर उमा भारती सक्रिय होने के दे रही हैं संकेत, पढ़िए कैसे...

बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा का कहना है कि किसान हो या फिर कोई और वर्ग, बीजेपी सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर चलती है. भाजपा फूट डालो और राज करो की राजनीति पर नहीं चलती, जनता उसे विकास के नाम पर वोट देती है.

भाजपा प्रवक्ता, भोपाल

कांग्रेस का कहना है कि- "भाजपा का फोकस किसानों पर बहुत ज्यादा है और ज्यादा फोकस होने की वजह से जो बीमा राशि दी गई वह कई खातों में 87 रुपये तक पहुंची है और यह सब नतीजा बीजेपी के किसानों पर फोकस का है,जहां तक सवर्णों को खुश करने की बात है तो लगातार उन्हें नजर अंदाज किया जा रहा है".

कांग्रेस प्रवक्ता, भोपाल

(MP Assembly elections 2023)

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति को साधने के लिए बीजेपी सरकार ने पहले ओबीसी-दलित और आदिवासियों को अपने पाले में लिया था. अब पिछली गलती को सुधाने के लिए भाजपा सवर्ण और किसानों को भी साधने में जुट गई है. एक तरफ जहां सवर्णों को खुश करने के लिए सवर्ण आयोग का गठन किया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के किसानों पर शिवराज सरकार ने हाल में हजारों करोड़ रुपये झोंक दिये हैं.

22 महीनों में किसानों पर 1 लाख 73 हज़ार करोड़ रुपए किये गये खर्च

शिवराज सरकार ने अभी हाल ही में 10 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि उनके खाते में डाली. सरकार ने पिछले 22 महीनों में किसानों को खुश करने के लिए 1 लाख 73 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि दी है. इसके अलावा किसानों को रिझाने के लिए शिवराज कैबिनेट ने 15 हज़ार 722 करोड़ रुपए अनुदान देने का फैसला भी किया है. सरकार ये अनुदान राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली की प्रति यूनिट दर में उपभोक्ता को छूट देने की एवज में बिजली कंपनियों को प्रतिरूप के रूप में देगी.

सवर्ण आबादी को साधने के लिए...
शिवराज सरकार ने दूसरी तरफ प्रदेश की 22 फीसदी सवर्ण आबादी को साधने के लिए सवर्ण आयोग का गठन किया. यह आयोग सामान्य वर्ग के कल्याण के लिए काम करेगा. आयोग को नए अधिकार और जिम्मेदारी दी गई है:

  • सरकार की समस्त कल्याणकारी योजनाओं का संकलन और योजनाओं में सामान्य वर्ग के हितग्राहियों का चुनाव
  • आपदा की स्थिति में शासन द्वारा सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को तात्कालिक सहायता उपलब्ध कराना
  • कृषि, खेलकूद, सांस्कृतिक भजन मंडली आदि गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता
  • मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में सामान्य वर्ग के वृद्ध जन की सहभागिता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना
  • सामान्य वर्ग द्वारा चिन्हित योजनाओं की कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा नियमित समीक्षा
  • सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सहायता

किसानों को क्यों साधना चाहती है शिवराज सरकार
2018 में शिवराज सरकार के जाने की वजह किसानों की नाराजगी रही थी. शिवराज सिंह ने चाहे किसानों के खातों में राशि डाली हो, लेकिन महंगा डीजल और बढ़ती महंगाई के चलते किसान परेशान थे, जिसका खामियाजा शिवराज सरकार को 2018 में चुकाना पड़ा. वहीं कांग्रेस ने कर्ज माफी का ट्रंप कार्ड खेल कर किसानों को अपनी तरफ आकर्षित किया और राहुल गांधी ने भोपाल में किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने का ऐलान कर दिया, जो तुरुप का इक्का साबित हुआ. एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी से छिटक कर कांग्रेस में चला गया और कमलनाथ ने सरकार बना ली.

साल 2016 में शिवराज का आरक्षण पर दिया बयान घातक सबित हुआ
कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है, 2016 की गलतियों का खामियाजा शिवराज को 2018 में सत्ता गंवाकर चुकाना पड़ा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2016 में कहा था कोई माई का लाल आरक्षण नहीं खत्म कर सकता जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा और ग्वालियर चंबल में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया, इसके साथ कई और सवर्ण प्रभावित जिलों में बीजेपी को पटखनी मिली. बीजेपी ने भी माना कि शिवराज का बयान पार्टी को ले डूबा. 2018 में कई सीटों पर भाजपा जितने अंतर से हारी थी उसके बराबर या कुछ ज्यादा वोट नोटा पर पड़े.

मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर उमा भारती सक्रिय होने के दे रही हैं संकेत, पढ़िए कैसे...

बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा का कहना है कि किसान हो या फिर कोई और वर्ग, बीजेपी सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर चलती है. भाजपा फूट डालो और राज करो की राजनीति पर नहीं चलती, जनता उसे विकास के नाम पर वोट देती है.

भाजपा प्रवक्ता, भोपाल

कांग्रेस का कहना है कि- "भाजपा का फोकस किसानों पर बहुत ज्यादा है और ज्यादा फोकस होने की वजह से जो बीमा राशि दी गई वह कई खातों में 87 रुपये तक पहुंची है और यह सब नतीजा बीजेपी के किसानों पर फोकस का है,जहां तक सवर्णों को खुश करने की बात है तो लगातार उन्हें नजर अंदाज किया जा रहा है".

कांग्रेस प्रवक्ता, भोपाल

(MP Assembly elections 2023)

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