भोपाल। प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांगों को आज से हड़ताल पर हैं. हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों का कहना है कि वे 17 मई से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में हड़ताल ही उनके लिए एकमात्र रास्ता है. कोरोना काल में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल पर जाने का असर भी प्रदेश में दिखाई देने लगा है. राजधानी के जेपी अस्पताल में बने वैक्सीनेशन सेंटर को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है. वहीं आज से कोविड वार्ड में काम कर रहे संविदा कर्मियों ने भी हड़ताल मेें शामिल होने का फैसला लिया है. ऐसे में प्रदेश की स्वास्थय व्यवस्था चरमरा सकती है.
मांगे न मानने पर हड़ताल पर गए
- एनएचएम द्वारा 2018 की नीति को लागू कर वेतनमान दिया जाए.
- हटाए गए स्वास्थ्य संविदा कर्मचारियों को बहाल करने की मांग.
- संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील यादव का कहना था कि सरकार अगर मांगे नहीं मानेगी तो यह हड़ताल जारी रहेगी.
ईटीवी भारत ने की प्रदेश अध्यक्ष से बात
ईटीवी भारत ने हड़ताल को लेकर संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील यादव से बात की.
सवाल- आप यह हड़ताल क्यों कर रहे हैं.
जवाब- संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी एचएचएम 2018 की नीतियों को लागू करने को लेकर लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं और 2018 में कैबिनेट में पारित हुए आदेश को माने जाने की मांग कर रहे हैं. जिसके अनुसार इनको भी नियमित वेतनमान दिया जाए. दूसरी मांग उन कर्मचारियों को लेकर है, जिन्हें एनएचएम ने हटा दिया है वर्तमान में स्टाफ की कमी के चलते उनके बहाली की जाए.
हमें भी मरीजों की चिंता, हमारी भी तो सुने सरकार
हड़ताल में शामिल लोगों से जब इस बात को लेकर सवाल किया गया कि आपके हड़ताल पर जाने से मरीजों को काफी नुकसान होगा, वैक्सीनेशन का काम भी प्रभावित होगा. ऐसे में कोरोना काल के दौरान जब लोगों को पैरा मेडिकल स्टॉफ की ज्यादा जरूरत है, तब हड़ताल पर जाना कितना उचित है. इसके जवाब में स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि उन्हें भी मरीजों की चिंता है, लेकिन वे अपनी मांगों पर लंबे समय से सरकार का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में उनके परिवार का भी कैसे भरण-पोषण होगा.
2500 स्प स्टॉफ भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
मेडिकल सपोर्ट स्टॉफ कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कोमल सिंह का आरोप है कि लगभग 2500 सपोर्ट स्टॉफ 12 साल से संविदा पर काम कर रहे थे. अब उन्हें आउटसोर्स एजेंसी के अधीन कर दिया गया है. जहां इन कर्मचारियों का शोषण हो रहा है. राज्य कोरोना नियंत्रण के काम में आशा कार्यकर्ताओं और सहयोगिनियां ही कर रही हैं, लेकिन उनका शोषण किया जा रहा है. उनकी मांगों को अनसुना किया है, इसलिए विरोध दर्ज कराना कर्मचारियों की मजबूरी बन गई है.
ये पड़ेगा असर
- संविदा स्वास्थ्यकर्मियों में डॉक्टर, महिला- पुरूष स्वास्थ्यकर्मी, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, कम्प्यूटर ऑपरेटर, एएनएम, स्टॉफ नर्स, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर, सामुदायिक चिकित्सा अधिकारी शामिल होते हैं. इनके हड़ताल पर जाने से व्यवसथाएं चरमरा जाएंगी. क्योंकि इनकी संख्या 19 हजार से अधिक है.
- सपोर्ट स्टॉफ जिला अस्पतालों, नवजात शिशु चिकित्सा इकाईयों में काम करते हैं, इनके हड़ताल पर जाने से भी दिक्कतें होनी तय है.
- आशा कार्यकर्ता- सहयोगिनी मैदानी स्तर पर कार्यरत है. ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना जांच और दवा बांटना इन्हीं पर निर्भर है. यहां भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
आयुष डॉक्टर भी हड़ताल पर जाएंगे
अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर आयुष डॉक्टरों ने आज स्वास्थ्य विभाग कार्यालय पहुंचकर सीएमएचओ से मुलाकात की. आयुष डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कोरोना काल से प्रदेश में कोरोना महामारी का इलाज करने में 40 फीसदी एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी के चलते आयुष डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ से काम लिया जा रहा है, लेकिन इनके मानदेय और रोजाना मिलने वाले भत्ते में एक साल से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. शासन के कोविड सेंटर, फीवर क्लिनिक और मेडिकल कॉलेजों में ड्यूटी करने वाले 1250 से ज्यादा आयुष डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को 25 हजार और 15 हजार महीना मानदेय मिल रहा है. वेतन बढ़ाए जाने की मांग को लेकर आयुष डॉक्टरों ने भी 25 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है.
ये हैं आयुष डॉक्टरों की मांगे
- सभी आयुष डॉक्टरों को सविधा नियुक्ति की जाए.
- देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा मध्यप्रदेश में आयुष डॉक्टर सबसे कम वेतन पर काम कर रहे हैं, उसे बढ़ाया जाए.
आयुष डॉक्टरों का तर्क है कि जब एमबीबीएस को 60 हजार रुपए दिए जा रहे हैं, तो हमारा मानदेय भी बढ़ाया जाए. इसके साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ को 15 की जगह 25 हजार रुपए दिए जाएं. इन स्टाफ का कहना है कि हमसे 10 से 12 घंटे तक दिन-रात की शिफ्ट में ड्यूटी ली जा रही है, लेकिन मानदेय बढ़ाने को लेकर सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है. वहीं इस पूरे मामले में सीएमएचओ बीएस सेतिया का कहना था कि यह प्रदेश स्तर का मुद्दा है. प्रदेश में लगभग 9 हजार आयुष डॉक्टर कार्यरत है. इनमें से कुछ कोविड में भी सेवा दे रहे हैं. सीएमएचओ ने कहा कि आयुष के डॉक्टर MBBS डॉक्टरों से अपनी तुलना कर रहे हैं ओर वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. जबकि आयुष के डॉक्टरों की सेवाएं हर 3 माह में बढ़ाई जाती हैं. फिलहाल 31 मई तक के लिए ऐसा किया गया है.