भोपाल। कांग्रेस ने कोविड की व्यवस्थाओं में असफल शिवराज सरकार पर मीडिया पर (undeclared emergency against media) अघोषित इमरजेंसी लगाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग के एक लेटर(mp health secretory latter) में मीडिया को कोविड से जुड़ी हुई कोई भी खबर छापने से पहले कलेक्टर और सीएमएचओ से परमीशन लेने को कहा गया है. ऐसा न करने पर मीडिया संस्थानों के खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई करने की बात कही गई है. कांग्रेस ने इसे मीडिया पर अघोषित इमरजेंसी लगाने वाला कदम बताया है.
क्या लिखा है स्वास्थ्य सचिव के लेटर में
कांग्रेस का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव के हवाले से जारी इस आदेश में मीडिया को स्पष्टतः निर्देशित किया गया है कि वह कोविड को लेकर समाचार प्रकाशित एवं प्रसारित करने के पूर्व एसीएस, पीएस, कमिश्नर, कलेक्टर और सीएमएचओ की पुष्टि और अनुमति लें. इसके उपरांत ही इस विषय से संबंधित खबरों का प्रकाशन एवं प्रसारण करें! ऐसा नहीं होने पर मीडिया संस्थानों के खिलाफ धारा-188 के तहत कार्यवाही की जायेगी.
अधिकारी हैं या तानाशाह!
कांग्रेस का कहना है कि लाखों मौतों के लिए जिम्मेदार और कोरोना के बढ़ते आंकड़ों से डरी हुई शिवराज सरकार प्रदेश में मीडिया पर अघोषित आपातकाल लगा रही है. कांग्रेस के महामंत्री(मीडिया) केके मिश्रा ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के गजट नोटिफिकेशन में दिया गया स्वास्थ्य सचिव का यह आदेश भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक क्रूर कदम है. स्वास्थ्य विभाग के सचिव को स्पष्ट करना चाहिए कि यह आदेश उन्होंने किसके कहने पर जारी किया है. वे एक अधिकारी हैं या तानाशाह शासक?
नोटिफिकेशन वापस लेने की मांग
मिश्रा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव इससे पहले आयुक्त जनसंपर्क भी रह चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे अफसरशाह ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को गलत जानकारियां देकर कोविड की तीसरी लहर से सिर्फ सूचनाएं दबा कर निपटने का दबाव बना रहे हैं. मिश्रा ने 3 जनवरी 2022 को जारी किए गए इस राजपत्र को वापस लेने की मांग भी की है.