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शर्मनाक! गांव तक नहीं पहुंच सका वाहन, कीचड़ भरे रास्ते से चारपाई पर ले जाना पड़ा शव

चारपाई पर शव ले जाते हुए यह तस्वीर, विकास के बड़े-बड़े दावे उजागर कर हकीकत बयां कर रही है. जिस विकास के नाम का सरकारें ढिंढोरा पीटते नहीं थकतीं. मानवता को तार-तार करने वाली यह तस्वीर मध्यप्रदेश के दमोह जिले की है.

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Published : Jul 3, 2019, 6:34 AM IST

शव ले जाते हुए

दमोह। चारपाई पर शव ले जाते हुए यह तस्वीर, विकास के बड़े-बड़े दावे उजागर कर हकीकत बयां कर रही है. जिस विकास के नाम का सरकारें ढिंढोरा पीटते नहीं थकती हैं. मानवता को तार-तार करने वाली यह तस्वीर मध्यप्रदेश के दमोह जिले की है, जहां पक्की सड़क के अभाव में बरसात के दिनों में मरीजों को अस्पताल लाने ले जाने के लिए चारपाई का ही सहारा लेना पड़ता है.

शव ले जाते हुए


दरअसल, यह मामला जिला मुख्यालय से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर नोहटा थाना अंतर्गत निमुआ घाट पटी गांव का है, जहां के निवासी 60 वर्षीय बुजुर्ग प्रहलाद प्रजापति को करंट लगने पर जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था. जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव को शव वाहन से उसके गांव भेजा गया. लेकिन, मुख्य मार्ग तक ही वाहन जा सका, क्योंकि बारिश होने से कच्चे रास्ते पर काफी कीचड़ हो गया था और वाहन गांव तक नहीं जा पा रहे थे. मजबूरन मृतक के परिजन एवं ग्रामीणों ने शव को कीचड़ भरे रास्ते से चारपाई पर ले गए.


सरकार गांव-गांव तक सड़कों के निर्माण का दावा करती है, वहीं जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव आज भी कुछ किलोमीटर सड़क के अभाव से जूझ रहा है. ऐसे में बारिश के मौसम में रास्ता खराब होने से वाहनों का आवागमन नहीं हो पाता. ऐसे में ग्रामीणों को बीमारों एवं मृतकों को इसी प्रकार चारपाई पर लाना ले जाना पड़ता है.

विकास के दावों का सच
मानवता को शर्मसार करने का यह नजारा सामने आने के बाद अभी तक कोई भी जिम्मेदार सामने नहीं आया है, लेकिन साफ है कि मानवता को शर्मसार करने वाला यह मामला उन शासकीय योजनाओं को जरूर मुंह चिढ़ाता है, जिसमें गांव तक सड़कों को पहुंचाने का दावा किया जाता है.

जिम्मेदारों के कानों में नहीं रेंगती जू
बता दें, यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें किसी के शव को चारपाई पर दलदली रास्तों से गुजरते हुए उसे घर तक पहुंचाया गया हो. बीते वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें मरीजों सहित मृतकों को इसी प्रकार से रास्तों के अभाव में लाना ले जाना पड़ता है. उसके बाद भी विकास का दावा करने वाले जिम्मेदारों के कानों में जू भी नहीं रेंगती.

दमोह। चारपाई पर शव ले जाते हुए यह तस्वीर, विकास के बड़े-बड़े दावे उजागर कर हकीकत बयां कर रही है. जिस विकास के नाम का सरकारें ढिंढोरा पीटते नहीं थकती हैं. मानवता को तार-तार करने वाली यह तस्वीर मध्यप्रदेश के दमोह जिले की है, जहां पक्की सड़क के अभाव में बरसात के दिनों में मरीजों को अस्पताल लाने ले जाने के लिए चारपाई का ही सहारा लेना पड़ता है.

शव ले जाते हुए


दरअसल, यह मामला जिला मुख्यालय से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर नोहटा थाना अंतर्गत निमुआ घाट पटी गांव का है, जहां के निवासी 60 वर्षीय बुजुर्ग प्रहलाद प्रजापति को करंट लगने पर जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था. जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव को शव वाहन से उसके गांव भेजा गया. लेकिन, मुख्य मार्ग तक ही वाहन जा सका, क्योंकि बारिश होने से कच्चे रास्ते पर काफी कीचड़ हो गया था और वाहन गांव तक नहीं जा पा रहे थे. मजबूरन मृतक के परिजन एवं ग्रामीणों ने शव को कीचड़ भरे रास्ते से चारपाई पर ले गए.


सरकार गांव-गांव तक सड़कों के निर्माण का दावा करती है, वहीं जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव आज भी कुछ किलोमीटर सड़क के अभाव से जूझ रहा है. ऐसे में बारिश के मौसम में रास्ता खराब होने से वाहनों का आवागमन नहीं हो पाता. ऐसे में ग्रामीणों को बीमारों एवं मृतकों को इसी प्रकार चारपाई पर लाना ले जाना पड़ता है.

विकास के दावों का सच
मानवता को शर्मसार करने का यह नजारा सामने आने के बाद अभी तक कोई भी जिम्मेदार सामने नहीं आया है, लेकिन साफ है कि मानवता को शर्मसार करने वाला यह मामला उन शासकीय योजनाओं को जरूर मुंह चिढ़ाता है, जिसमें गांव तक सड़कों को पहुंचाने का दावा किया जाता है.

जिम्मेदारों के कानों में नहीं रेंगती जू
बता दें, यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें किसी के शव को चारपाई पर दलदली रास्तों से गुजरते हुए उसे घर तक पहुंचाया गया हो. बीते वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें मरीजों सहित मृतकों को इसी प्रकार से रास्तों के अभाव में लाना ले जाना पड़ता है. उसके बाद भी विकास का दावा करने वाले जिम्मेदारों के कानों में जू भी नहीं रेंगती.

Intro:दमोह जिले में फिर आया मानवता को शर्मसार करने का मामला

रास्ता खराब होने के चलते चारपाई पर गांव पहुंचा बुजुर्ग का शव

करंट लगने से हुई थी प्रहलाद प्रजापति की मौत

जिला अस्पताल से शव वाहन में गांव भेजा था शव, रास्ता दलदली होने के कारण घर तक नहीं पहुंच पाया शव वाहन

दमोह. जिला मुख्यालय से महज चंद किलोमीटर की दूरी के गांव में आज भी रास्ता पक्का नहीं होने से यहां के लोगों को अपने मरीज को अस्पताल तक लाने एवं वापस ले जाने साथ ही किसी मृतक को घर तक पहुंचाने के लिए चारपाई का सहारा लेना पड़ता है. जब लोग मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित होकर इस प्रकार चारपाई का सहारा लेकर शव को लेकर कीचड़ भरी रास्तों से गुजरते हैं, तो मानवता शर्मसार होती है. जिले में एक बार फिर इसी प्रकार से मानवता के शर्मसार होने का मामला सामने आया है. जिसमें एक बुजुर्ग की मौत हो जाने के बाद उसके शव को कीचड़ भरे रास्तों से चारपाई के सहारे घर पहुंचाया जा सका.


Body:दमोह जिले में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने का मामला सामने आया है. इस मामले में एक बुजुर्ग के शव को कीचड़ भरे रास्तों से चारपाई पर उसके घर ले जाने का वीडियो सामने आया है. दरअसल जिले के नोहटा थाना अंतर्गत आने वाले निमुआ घाट पटी निवासी 60 साल की बुजुर्ग प्रहलाद प्रजापति को बारिश के मौसम में करंट लगने के बाद जिला अस्पताल में इलाज के लाया गया था. जिला अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने प्रहलाद प्रजापति को मृत घोषित कर दिया. वही बुजुर्ग का पीएम कराए जाने के बाद उसे शव वाहन से उसके गांव भेजा गया. मुख्य मार्ग तक शव वाहन पहुंच सका. वही बारिश के कारण दलदली रास्ता होने के चलते वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाया. जिस कारण से मृतक बुजुर्ग के परिजन एवं ग्रामीणों ने शव को चारपाई पर ले जाकर घर तक पहुंचाया. जहां एक ओर सरकार गांव गांव तक सड़कें पहुंचाने का दावा करती है, वही दमोह जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव आज भी कुछ किलोमीटर सड़क के अभाव से जूझ रहा है. ऐसे में बारिश के चलते दलदली रास्ता हो जाने पर वाहनों की आवाजाही नहीं हो पाती, तो ग्रामीणों को बीमारों एवं मृतकों को इसी प्रकार चारपाई पर लाना ले जाना पड़ता है. मानवता को शर्मसार करने का यह नजारा सामने आने के बाद अभी तक कोई भी जिम्मेदार सामने नहीं आया है, लेकिन साफ है कि मानवता को शर्मसार करने वाला यह मामला उन शासकीय योजनाओं को जरूर मुंह चिढ़ाता है, जिसमें गांव तक सड़कों को पहुंचाने का दावा किया जाता है.


Conclusion:दमोह जिले में यह पहला मामला नहीं है, जिसमें किसी के शव को चारपाई पर दलदली रास्तों से गुजरते हुए उसे घर तक पहुंचाया गया हो. बल्कि बीते वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें प्रमुख रूप से बारिश के मौसम में मरीजों सहित मृतकों को इसी प्रकार से रास्तों के अभाव में लाना ले जाना पड़ता है. उसके बाद भी विकास का दावा करने वाले जिम्मेदारों के कानों में जू भी नहीं रेंगती.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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