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श्मशान घाटों पर लाशों के ढेर, देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

मध्य प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है, हालात ये हैं कि प्रदेश के श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को लाइन लगानी पड़ रही है. यही नहीं एक साथ कई लाशों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है. देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.

Cremation Ghats Ground Report
श्मशान घाटों की ग्राउंड रिपोर्ट
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Published : Apr 14, 2021, 12:31 PM IST

Updated : Apr 14, 2021, 2:55 PM IST

भोपाल। गैस त्रासदी के 36 साल बाद, एक बार फिर झीलों की नगरी में लाशों का ढेर पड़ा है. कोरोना कर्फ्यू के सन्नाटों के बीच सैकड़ों चींख-पुकारें ऐसे हैं. जिसे सुनने की नहीं, महसूस करने की जरुरत है. किसी का बेटा तो किसी का पिता और न जाने कौन-कौन, एक झटके में कई जिंदगियां उजड़ गई. हर दिन सैकड़ों कहानियां, इन कहानियों के बीच लाशों की एक और कहानी है. जिसे देखकर आपकी रूह कांप जाएगी. हम बाद कर रहे हैं मध्य प्रदेश के श्मशान घाट की. जहां दिन हो या रात चिताएं सुलगती रहती है.

श्मशान घाटों पर लाशों का ढेर
  • इंदौर का मुक्तिधाम

इंदौर शहर के श्मशान घाट पर भी यही हाल है, एक के बाद एक लाशें आ रही है, यहां तक की लोगों को लाइन लगानी पड़ रही है. लकड़ी का इंतजाम कम होने से अब उपले से शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. यहां के मुक्तिधामों में दाह संस्कार करने में समस्या आ रही है. इस तरह की तस्वीरें रोजाना सामने आ रही है. सयाजी मुक्तिधाम में भी ऐसे ही कुछ दृश्य देखने को मिले, जहां पर एक ही दिन में कई लाश पहुंचने के बाद श्मशान घाट में दाह संस्कार करने के लिए जगह नहीं मिली. इसके बाद वहां पर विभिन्न तरह की व्यवस्था कर अंतिम संस्कार किया गया. आमतौर पर सामान्य दिनों में श्मशान में तीन या चार बॉडी पहुंचती है, लेकिन जब से कोरोना संक्रमण ने पैर पसारना शुरू किया है, तब से दाह संस्कार की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. प्रत्येक श्मशान घाट में 10 से 15 बॉडी पहुंच रही है.

क्या हैं इंदौर के हालात ?
  • श्मशान घाट पड़ रहे कम

शहर की आबादी तकरीबन 30 लाख के आसपास है. आबादी को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में मुक्तिधामों का निर्माण नगर निगम ने करवाया है. पश्चिम क्षेत्र में पंचकुइया मुक्तिधाम मौजूद है, तो वहीं पूर्वी क्षेत्र में सयाजी मालवा मिल और तिलक नगर मुक्तिधाम मौजूद है. इन मुक्तिधामों की बात करें, तो सामान्य दिनों में यहां पर काफी कम संख्या में दाह संस्कार होते थे, जिसके कारण यहां पर आसानी से दाह का अंतिम संस्कार कर दिया जाता था, लेकिन जिस तरह से कोरोना संक्रमण अपने पैर पसार रहा है. उसके बाद एकदम से इन मुक्तिधाम में शवों के आने का ग्राफ बढ़ गया है. इसके कारण इन मुक्तिधाम में जगह की कमी भी देखने को मिल रही है. एक साथ कई शव प्रबंधक को जलाने भी पड़ रहे हैं. मुक्तिधाम प्रबंधक ने जो कुर्सियां परिजनों के बैठने के लिए लगा रखी थी, उन्हें हटाकर वहां पर ही दाह संस्कार करने की व्यवस्था कर दी गई है.

भोपाल का श्मशान घाट
  • भोपाल के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं

राजधानी भोपाल में कोरोना महामारी के चलते मौत के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं. यही कारण है कि श्मशान घाटों पर शव लाने के लिए जगह कम पड़ती जा रही है. भदभदा श्मशान घाट पर रोज 30 से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. ऐसे में इलेक्ट्रिक शव गृह के पास पड़े सपाट मैदान में शवों का अंतिम संस्कार किया गया जाता है. हालत ये है कि अंतिम संस्कार के लिए अब विश्राम गृह में जगह तक नहीं बची है.

  • कम पड़ी चिता जलाने के लिए जगह

भदभदा विश्राम गृह के प्रबंधक अजीत चौधरी और सचिव ममता शर्मा का कहना है, कि वे दिन-रात यहां की व्यवस्था में लगे हैं. पहले लकड़ी की कमी थी, अब उसे दुरुस्त कर लिया गया है. निजी वेंडरो से लकड़ियां मंगाई जा रही हैं. इलेक्ट्रिक शवदाह गृह भी शुरू कर दिया है. इसके साथ ही विकल्प के तौर पर बुधवार को शवों की संख्या अधिक होने के कारण समतल स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया था. आज भी अमूमन स्थिति वही है. सुबह से अभी तक 24 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है.

जबलपुर श्मशान घाट का हाल
  • जबलपुर में श्मशान घाट पर लगी लाइन

जबलपुर के चौहानी मुक्तिधाम जिसे कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए आरक्षित किया गया है. वहां शनिवार के दिन 17 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया.

  • मरघट में अंतिम संस्कार की जगह नहीं

इस श्मशान घाट में एक साथ 8 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है, लेकिन लगातार कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है. शुक्रवार को भी यहां पर 12 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया. शनिवार को फिर 17 लोगों का अंतिम संस्कार श्मशान घाट में किया गया. इसलिए शेड में जगह नहीं बची और बरामदे में चिता जलाकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

  • मोक्ष संस्था और नगर निगम की टीम

कोरोना महामारी की वजह से तीन जगहों पर ज्यादा मौतें होने के कारण नगर निगम की एक टीम और सामाजिक संस्था मोक्ष के कार्यकर्ता अंतिम संस्कार कर रहे हैं. शनिवार को मोक्ष संस्था ने 5 लोगों का और नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अमले ने 12 लोगों का अंतिम संस्कार किया. संकट की इस घड़ी में मोक्ष संस्था के कार्यकर्ता सेवाभाव से काम कर रहे हैं. वहीं नगर निगम के स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी पुरानी तनख्वाह पर ही इस जोखिम भरे काम को करने के लिए मजबूर हैं.

  • दो हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित

जबलपुर में परिस्थिति बहुत विकट है. अभी भी दो हजार से ज्यादा लोग अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. इसलिए आने वाले कुछ दिनों तक इस श्मशान घाट की स्थिति कुछ ऐसी ही बनी रहेगी. शहर में लॉकडाउन रहेगा, लेकिन मरघट में हलचल रहेगी. यह परिस्थिति बहुत खराब है.

कोरोना संक्रमण से मौतों के आंकड़े छुपा रही MP सरकार !

  • छिंदवाड़ा में 37 शवों का अंतिम संस्कार

शहर के श्मशान घाटों में कुल 37 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया. सिर्फ परतला मोक्षधाम में 23 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया. नागपुर रोड श्मशान घाट में 9 मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया. वहीं कब्रिस्तान में भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत 5 मृतकों को सुपुर्दे-ए-खाक किया गया. लेकिन हर जगह अंतिम संस्कार करने में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी बात ये है कि कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा रोजाना बढ़ रहा है. अगर कोरोना संक्रमण पर लगाम नहीं लगी. तो ऐसे ही मौत के आंकड़े बढ़ते रहेंगे.

  • रतलाम में दाह संस्कार की संख्या अचानक बढ़ी

रतलाम। कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच अब शहर में हो रही मौतों के आंकड़े चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के आंकड़े चाहे कुछ भी कह रहे हों, लेकिन मुक्तिधामों में अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है.

  • कोरोना से मरने के बाद भी चैन नहीं!

भक्तन की बावड़ी मुक्तिधाम में सुबह 6 कोरोना संदिग्ध मृतकों का दाह संस्कार किया गया, जहां दाह संस्कार के लिए पहुंचे परिजनों को इंतजार करना पड़ा. वहीं जवाहर नगर स्थित मुक्तिधाम और त्रिवेणी मुक्तिधाम पर भी अप्रैल महीने में दाह संस्कार की संख्या अचानक से बढ़ गई है.

  • रोजाना बढ़ रही कोरोना से मरने वालों की संख्या

मिली जानकारी के अनुसार, जब यहां के कर्मचारियों से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि पहले एक-दो शव दाह संस्कार के लिए लाए जाते थे, लेकिन अब यह संख्या एक अप्रैल के बाद से बढ़ रही है. जवाहर नगर मुक्तिधाम में प्रतिदिन 3 से 4 दाह संस्कार किए जा रहे हैं. वहीं त्रिवेणी मुक्तिधाम में भी 3 से 4 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. भक्तन की बावड़ी पर दाह संस्कार का आंकड़ा रविवार के दिन सात पर पहुंच गया. इसके अलावा एक अन्य मृतक का भी दाह संस्कार भक्तन की बावड़ी पर किया गया.

बहरहाल, भक्तन की बावड़ी मुक्तिधाम में हुए कोरोना संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार के मामले में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और स्थानीय निगम प्रशासन द्वारा कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन इस घटना से शहर में चिंता का विषय बना हुआ है.

भोपाल। गैस त्रासदी के 36 साल बाद, एक बार फिर झीलों की नगरी में लाशों का ढेर पड़ा है. कोरोना कर्फ्यू के सन्नाटों के बीच सैकड़ों चींख-पुकारें ऐसे हैं. जिसे सुनने की नहीं, महसूस करने की जरुरत है. किसी का बेटा तो किसी का पिता और न जाने कौन-कौन, एक झटके में कई जिंदगियां उजड़ गई. हर दिन सैकड़ों कहानियां, इन कहानियों के बीच लाशों की एक और कहानी है. जिसे देखकर आपकी रूह कांप जाएगी. हम बाद कर रहे हैं मध्य प्रदेश के श्मशान घाट की. जहां दिन हो या रात चिताएं सुलगती रहती है.

श्मशान घाटों पर लाशों का ढेर
  • इंदौर का मुक्तिधाम

इंदौर शहर के श्मशान घाट पर भी यही हाल है, एक के बाद एक लाशें आ रही है, यहां तक की लोगों को लाइन लगानी पड़ रही है. लकड़ी का इंतजाम कम होने से अब उपले से शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. यहां के मुक्तिधामों में दाह संस्कार करने में समस्या आ रही है. इस तरह की तस्वीरें रोजाना सामने आ रही है. सयाजी मुक्तिधाम में भी ऐसे ही कुछ दृश्य देखने को मिले, जहां पर एक ही दिन में कई लाश पहुंचने के बाद श्मशान घाट में दाह संस्कार करने के लिए जगह नहीं मिली. इसके बाद वहां पर विभिन्न तरह की व्यवस्था कर अंतिम संस्कार किया गया. आमतौर पर सामान्य दिनों में श्मशान में तीन या चार बॉडी पहुंचती है, लेकिन जब से कोरोना संक्रमण ने पैर पसारना शुरू किया है, तब से दाह संस्कार की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. प्रत्येक श्मशान घाट में 10 से 15 बॉडी पहुंच रही है.

क्या हैं इंदौर के हालात ?
  • श्मशान घाट पड़ रहे कम

शहर की आबादी तकरीबन 30 लाख के आसपास है. आबादी को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में मुक्तिधामों का निर्माण नगर निगम ने करवाया है. पश्चिम क्षेत्र में पंचकुइया मुक्तिधाम मौजूद है, तो वहीं पूर्वी क्षेत्र में सयाजी मालवा मिल और तिलक नगर मुक्तिधाम मौजूद है. इन मुक्तिधामों की बात करें, तो सामान्य दिनों में यहां पर काफी कम संख्या में दाह संस्कार होते थे, जिसके कारण यहां पर आसानी से दाह का अंतिम संस्कार कर दिया जाता था, लेकिन जिस तरह से कोरोना संक्रमण अपने पैर पसार रहा है. उसके बाद एकदम से इन मुक्तिधाम में शवों के आने का ग्राफ बढ़ गया है. इसके कारण इन मुक्तिधाम में जगह की कमी भी देखने को मिल रही है. एक साथ कई शव प्रबंधक को जलाने भी पड़ रहे हैं. मुक्तिधाम प्रबंधक ने जो कुर्सियां परिजनों के बैठने के लिए लगा रखी थी, उन्हें हटाकर वहां पर ही दाह संस्कार करने की व्यवस्था कर दी गई है.

भोपाल का श्मशान घाट
  • भोपाल के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं

राजधानी भोपाल में कोरोना महामारी के चलते मौत के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं. यही कारण है कि श्मशान घाटों पर शव लाने के लिए जगह कम पड़ती जा रही है. भदभदा श्मशान घाट पर रोज 30 से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. ऐसे में इलेक्ट्रिक शव गृह के पास पड़े सपाट मैदान में शवों का अंतिम संस्कार किया गया जाता है. हालत ये है कि अंतिम संस्कार के लिए अब विश्राम गृह में जगह तक नहीं बची है.

  • कम पड़ी चिता जलाने के लिए जगह

भदभदा विश्राम गृह के प्रबंधक अजीत चौधरी और सचिव ममता शर्मा का कहना है, कि वे दिन-रात यहां की व्यवस्था में लगे हैं. पहले लकड़ी की कमी थी, अब उसे दुरुस्त कर लिया गया है. निजी वेंडरो से लकड़ियां मंगाई जा रही हैं. इलेक्ट्रिक शवदाह गृह भी शुरू कर दिया है. इसके साथ ही विकल्प के तौर पर बुधवार को शवों की संख्या अधिक होने के कारण समतल स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया था. आज भी अमूमन स्थिति वही है. सुबह से अभी तक 24 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है.

जबलपुर श्मशान घाट का हाल
  • जबलपुर में श्मशान घाट पर लगी लाइन

जबलपुर के चौहानी मुक्तिधाम जिसे कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए आरक्षित किया गया है. वहां शनिवार के दिन 17 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया.

  • मरघट में अंतिम संस्कार की जगह नहीं

इस श्मशान घाट में एक साथ 8 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है, लेकिन लगातार कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है. शुक्रवार को भी यहां पर 12 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया. शनिवार को फिर 17 लोगों का अंतिम संस्कार श्मशान घाट में किया गया. इसलिए शेड में जगह नहीं बची और बरामदे में चिता जलाकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

  • मोक्ष संस्था और नगर निगम की टीम

कोरोना महामारी की वजह से तीन जगहों पर ज्यादा मौतें होने के कारण नगर निगम की एक टीम और सामाजिक संस्था मोक्ष के कार्यकर्ता अंतिम संस्कार कर रहे हैं. शनिवार को मोक्ष संस्था ने 5 लोगों का और नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अमले ने 12 लोगों का अंतिम संस्कार किया. संकट की इस घड़ी में मोक्ष संस्था के कार्यकर्ता सेवाभाव से काम कर रहे हैं. वहीं नगर निगम के स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी पुरानी तनख्वाह पर ही इस जोखिम भरे काम को करने के लिए मजबूर हैं.

  • दो हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित

जबलपुर में परिस्थिति बहुत विकट है. अभी भी दो हजार से ज्यादा लोग अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. इसलिए आने वाले कुछ दिनों तक इस श्मशान घाट की स्थिति कुछ ऐसी ही बनी रहेगी. शहर में लॉकडाउन रहेगा, लेकिन मरघट में हलचल रहेगी. यह परिस्थिति बहुत खराब है.

कोरोना संक्रमण से मौतों के आंकड़े छुपा रही MP सरकार !

  • छिंदवाड़ा में 37 शवों का अंतिम संस्कार

शहर के श्मशान घाटों में कुल 37 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया. सिर्फ परतला मोक्षधाम में 23 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया. नागपुर रोड श्मशान घाट में 9 मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया. वहीं कब्रिस्तान में भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत 5 मृतकों को सुपुर्दे-ए-खाक किया गया. लेकिन हर जगह अंतिम संस्कार करने में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी बात ये है कि कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा रोजाना बढ़ रहा है. अगर कोरोना संक्रमण पर लगाम नहीं लगी. तो ऐसे ही मौत के आंकड़े बढ़ते रहेंगे.

  • रतलाम में दाह संस्कार की संख्या अचानक बढ़ी

रतलाम। कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच अब शहर में हो रही मौतों के आंकड़े चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के आंकड़े चाहे कुछ भी कह रहे हों, लेकिन मुक्तिधामों में अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है.

  • कोरोना से मरने के बाद भी चैन नहीं!

भक्तन की बावड़ी मुक्तिधाम में सुबह 6 कोरोना संदिग्ध मृतकों का दाह संस्कार किया गया, जहां दाह संस्कार के लिए पहुंचे परिजनों को इंतजार करना पड़ा. वहीं जवाहर नगर स्थित मुक्तिधाम और त्रिवेणी मुक्तिधाम पर भी अप्रैल महीने में दाह संस्कार की संख्या अचानक से बढ़ गई है.

  • रोजाना बढ़ रही कोरोना से मरने वालों की संख्या

मिली जानकारी के अनुसार, जब यहां के कर्मचारियों से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि पहले एक-दो शव दाह संस्कार के लिए लाए जाते थे, लेकिन अब यह संख्या एक अप्रैल के बाद से बढ़ रही है. जवाहर नगर मुक्तिधाम में प्रतिदिन 3 से 4 दाह संस्कार किए जा रहे हैं. वहीं त्रिवेणी मुक्तिधाम में भी 3 से 4 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. भक्तन की बावड़ी पर दाह संस्कार का आंकड़ा रविवार के दिन सात पर पहुंच गया. इसके अलावा एक अन्य मृतक का भी दाह संस्कार भक्तन की बावड़ी पर किया गया.

बहरहाल, भक्तन की बावड़ी मुक्तिधाम में हुए कोरोना संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार के मामले में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और स्थानीय निगम प्रशासन द्वारा कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन इस घटना से शहर में चिंता का विषय बना हुआ है.

Last Updated : Apr 14, 2021, 2:55 PM IST
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