रीवा। विश्व में विख्यात आम का राजा माना जाने वाला सुंदरजा आम रीवा के गोविंदगढ़ की खास पहचान है. विश्व में आमों की प्रदर्शनी में अपने वर्चस्व को बनाने वाला यह सुंदरजा आम राजा-महाराजाओं की पहली पसंद थी. अपनी मिठास से पहचान बनाने वाला सुंदरजा एक ऐसा आम है, जिसे डाक टिकट पर भी जगह मिल चुकी है.
इस आम की खास बात यह है कि सन् 1972 में इंदिरा गांधी की सरकार में इस सुंदरजा आम की फोटो पर डाक टिकट भी जारी किया गया था.
वैज्ञानिकों की मानें तो यह आम का वृक्ष विंध्य की माटी के अलावा और कहीं भी अपनी शाखाओं को नहीं फैलाता. कई बार इस पेड़ को विंध्य क्षेत्र के बाहर लगाने का प्रयास किया गया, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया. आज भी यह आम रीवा से लेकर विदेश तक का सफर तय कर अपने स्वाद की मिठास की विश्व भर में फैला रहा है. रीवा में मौजूद है प्रदेश का सबसे बड़ा आम अनुसंधान केंद्र यहां देश के कोने-कोने से मशहूर सैकड़ों आम की प्रजातियां पाई जाती हैं. इस अनुसंधान केंद्र की खासियत यह है कि इसमें खास नामों के साथ ही राजा-महाराजा, ब्रिटिश और युद्ध के नाम से भी आम के पेड़ मौजूद हैं.
यह आम अनुसंधान केंद्र कुठुलिया में है. यहां देशभर के मशहूर 123 प्रजातियों के आम पाए जाते हैं. इन सभी आमों की अपनी अलग-अलग खासियत है. वहीं कई राजा महाराजाओं के नाम पर भी यहां आम के पेड़ मौजूद हैं, जिसमें रीवा रियासत के महाराज मार्तंड सिंह, गुलाब सिंह, इतना ही नहीं बिंद के मशहूर युद्ध के नाम पर चौसा प्रमुख हैं. प्रदेश का सबसे बड़ा अनुसंधान केंद्र होने के कारण देखरेख में भी काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.
इस बगिया की रौनक आमों का राजा सुंदरजा को लेकर आम अनुसंधान वैज्ञानिक राम लखन जलेस ने बताया कि यह आम राजा महाराजाओं की पहली पसंद हुआ करती थी. गोविंदगढ़ से इसकी शुरुआत हुई, जिसके बाद रीवा के इस फॉर्म में सुंदरजा का वर्चस्व को बढ़ाने का काम किया गया. आज यह आम देश विदेश में अपनी छाप छोड़े हुए है और तो और विश्व प्रसिद्ध यह आम भारतीय डाक टिकट की शोभा भी बन चुका है.