भोपाल। जूडा के हड़ताल को लेकर सरकार और डॉक्टर आर-पार की लड़ाई के मूढ़ में दिखाई दे रहे हैं. न सरकार मांगे मानने को तैयार है और न डॉक्टर पीछे हटने को तैयार हैं.इस बीच इस पूरे मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एंट्री और दूसरे राज्यों से हड़ताल को मिल रहे समर्थन ने मामले को सियासी रंग भी दे दिया है. बावजूद इसके जहां सरकार ने डॉक्टरों को दो टूक कह दिया है कि वे हाई कोर्ट का आदेश मानें और काम पर लौटें वहीं जूनियर डॉक्टर के समर्थन में आई डॉक्टर टीचर एसोसिएशन ने सरकार से जिद छोड़ने को कहा है.
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माननीय हाईकोर्ट के निर्देशानुसार जूडा को हड़ताल समाप्त करनी चाहिए।
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हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति से जूडा अपनी मांगों को लेकर संवाद करे।
हमारे द्वार बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं।
हम सब की प्राथमिकता मरीज़ों का इलाज है।
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— Vishvas Kailash Sarang (@VishvasSarang) June 4, 2021
हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति से जूडा अपनी मांगों को लेकर संवाद करे।
हमारे द्वार बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं।
हम सब की प्राथमिकता मरीज़ों का इलाज है।माननीय हाईकोर्ट के निर्देशानुसार जूडा को हड़ताल समाप्त करनी चाहिए।
— Vishvas Kailash Sarang (@VishvasSarang) June 4, 2021
हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति से जूडा अपनी मांगों को लेकर संवाद करे।
हमारे द्वार बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं।
हम सब की प्राथमिकता मरीज़ों का इलाज है।
सारंग का ट्वीट
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने ट्वीट कर हड़ताली डॉक्टरों से हाई कोर्ट के निर्देशों को मानने और काम पर लौट आने को कहा है. उन्होंने यह भी लिखा है कि हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति से जुड़ा अपनी मांगों को लेकर करें संवाद...बातचीत के लिए हमारे द्वार हमेशा खुले हैं, फिलहाल हमारी प्राथमिकता मरीजों के इलाज पर होनी चाहिए.
जारी हैं डॉक्टरों की इस्तीफे
हड़ताल के पांचवे दिन भी डॉक्टरों के समर्थन में इस्तीफों का सिलसिला जारी है. अभी तक 3000 हजार से ज्यादा डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं.
- कल पूरे मध्य प्रदेश के साथ-साथ ग्वालियर के जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज के 300 से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. समीर गुप्ता को सौंप दिए थे.
- जबलपुर में भी हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में 470 ज्यादा इस्तीफे हो चुके हैं.
- इंदौर में 500 से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर हैं. जबकि फाइनल ईयर के 91 स्टूडेंट्स का नामांकन रद्द कर दिया गया है.
- भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से भी कई डॉक्टरों के इस्तीफा देने की खबर है.
कहां कितने इस्तीफे
जिला | इस्तीफा |
ग्वालियर | 300 से ज्यादा |
जबलपुर | 470 से ज्यादा |
इंदौर | 500 से ज्यादा |
भोपाल | 470 जे ज्यादा डॉक्टर बर्खास्त किए गए. |
सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी किया काम बंद
ग्वालियर में जूनियर डॉक्टरों के साथ जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज के जयारोग्य अस्पताल में पदस्थ 60 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी काम बंद कर दिया है. ये डॉक्टर हड़ताली डॉक्टरों के सपोर्ट में आ गए हैं. इसे लेकर जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ का कहना है कि सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को हड़ताल करने का कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि वे सरकारी डॉक्टर है और इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही इनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
450 से ज्यादा पीजी स्टूडेंट्स बर्खास्त
इससे पहले गुरुवार को सरकार ने डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए 450 से ज्यादा पीजी स्टूडेंट के नामांकन रद्द करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया था. इसे हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ की बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है.वहीं जूनियर डॉक्टर इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कह रहे हैं.
सीट छोड़ने पर जमा करनी होगी पूरी फीस
अब मेडिकल कॉलेज की सीट छोड़ने पर छात्रों को संपूर्ण अवधि का शैक्षणिक शुल्क जमा करना होगा. यह नियम वर्ष 2018 से एडमिशन लेने वाले सभी विद्यार्थियों पर लागू होगा. अब निजी चिकित्सा एवं निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालय की सीट छोड़ने पर संबंधित निजी संस्था में संचालित पाठ्यक्रम की पूरी अवधि की फीस शासन को देनी होगी. चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने बताया कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में नीट से चयनित विद्यार्थियों को चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में मेरिट के आधार पर प्रवेश के लिये शासन द्वारा "मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम-2018 एवं संशोधन 19 जून, 2019'' के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित किेए जाते हैं. इसके मुताबिक अभ्यर्थी के द्वारा त्याग-पत्र दिये जाने की दशा में उस पर सीट छोड़ने संबंधी बंधपत्र की शर्तें लागू होंगी. चिकित्सा शिक्षा आयुक्त के मुताबिक किसी भी पीजी स्टूडेंट द्वारा किसी भी कारण से सीट छोड़ने की दशा में 10 से 30 लाख रुपये तक की राशि संबंधित महाविद्यालय के खाते में जमा करना अनिवार्य रहेगी.