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3 लोकसभा क्षेत्र में बंटे रतलाम जिले का नहीं हो पाया विकास, जानिए क्या कहते हैं यहां के लोग

रतलाम के संसदीय इतिहास में किसी जनप्रतिनिधि ने यहां की शिक्षा-व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिसकी वजह से हमारे युवाओं को शिक्षा के लिये बड़े शहरों में जाना पड़ता है. रोजगार के नाम पर उद्योग-धंधे खुलने के बजाय बंद होते जा रहे हैं.

रतलाम शहर
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Published : May 17, 2019, 7:57 PM IST

रतलाम। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर मतदान होना है. चुनावी माहौल है, ऐसे में चाय के दुकानों पर चुनावी चौपाल भी सजने लगी है. ऐसे ही एक चाय की दुकान पर हमारे सहयोगी ने शहर के कुछ बुजुर्गों और रिटायर्ड कर्मचारियों से शहर के विकास पर चर्चा की.

रतलाम के लोगों का राय


चाय की चुस्कियां लेते हुए सीनियर सिटिजन जीके शर्मा कहते हैं कि रतलाम के संसदीय इतिहास में किसी जनप्रतिनिधि ने यहां की शिक्षा-व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिसकी वजह से हमारे युवाओं को शिक्षा के लिये बड़े शहरों में जाना पड़ता है. रोजगार के नाम पर उद्योग-धंधे खुलने के बजाय बंद होते जा रहे हैं.


'विकास में रतलाम की अनदेखी'
वहीं भूपेंद्र सिंह ने कहा कि रतलाम जिला 3 लोकसभा क्षेत्रों मंदसौर, उज्जैन और रतलाम-झाबुआ में बंटा हुआ है. कहने को यहां 3 सांसद रिप्रेजेंट करते हैं पर विकास के मामले में जिला हमेशा अनदेखी का शिकार हो रहा है. उन्होंने कहा कि रतलाम को अलग लोकसभा क्षेत्र बनाया जाना चाहिए.


'बेरोजगारी और पानी की समस्या'
रिटायर्ड कर्मचारी ओपी श्रीवास्तव और प्रवीण जोशी ने कहा कि जिले में बेरोजगारी और पानी की समस्या सबसे ज्यादा है. आदिवासी क्षेत्रों के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. 20 साल तक सांसद रहे कांतिलाल भूरिया माही नदी का पानी रतलाम लाने की बात हर चुनाव में करते हैं, लेकिन धरातल पर अब तक कुछ भी नहीं हो पाया. वहीं पेंशनर्स की मांगों और समस्याओं पर भी न तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार ध्यान दे रही है.


बहरहाल जिले के असल मुद्दे और समस्याओं को इन वरिष्ठ नागरिकों ने उठाया है और मौजूदा जनप्रतिनिधियों और सरकार द्वारा नजरअंदाज किए जाने के बावजूद लोकतंत्र के त्योहार में इनकी गहरी आस्था है और मतदान करने और लोगों को प्रेरित करने की शपथ भी इन सीनियर सिटिजन्स ने ली है. वहीं आने वाली सरकार और जनप्रतिनिधियों से उम्मीद भी लगाई है कि जिले का विकास, शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में कार्य कर यहां से हो रहे पलायन को रोका जाये.

रतलाम। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर मतदान होना है. चुनावी माहौल है, ऐसे में चाय के दुकानों पर चुनावी चौपाल भी सजने लगी है. ऐसे ही एक चाय की दुकान पर हमारे सहयोगी ने शहर के कुछ बुजुर्गों और रिटायर्ड कर्मचारियों से शहर के विकास पर चर्चा की.

रतलाम के लोगों का राय


चाय की चुस्कियां लेते हुए सीनियर सिटिजन जीके शर्मा कहते हैं कि रतलाम के संसदीय इतिहास में किसी जनप्रतिनिधि ने यहां की शिक्षा-व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिसकी वजह से हमारे युवाओं को शिक्षा के लिये बड़े शहरों में जाना पड़ता है. रोजगार के नाम पर उद्योग-धंधे खुलने के बजाय बंद होते जा रहे हैं.


'विकास में रतलाम की अनदेखी'
वहीं भूपेंद्र सिंह ने कहा कि रतलाम जिला 3 लोकसभा क्षेत्रों मंदसौर, उज्जैन और रतलाम-झाबुआ में बंटा हुआ है. कहने को यहां 3 सांसद रिप्रेजेंट करते हैं पर विकास के मामले में जिला हमेशा अनदेखी का शिकार हो रहा है. उन्होंने कहा कि रतलाम को अलग लोकसभा क्षेत्र बनाया जाना चाहिए.


'बेरोजगारी और पानी की समस्या'
रिटायर्ड कर्मचारी ओपी श्रीवास्तव और प्रवीण जोशी ने कहा कि जिले में बेरोजगारी और पानी की समस्या सबसे ज्यादा है. आदिवासी क्षेत्रों के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. 20 साल तक सांसद रहे कांतिलाल भूरिया माही नदी का पानी रतलाम लाने की बात हर चुनाव में करते हैं, लेकिन धरातल पर अब तक कुछ भी नहीं हो पाया. वहीं पेंशनर्स की मांगों और समस्याओं पर भी न तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार ध्यान दे रही है.


बहरहाल जिले के असल मुद्दे और समस्याओं को इन वरिष्ठ नागरिकों ने उठाया है और मौजूदा जनप्रतिनिधियों और सरकार द्वारा नजरअंदाज किए जाने के बावजूद लोकतंत्र के त्योहार में इनकी गहरी आस्था है और मतदान करने और लोगों को प्रेरित करने की शपथ भी इन सीनियर सिटिजन्स ने ली है. वहीं आने वाली सरकार और जनप्रतिनिधियों से उम्मीद भी लगाई है कि जिले का विकास, शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में कार्य कर यहां से हो रहे पलायन को रोका जाये.

Intro: रतलाम जिले में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में मतदान होना है .धीरे-धीरे यहाँ भी चुनावी माहौल बनने लगा है और चौराहों की चाय की दुकानों पर चुनावी चौपाल भी सजने लगी है.ऐसी ही एक चाय की दुकान पर ईटीवी भारत ने बात की सीनियर सिटीजन और सेवानिवृत्त कर्मचारियों से जिन्होंने रतलाम जिले के चुनावी मुद्दों पर खुलकर बात की और अपने विचार व्यक्त किये है.मतदाता के रूप में अपने लंबे अनुभव को सांझा करते हुए इन सीनियर मतदाताओं ने 19 मई को होने वाले मतदान में भाग लेने की शपथ भी ली और लोगो को मतदान करने के लिये प्रेरित भी किया.



Body:चाय की चुस्कियां लेते हुए सीनियर सिटीजन जी के शर्मा कहते है कि रतलाम के संसदीय इतिहास में किसी जनप्रतिनिधि ने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया.जिसकी वजह से हमारे युवा शिक्षा के लिये बड़े शहरों की और पलायन कर रहे है.रोजगार के मामले में भी नये उद्योग धंधे खुलने की बजाय बंद होते चले गये.पेंशनर भूपेंद्र सिंह का कहना है की रतलाम जिला 3 लोकसभा क्षेत्रो मंदसौर ,उज्जैन और रतलाम-झाबुआ में बंटा हुआ है .कहने को यहाँ 3 सांसद रिप्रेजेंट करते है पर विकास के मामले में रतलाम जिला हमेशा अनदेखी का शिकार हो रहा है.रतलाम को अलग लोकसभा क्षेत्र बनाया जाना चाहिए.रिटायर्ड हो चुके कर्मचारी ओपी श्रीवास्तव और प्रवीण जोशी मानते है कि रतलाम में बेरोजगारी और पानी की समस्या सबसे ज्यादा है .आदिवासी क्षेत्रों में लोग दूसरे राज्यो में पलायन कर रहे है.20 साल तक सांसद रहे कांतिलाल भूरिया माही का पानी रतलाम लाने की बात हर चुनाव में करते है लेकिन धरातल पर अब तक कुछ भी नहीं हो पाया .वही पेंशनरों की मांगों समस्याओं पर भी न ही राज्य सरकार और केंद्र सरकार ध्यान दे रहे है.




Conclusion:बहरहाल रतलाम जिले के असल मुद्दे और समस्याओं को इन वरिष्ठ नागरिकों ने उठाया है और मोजूदा जनप्रतिनिधियों और सरकार द्वारा नजरअंदाज किए जाने के बावजूद लोकतंत्र के त्योहार में इनकी गहरी आस्था है और मतदान करने और लोगो को प्रेरित करने की शपथ भी इन सीनियर सिटीजन ने ली है.वही वाली सरकार और जनप्रतिनिधियों से उम्मीद भी लगाई है कि रतलाम जिले का विकास शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में कार्य कर यहां से हो रहे पलायन को रोका जाये.


बाइट-01-G K sharama(सीनियर सिटीजन) आगे से गंजे है.
बाइट-02-भूपेंद्र सिंह(पेंशनर)-मूंछो वाले ,सफेद शर्ट में चश्मा पहने
बाइट-03-OP श्रीवास्तव(पेंशनर) सफेद शर्ट ,चश्मा पहने
बाइट-04-प्रवीण जोशी(सीनियर सिटीजन) चेक्स वाला सफेद शर्ट पहने ,आगे से गंजे हैओ4
बाइट-05-सक्तयनारायन सोढा(सीनियर सिटीजन) सफेद बाल है सर पर
बाइट-06-मनमोहन यादव (पेंशनर) टीशर्ट पहने
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