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INDIAN के साथ अमेरिकी इंजीनियर कर रहे हैं आपका चूल्हा जलाने का काम - अमेरिकी

आगर के चस्पा गांव में गोबर गैस प्लांट बनाया जा रहा है, जिसकी मदद से 100 घरों का चूल्हा जलेगा. इस प्रोजेक्ट में इंडियन और अमेरिकी इंजीनियर साथ मिलकर काम करेंगे.

भारतीय और अमरिकी इंजीनियर कर रहे हैं गोबर गैस प्लांट का निर्माण
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Published : Apr 4, 2019, 7:13 PM IST

आगर-मालवा। जिले के चिप्या गांव के 100 घरों के चूल्हे अब गोबर गैस से जलेंगे. गाय के गोबर से गैस बनाने के लिए प्लांट का निर्माण शुरू हो चुका है. आगामी दो-तीन महीनों में ग्रामीणों को पाइपलाइन के जरिये गैस मिलने लगेगी. इस प्लांट को बनाने में भारतीय इंजीनियरों के साथ-साथ अमेरिका के इंजीनियर भी जुटे हुए हैं.

भारतीय और अमरिकी इंजीनियर कर रहे हैं गोबर गैस प्लांट का निर्माण

जिला मुख्यालय से 6 किमी की दूरी पर स्थित गणेश गोशाला में 700 गायों के गोबर से गैस बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, जिस पर काम करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर की ईडब्ल्यूडी संस्था आगे आई. गणेश गोशाला में गोबर से गैस बनाने के लिए प्लांट तैयार करने का काम शुरू हो चुका है, जिसकी लागत तकरीबन एक करोड़ रूपये है. क्षेत्र में इस संस्था का अब तक का यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा.

प्रोजेक्ट पर काम कर रहे इंजीनीयर का कहना है कि भारत में गाय अधिक संख्या में पाई जाती हैं. इसलिए उनके गोबर का सही इस्तेमाल किया जा सकता है. गाय के गोबर से मीथेन गैस और बड़ी मात्रा में खाद का निर्माण भी किया जा सकता है. इसलिए वो इस प्रोजेक्ट के जरिए गोबर के सही इस्तेमाल पर काम कर रहे हैं.

आगर-मालवा। जिले के चिप्या गांव के 100 घरों के चूल्हे अब गोबर गैस से जलेंगे. गाय के गोबर से गैस बनाने के लिए प्लांट का निर्माण शुरू हो चुका है. आगामी दो-तीन महीनों में ग्रामीणों को पाइपलाइन के जरिये गैस मिलने लगेगी. इस प्लांट को बनाने में भारतीय इंजीनियरों के साथ-साथ अमेरिका के इंजीनियर भी जुटे हुए हैं.

भारतीय और अमरिकी इंजीनियर कर रहे हैं गोबर गैस प्लांट का निर्माण

जिला मुख्यालय से 6 किमी की दूरी पर स्थित गणेश गोशाला में 700 गायों के गोबर से गैस बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, जिस पर काम करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर की ईडब्ल्यूडी संस्था आगे आई. गणेश गोशाला में गोबर से गैस बनाने के लिए प्लांट तैयार करने का काम शुरू हो चुका है, जिसकी लागत तकरीबन एक करोड़ रूपये है. क्षेत्र में इस संस्था का अब तक का यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा.

प्रोजेक्ट पर काम कर रहे इंजीनीयर का कहना है कि भारत में गाय अधिक संख्या में पाई जाती हैं. इसलिए उनके गोबर का सही इस्तेमाल किया जा सकता है. गाय के गोबर से मीथेन गैस और बड़ी मात्रा में खाद का निर्माण भी किया जा सकता है. इसलिए वो इस प्रोजेक्ट के जरिए गोबर के सही इस्तेमाल पर काम कर रहे हैं.

Intro:जिले में पहली बार किसी गांव के 100 घर के चूल्हे गोबर गैस से जलेंगे। गाय के गोबर से गैस बनाने के लिए प्लांट के निर्माण का कार्य भी आरम्भ हो चुका है आगामी दो से तीन माह में ग्राम चिप्या के ग्रामीणों को पाइपलाइन के जरिये गैस मिलने भी लगेगी। बता दे कि जिला मुख्यालय से 6 किमी की दूरी पर स्थित गणेश गोशाला में 700 गायो के गोबर से गैस बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। इस पर कार्य करते हुवे अन्तराष्ट्रीय स्तर की ईडब्ल्यूडी संस्था आगे आई। करीब 1 करोड़ रुपये की लागत से गणेश गोशाला में गोबर से गैस बनाने के लिए प्लांट तैयार करने का काम आरम्भ भी हो चुका है। क्षेत्र में इन संस्था का अब तक का यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा। इस प्लांट को बनाने में भारतीय इंजीनियरो के साथ-साथ अमेरिका के इंजीनियर भी जुटे हुवे है।


Body:बता दे कि चिप्या स्थित इस गोशाला में 700 से अधिक गाये है। काम कर रहे इंजीनियर प्रगदीश राजन ने बताया कि प्रतिदिन यहाँ 3 टन के लगभग गोबर से गैस का निर्माण किया जाएगा। पाइपलाइन के जरिये 100 घरों को गैस उपलब्ध कराई जाएगी वही ग्रामीण जितनी गैस उपयोग में लेंगे उस गैस की उनसे कुछ राशि ली जाएगी इस राशि का उपयोग इसी गैस प्लांट का व्यवस्थित संचालन करने के लिए ही किया जाएगा। अमेरिका के इंजीनियर ऐडमेयर्स तथा कीलेन ने बताया कि संस्था प्लांट बनाने से पहले ऐसी जगह का पहले निरीक्षण करती है और संभावना होने पर संस्था द्वारा ही प्लांट बनाया जाता है सस्ते दर पर धुंवारहित गैस लोगो को मिल सके इसके लिए कई जगह पर हमारे द्वारा यह प्लांट बनाये गए है


Conclusion:बता दे कि यहां पर गाय के गोबर से बड़ी मात्रा में खाद का निर्माण भी किया जा रहा। इस गोशाला को संचालित करने के लिए बाकायदा यहां एक समिति कार्य करती है गोबर से खाद बनाने के बाद इसको बेचकर आने वाली राशि का उपयोग गोशाला विकास के कार्य पर किया जाता है।
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