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72 रुपये में नारियल के छिलके पर 51 वैश्विक धरोहर निर्मित कर बनाया रिकॉर्ड, छात्र सम्मानित - Coconut trash

गजेंद्र शर्मा ने कचरा प्रबंधन पर जनता को संदेश देते हुए बेकार पड़े कच्चे नारियल को समेटकर उन पर विश्व धरोहरों का चित्रण कर अपना नाम इंडिया बुक रिकॉर्ड में दर्ज कराया है. कलेक्टर ने गजेंद्र को सम्मानित किया है.

विश्व धरोहरों का चित्रण करते हुए
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Published : Jun 28, 2019, 6:00 PM IST

आगर मालवा। कहते हैं अगर कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो छोटे प्रयास से भी बड़ा काम किया जा सकता है, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है शहर के गजेंद्र शर्मा ने, जोकि कचरा प्रबंधन पर जनता को संदेश देते हुए बेकार पड़े कच्चे नारियल को समेटकर उन पर विश्व धरोहरों का चित्रण कर अपना नाम इंडिया बुक रिकॉर्ड में दर्ज कराया है. कलेक्टर ने गजेंद्र को सम्मानित किया है.

कचरे का उपयोग


शहर के गजेंद्र शर्मा जोकि बीएससी का छात्र है. पढ़ाई के साथ गजेन्द्र ने कुछ और करने की ठानी और नारियल पानी पीने के बाद फेंके दिए बेकार नारियल के खोल को जुटाकर सुखाया और फिर उनमें से 51 नारियल पर विश्व धरोहरों को चित्रित किया, जिसमें लाल किला, स्टैचू ऑफ लिबर्टी, ताजमहल आदि का चित्रण किया. गजेन्द्र अपने दो मित्रों के सहयोग से चित्रण कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. जिस पर कलेक्टर ने गजेंद्र को सम्मानित किया है.


गजेंद्र ने बताया कि उसके इस काम में महज 72 रुपये का खर्च आया है, उन्होंने बताया कि आगर-मालवा प्रदेश का 51वां जिला है, इसलिए उन्होंने शुरुआत में 51 नारियल के खाली कवर को एकत्र कर चित्रण किया है. गजेद्र ने बताया कि कचरे का किसी न किसी रूप से उपयोग किया जा सकता है, कचरे के उपयोग के प्रति जागरूकता लाने का उनका ये एक प्रयास है. फिलहाल गजेंद्र अब लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम लिखाने में जुट गये हैं.

आगर मालवा। कहते हैं अगर कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो छोटे प्रयास से भी बड़ा काम किया जा सकता है, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है शहर के गजेंद्र शर्मा ने, जोकि कचरा प्रबंधन पर जनता को संदेश देते हुए बेकार पड़े कच्चे नारियल को समेटकर उन पर विश्व धरोहरों का चित्रण कर अपना नाम इंडिया बुक रिकॉर्ड में दर्ज कराया है. कलेक्टर ने गजेंद्र को सम्मानित किया है.

कचरे का उपयोग


शहर के गजेंद्र शर्मा जोकि बीएससी का छात्र है. पढ़ाई के साथ गजेन्द्र ने कुछ और करने की ठानी और नारियल पानी पीने के बाद फेंके दिए बेकार नारियल के खोल को जुटाकर सुखाया और फिर उनमें से 51 नारियल पर विश्व धरोहरों को चित्रित किया, जिसमें लाल किला, स्टैचू ऑफ लिबर्टी, ताजमहल आदि का चित्रण किया. गजेन्द्र अपने दो मित्रों के सहयोग से चित्रण कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. जिस पर कलेक्टर ने गजेंद्र को सम्मानित किया है.


गजेंद्र ने बताया कि उसके इस काम में महज 72 रुपये का खर्च आया है, उन्होंने बताया कि आगर-मालवा प्रदेश का 51वां जिला है, इसलिए उन्होंने शुरुआत में 51 नारियल के खाली कवर को एकत्र कर चित्रण किया है. गजेद्र ने बताया कि कचरे का किसी न किसी रूप से उपयोग किया जा सकता है, कचरे के उपयोग के प्रति जागरूकता लाने का उनका ये एक प्रयास है. फिलहाल गजेंद्र अब लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम लिखाने में जुट गये हैं.

Intro:आगर मालवा
-- जिनमे कुछ कर गुजरने की क्षमता होती है वो लोग अपने एक छोटे से प्रयास से भी बड़ी सफलता हासिल कर लेते है। कुछ इसी प्रकार का कार्य शहर निवासी गजेंद्र शर्मा ने कर दिखाया है। कचरा प्रबंधन पर आमजन मानस को एक संदेश देते हुवे गजेंद्र ने कच्चे नारियल को समेटकर उन पर विश्व धरोहरों का चित्रण किया तो गजेंद्र का नाम इंडिया बुक रिकॉर्ड में शामिल हो गया। जब यह जानकारी आगर कलेक्टर को लगी तो उन्होंने भी गजेंद्र का सम्मान किया।Body:बता दे कि शहर निवासी 19 वर्षीय गजेंद्र इंदौर के होलकर कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई कर रहा है पढ़ाई के दौरान गजेंद्र ने देखा कि लोग नारियल पानी पीकर नारियल को डस्टबीन में फेंक देते है जिससे कि इसका कोई उपयोग नही होता। ऐसे में गजेंद्र ने इस नारियल के इस कचरे का उपयोग करने की सोची और शुरुआत में 51 नारियल एकत्रित कर उनको सुखाने के बाद उन पर स्केचपेन से विश्व धरोहरों का चित्रण किया। इसमे लालकिला, स्टेचू ऑफ लिबर्टी, ताजमहल आदि धरोहरों का चित्रण किया गया है। अपने दो मित्रो की सहायता से गजेंद्र ने 51 नारियलों पर चित्रण कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया। गजेंद्र अब आगे लिम्का बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराने के जूट गए हैं।Conclusion:जब इस संबंध में गजेंद्र से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके इस कार्य मे महज 72 रुपये का खर्च आया है आगर मालवा प्रदेश का 51वा जिला है इसलिए उन्होंने शुरुआत में 51 नारियल एकत्रित किये और कीर्तिमान हासिल किया। उन्होंने समाज से अनुरोध किया कि कचरे का किसी न किसी रूप से वापस उपयोग किया जा सकता है यह तो एक जागरूकता लाने का प्रयास है। नारियल पानी पीने के बाद कचरे के रूप में उसे फेंक दिया जाता है बारिश में उसमे पानी एकत्रित हो जाता है जो की संक्रमण व अन्य बीमारियों का कारण बनता है। यदि नारियल को फेंका नही जाए और उस पर आकर्षक कलाकृति बना दी जाए तो इससे लोगो को रोजगार भी मिलेगा और कचरा भी नही फैलेगा और स्वच्छता अभियान भी सार्थक होगा।
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