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पद्मश्री वंदना कटारिया का एमपी कनेक्शन: ग्वालियर राज्य महिला हॉकी अकादमी की खिलाड़ी रह चुकी हैं वंदना

पद्मश्री वंदना कटारिया का मध्य प्रदेश से गहरा नाता रहा है. वंदना मध्य प्रदेश की महिला हॉकी अकादमी में प्रशिक्षण लेने के बाद यहां से भी कई मैच खेली हैं. वंदना कटारिया ग्वालियर राज्य महिला हॉकी अकादमी की खिलाड़ी रह चुकी हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वंदना कटारिया को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. उत्तराखंड के हरिद्वार के रोशनाबाद की रहने वाली वंदना ने हाल ही में भारत के लिए 250 अंतरराष्ट्रीय मैच पूरे किए हैं.

Hockey player Vandana Kataria gets Padma Shri award
हॉकी प्लेयर वंदना कटारिया को पद्मश्री अवार्ड
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Published : Mar 22, 2022, 6:46 AM IST

भोपाल। ओलंपिक में हैट्रिक लगाने वाली महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है. वंदना का मध्य प्रदेश से भी कनेक्शन रहा है, वह मध्य प्रदेश की महिला हॉकी अकादमी में प्रशिक्षण लेने के बाद यहां से भी कई मैच खेली हैं. उत्तराखंड के हरिद्वार के रोशनाबाद की रहने वाली वंदना ने हाल ही में भारत के लिए 250 अंतरराष्ट्रीय मैच पूरे किए हैं. वह भारतीय महिला टीम के लिए एक अनुभवी आक्रमण लाइन का हिस्सा रही हैं और भारत के कई महत्वपूर्ण मैचों में जीत की गवाह रही हैं. वह ओलंपिक खेलों के मैच में गोल की हैट्रिक बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बनीं.

मध्य प्रदेश से वंदना का कनेक्शन

ओलंपिक में इस बार भारतीय टीम में शामिल पी सुशीला चानू, मोनिका और वंदना कटारिया ग्वालियर राज्य महिला हॉकी अकादमी की खिलाड़ी रह चुकी हैं. तीनों खिलाड़ी ने लगातार अपना दूसरा ओलिंपिक खेला हैं, फॉरवर्ड प्लेयर वंदना कटारिया ने एमपी टीम से 2011 का झारखंड नेशनल गेम्स खेला. इसके अलावा अभी भी कई बड़े टूर्नामेंट में अकादमी की तरफ से प्रदेश टीम से खेल चुकी हैं. वर्तमान में चानू, मोनिका और वंदना रेलवे में अपनी सेवाएं दे रही हैं. मिड फील्डर चानू, ग्वालियर अकादमी में 2006 से 2010 तक रहीं. उन्होंने यहां हॉकी का प्रशिक्षण लेने के साथ कई बड़े टूर्नामेंट खेले. उधर इसी पोजीशन पर खेलने वाली मोनिका भी 2010 से 2011 तक अकादमी में रह चुकी हैं.

वंदना कटारिया का खेल का सफर

वंदना कटारिया को भारतीय जूनियर टीम में 2006 में लिया गया और 2010 में इन्हें सीनियर राष्ट्रीय टीम में लिया गया. यह 2013 में जर्मनी में हुए जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं. इस दौरान यह इस स्पर्धा में सबसे अधिक गोल करने वाली खिलाड़ी बनी, इन्होंने 4 खेलों में 5 गोल दागे. वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 को उत्तराखंड के रोशनाबाद-हरिद्वार में हुआ था. उनके पिता नाहर सिंह हैं, जो BHEL हरिद्वार में मास्टर टैक्नीशियन के रूप में काम करते हैं. उन्होंने 2006 में जूनियर इंटरनेशनल में डेब्यू किया था, अभी तक वंदना ने 250 से अधिक मैच खेले हैं.

महिला एशिया कप हॉकी: भारत ने पहले मैच में मलेशिया को 9-0 से हराया

भोपाल। ओलंपिक में हैट्रिक लगाने वाली महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है. वंदना का मध्य प्रदेश से भी कनेक्शन रहा है, वह मध्य प्रदेश की महिला हॉकी अकादमी में प्रशिक्षण लेने के बाद यहां से भी कई मैच खेली हैं. उत्तराखंड के हरिद्वार के रोशनाबाद की रहने वाली वंदना ने हाल ही में भारत के लिए 250 अंतरराष्ट्रीय मैच पूरे किए हैं. वह भारतीय महिला टीम के लिए एक अनुभवी आक्रमण लाइन का हिस्सा रही हैं और भारत के कई महत्वपूर्ण मैचों में जीत की गवाह रही हैं. वह ओलंपिक खेलों के मैच में गोल की हैट्रिक बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बनीं.

मध्य प्रदेश से वंदना का कनेक्शन

ओलंपिक में इस बार भारतीय टीम में शामिल पी सुशीला चानू, मोनिका और वंदना कटारिया ग्वालियर राज्य महिला हॉकी अकादमी की खिलाड़ी रह चुकी हैं. तीनों खिलाड़ी ने लगातार अपना दूसरा ओलिंपिक खेला हैं, फॉरवर्ड प्लेयर वंदना कटारिया ने एमपी टीम से 2011 का झारखंड नेशनल गेम्स खेला. इसके अलावा अभी भी कई बड़े टूर्नामेंट में अकादमी की तरफ से प्रदेश टीम से खेल चुकी हैं. वर्तमान में चानू, मोनिका और वंदना रेलवे में अपनी सेवाएं दे रही हैं. मिड फील्डर चानू, ग्वालियर अकादमी में 2006 से 2010 तक रहीं. उन्होंने यहां हॉकी का प्रशिक्षण लेने के साथ कई बड़े टूर्नामेंट खेले. उधर इसी पोजीशन पर खेलने वाली मोनिका भी 2010 से 2011 तक अकादमी में रह चुकी हैं.

वंदना कटारिया का खेल का सफर

वंदना कटारिया को भारतीय जूनियर टीम में 2006 में लिया गया और 2010 में इन्हें सीनियर राष्ट्रीय टीम में लिया गया. यह 2013 में जर्मनी में हुए जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं. इस दौरान यह इस स्पर्धा में सबसे अधिक गोल करने वाली खिलाड़ी बनी, इन्होंने 4 खेलों में 5 गोल दागे. वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 को उत्तराखंड के रोशनाबाद-हरिद्वार में हुआ था. उनके पिता नाहर सिंह हैं, जो BHEL हरिद्वार में मास्टर टैक्नीशियन के रूप में काम करते हैं. उन्होंने 2006 में जूनियर इंटरनेशनल में डेब्यू किया था, अभी तक वंदना ने 250 से अधिक मैच खेले हैं.

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