भोपाल. अपने बयानों के लिए चर्चित रहने वाली भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का फोकस अब अपने संसदीय क्षेत्र के किसानों पर है. साध्वी अब जल्द ही किसानों के लिए जनसुनवाई शुरु करेंगी. किसान सुनवाई के नाम से लगने वाली यह चौपाल पहले बैरसिया और फिर सीहोर में लगेगी. सोमवार को पीएम द्वारा किसानों के खाते में भेजी गई सम्मान निधि को लेकर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए किसानों ने प्रज्ञा ठाकुर के सामने अपनी समस्याएं रखीं थी. जिसके बाद उन्होंने किसान सुनवाई करने का फैसला लिया है.
किसानों को मौके पर ही मिलेगा समस्याओं का हल: सोमवार को सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में एग्री स्टार्टअप कॉन्क्लेव और किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था. आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को वर्चुअल संबोधित करते हुए देश के आठ करोड़ किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि की राशि भेजी थी. इसी कार्यक्रम के दौरान पहुंचे बैरसिया और फंदा के किसानों ने सांसद प्रज्ञा ठाकुर के सामने अपनी समस्याएं रखना शुरू कर दिया. जिसके बाद सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने इस बात का ऐलान किया कि भोपाल, बैरसिया ,सीहोर के किसानों की अलग अलग सुनवाई की जाएगी और मौके पर ही उनकी समस्याओं का निपटारा किया जाएगा.
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बैरसिया,सीहोर में पहली किसान सुनवाई : साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि हर सुनवाई में अधिकारियों की भी मौजूदगी रहेगी. जिससे किसानों की समस्याओं का ऑन द स्पॉट निराकरण किया जाएगा. सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि बैरसिया में हरसिध्दि माता मंदिर में किसानों की जनसुनवाई होगी. इसके साथ ही उन्होंने मंच से फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट भी जल्द ही लगाए जाने का एलान भी किया. बैरसिया के अलावा सीहोर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी किसानों के लिए जनसुनवाई की जाएगी.
चुनावी मोड में आईं साध्वी: राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि किसान सुनवाई शुरू करने का ऐलान कर क्या साध्वी ने 2023-24 की चुनावी तैयारी शुरू कर दी.भोपाल लोकसभा सीट पर भी बड़ा वर्ग ग्रामीण वोटर का भी है. उनकी इस कवायद को यही माना जा रहा है कि चुनावी मोड में आ चुकीं साध्वी किसानों से संवाद के जरिए अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश में हैं, हांलाकि सांसद प्रज्ञा ठाकुर को दुबारा भोपाल लोकसभा सीट से मौका मिलेगा भी कि नहीं इसे लेकर संशय बना हुआ है. लेकिन जिस ढंग से साध्वी किसानों की सुनवाई के लिए जनसुनवाई शुरु करने जा रही हैं. कयास ये भी हैं कि कहीं ये उनकी चुनावी जमावट तो नहीं.