पन्ना: प्राणनाथ संप्रदाय का विश्व का सबसे बड़ा मंदिर पन्ना में स्थित है. इस मंदिर का नाम श्री महामति प्राणनाथ जी मंंदिर है. इस मंदिर के अंदर गुंबद जी मंदिर के नाम से एक और मंदिर है. मंदिर में चमत्कारी कड़ा लगा हुआ है. जिसका इतिहास सैकड़ों बरस पुराना है. दावा किया जाता है इस चमत्कारी कड़े को धोकर उसका पानी पीने से कई असाध्य रोगों से लोगों को निजात मिलती है.
मंदिर के पीछे लगा चमत्कारी कड़ा
व्यास गद्दी के पुजारी दीपक शर्मा बताते हैं कि, ''चमत्कारी कड़े में महामति प्राणनाथ भगवान ने दिव्य शक्तियां समाहित की हैं. इसलिए इस कड़े को धोकर पानी पीने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिल जाती है. यह कड़ा प्राणनाथ जी मंदिर परिसर में गुंबद जी मंदिर के पीछे आज भी लगा हुआ है. इस कड़े से लोगों की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं. लोग इस कड़े की पूजा अर्चना करते हैं एवं कड़े को सिर में लगाकर चूमते हैं. कई लोग इस कड़े को धोकर पानी पीते हैं, जिससे उन्हें असाध्य रोगों से निजात मिल गई है.''
महामति प्राणनाथ ने नदी में फेंकी थी पारस मणि
व्यास गद्दी के पुजारी दीपक शर्मा बताते हैं कि, ''400 वर्ष पूर्व लछ्छी दास जी महाराज हुआ करते थे, जिनके पास पारस मणि थी. वह पारस मणि उन्होंने महामति प्राणनाथ जी को दी और कहा कि सारे मंदिर सोने के कर दीजिए. महामति प्राणनाथ जी ने वह पारस मणि किलकिला नदी में फेंक दी. जिससे लछ्छी दास जी महाराज बहुत नाराज हो गए और वियोग में चले गए. वह कई महीनों तक मंदिर नहीं आए. फिर महामति प्राणनाथ जी ने लछ्छी दास जी को बुलवाया तो उन्होंने कहा कि, आपने पारस मणि किलकिला नदी में फेंक दी वह मेरी जीवन की पूंजी थी.''
कड़े में दिव्य शक्तियां होने का दावा
''लछ्छी दास बोले, मैं सभी मंदिर सोने के करना चाहता था. तो महामति प्राणनाथ जी जिस आसन पर बैठे थे उस आसान से उठे और कहां की आसान उठाएं. लछ्छी दास महाराज ने आसान उठाया तो वहां पर हजारों पारस मणि थीं. जिसे देखकर लछ्छी दास महाराज महामति प्राणनाथ जी के चरणों में गिर गए. प्राणनाथ जी ने उनसे कहां की तुम अपना कड़ा उतारकर दो. मैं इस कड़े को इस मंदिर में लगवा देता हूं और इसमें दिव्य शक्तियां भर देता हूं. जो भी इस कड़े को धोकर पानी पियेगा, उसके असाध्य रोग ठीक हो जाएंगे. लगभग 400 वर्षों बाद आज भी लछ्छी दास महाराज का वह कड़ा गुंबद जी मंदिर के पीछे लगा हुआ है. श्रद्धालुओं की उस कड़े में अमिट आस्था है. लोग मानते हैं कि इस कड़े का पानी धोकर पीने से उन्हें कई असाध्य रोगों से निजात मिली है.''
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क्या कहते हैं इतिहासकार और डॉक्टर
इतिहासकार सूर्यभान सिंह परमार कहते हैं कि, "लोगों की उस कड़े के पीछे अटूट आस्था है और उस कड़े के दर्शन मात्र से लोगों के दुख दूर हो जाते हैं. उन्हें असाध्य रोगों से निजात मिली है. इसलिए इस कड़े का प्राणनाथ संप्रदाय में बहुत बड़ा महत्व है. लोग पूजा अर्चना करते समय इस कड़े को सिर में लगाकर चूमते हैं और पूजा करते हैं.'' जिला चिकित्सालय पन्ना के डॉक्टर डीके गुप्ता ने बताया कि, ''लोगों की अपनी-अपनी आस्था है. लोगों का मानना है कि प्राणनाथ मंदिर में चमत्कारी कड़े की बदौलत उन्हें रोगों से मुक्ति मिली है. हालांकि यह किंवदंती है.'' डॉक्टर का यह भी मानना है कि, ''श्रद्धा अपनी जगह है, लेकिन किसी भी बीमारी का प्राथमिक रूप से अस्पताल में इलाज कराना चाहिए.''