भोपाल। 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उसके पहले ही बीजेपी में अंतरकलह नजर आने लगा है. मामला भोपाल नगर निगम से जुड़ा है, जहां पर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग और गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर आमने सामने नजर आ रहे हैं. एमआईसी में विभाग बंटवारे के बाद विवाद इतना बढ़ गया कि, विभागों से इस्तीफा देने वाले एमआईसी सदस्य छाया ठाकुर और जितेंद्र शुक्ला, विधायक कृष्णा गौर के निवास पर पहुंचे. इनके साथ में बीजेपी के तमाम गोविंदपुरा के 17 पार्षद भी पहुंचे और घंटो तक मंत्रणा की, जिसको लेकर पार्षदों का साफ तौर पर कहना था कि विभाग बंटवारे में गोविंदपुरा क्षेत्र को पीछे रखा गया है और उसकी उपेक्षा की गई है. Bhopal MIC battle for supremacy
विश्वास सारंग और कृष्णा गौर के बीच खींचतान: गोविंदपुरा विधानसभा को बीजेपी का गढ़ माना जाता है और यहां से 10 बार बाबूलाल गौर विधायक रहे हैं, और मुख्यमंत्री तक बने हैं. उनके निधन के बाद से कृष्णा गौर को यह सीट मिली है, उस समय भी विरोध के बाद ही यह सीट कृष्णा गौर को मिली थी. दरअसल जब भोपाल से महापौर का नाम चल रहा था उस दौरान कृष्णा गौर को ही महापौर का चुनाव लड़ने के लिए संगठन द्वारा बोला गया था, क्योंकि भोपाल महापौर की सीट ओबीसी महिला की थी. लेकिन कृष्णा ने इस दौरान यह शर्त रखी थी कि वह महापौर चुनाव के साथ ही 2023 का विधानसभा का चुनाव भी लड़ेंगी. यही स्थिति इंदौर में भी थी, जिसके बाद संगठन ने विश्वास सारंग की अनुशंसा पर उनकी समर्थक मालती राय को महापौर का टिकट दिया और वह जीत गई. ऐसे में माना जा रहा है कि विश्वास सारंग और कृष्णा गौर की खींचतान के चलते यह स्थिति बनी है, इस मामले में विश्वास सारंग का अभी तक कोई भी बयान सामने नहीं आया है और ना ही उन्होंने कुछ बोला है.mla krishna gaur
संगठन करेगा मामले पर निर्णय: विधायक कृष्णा गौर ने कहा कि, "गोविंदपुरा क्षेत्र से एमआईसी में शामिल दोनों पार्षदों को छोटे विभाग दिए गए हैं, और गोविंदपुरा क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है. उन्होंने इस मामले में भले ही किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि यह मामला संगठन तक भी जाएगा और संगठन जो निर्णय लेगा वह स्वीकार होगा."
कांग्रेस ने ली चुटकी: अब कांग्रेस इस मामले में चुटकी ले रही है. कांग्रेस का कहना है कि वह तो शुरू से ही कह रही है कि महापौर मालती राय, चिकित्सा शिक्षा मंत्री के इशारों पर ही हर काम कर रही हैं. ऐसे में सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है, इसका परिणाम जनता 2023 में दिखाएगी."minisiter Vishvas sarang
भाजपा को भुगतना पड़ सकता है खामियाजा: फिलहाल इसका खामियाजा 2023 के चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है, क्योंकि गोविंदपुरा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है और ऐसे में यहां उपजे इस विवाद के बाद सबकी निगाह इस सीट पर बन गई है. अब ये विवाद कब शांत होगा देखने वाली बात है. Bhopal MIC controversy