भोपाल। आबकारी विभाग द्वारा भोपाल में किए गए औचक निरीक्षण के बाद शहर की सभी शराब दुकानें बंद कर दी गई हैं. नाराज शराब ठेकेदारों के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा लाई गई नई शराब पाॅलिसी फ्लाॅप होने के चलते अब प्रशासन द्वारा ठेकेदारों पर दवाब बनाने को लेकर लगातार निरीक्षण किया जा रहा है और दुकानों पर कार्रवाई की जा रही है. नई पाॅलिसी में जो दुकानों के ग्रुप की दरें तय की गई है, वह बहुत ही अव्यवहारित हैं. यही वजह है कि इंदौर, भोपाल, सागर में आधी दुकानें भी नीलाम नहीं हो सकी हैं.
औचक निरीक्षण के बाद बंद की दुकानें
आबकारी विभाग ने शराब की दुकानों पर रूटीन चैकिंग के बहाने छापामार कार्रवाई की. इस दौरान दुकानों पर चैकिंग करते हुए बिना रसीद के शराब बेचने, एक्सपायरी बीयर बेचने जैसे मामलों में कार्रवाई की गई. कार्रवाई के बाद दुकानों पर शराब की बिक्री को भी रोक दिया गया. विभाग द्वारा शराब की दुकानों को बंद कराया गया है. हालांकि आबकारी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक चैकिंग के विरोध में शराब ठेकेदारों द्वारा दुकानें बंद की गई हैं. जिला आबकारी अधिकारी सजेन्द्र मौरी के मुताबिक शिकायतों के बाद रूटीन चैकिंग की गई थी, जिसके विरोध में दुकानें बंद की गई है, इन्हें जल्द खुलवाया जा रहा है.
ठेकेदार बोले विभाग मनमर्जी पर उतरा
रूटीन चैकिंग के बाद की जा रही कार्रवाई को लेकर शराब ठेकेदारों ने कड़ा विरोध जताया है. ठेकेदारों के मुताबिक सरकार द्वारा लाई गई शराब की नई पाॅलिसी फ्लाॅप हो चुकी है. अब इस तरह की कार्रवाई कर ठेकेदारों पर जबरन दुकानें लेने का दवाब बनाया जा रहा है. भोपाल ग्रुप के ठेकेदार शिवहरे ग्रुप का भोपाल का काम देखने वाले केपी सिंह के मुताबिक सरकार द्वारा लाई गई नई पाॅलिसी अव्यवहारिक है. इसमें किए गए प्रावधान और निर्धारित की गई दरें इतनी ज्यादा हैं, जिसके तहत काम करना घाटे का सौदा साबित होगा. लेकिन अब विभाग जबरन दुकानें लेने के लिए ठेकेदारों पर दवाब बना रहा है. हालांकि इसको लेकर भोपाल कलेक्टर अविनाश लबानिया से बात करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.
भोपाल में सिर्फ 11 ग्रुप ही हो सके नीलाम
मोनोपोली खत्म करने के लिए लाई गई नई शराब पाॅलिसी के तहत भोपाल में शराब की दुकानों के 1057 करोड़ के 33 ग्रुप बनाए गए. जिसमें से 11 ग्रुप की दुकानों की ही नीलामी हो सकी है. इससे 318 करोड़ का राजस्व मिलेगा, आबकारी विभाग की नई नीति के आने के बाद पूरे प्रदेश में 12 हजार करोड़ से ज्यादा में शराब दुकानों के जाने का आकलन था, लेकिन 60 फीसदी ठेके ही नीलामी हो सके हैं.