ETV Bharat / bharat

मकर संक्रांति पर 'मुर्गों की लड़ाई' का खेल, बाकायदा दी जाती है ट्रेनिंग - cock training centre andhra pradesh

मकर संक्रांति के मौके पर आंध्र प्रदेश में मुर्गे का खेल (cock fight on makar sankranti) मशहूर है. जगह-जगह लोगों की मंडली जमा होती है और वे मुर्गों को आपस में लड़वाते हैं. उनमें आपसी प्रतियोगिता भी होती है. बड़े-बड़े इनाम रखे जाते हैं. इसके लिए मुर्गों को पहले ही प्रशिक्षण भी दिया जाता है. उन पर काफी पैसे खर्च किए जाते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

raw
raw
author img

By

Published : Jan 14, 2022, 8:50 PM IST

विशाखापत्तनम : आंध्रप्रदेश में मकर संक्राति के अवसर पर एक खेल खेला जाता है जहां मुर्गों की लड़ाई करवाई (cock fight on makar sankranti) जाती है. मुर्गों के पैरों में धारदार ब्लेड्स बांधे जाते हैं, फिर क्या ये मुर्गे एक-दूसरे को मारने पर उतारू हो जाते हैं. खेल में मुर्गों की कीमत भी लगाई जाती है और जीतने वाले मुर्गों को इनाम भी दिया जाता है.

यहां लाने से पहले मुर्गों को ट्रेनिंग दी जाती है. यह ट्रेनिंग तब तक दी जाती है जब तक ये मुर्गे 16 या 18 महीने के नहीं हो जाते. इस खेल के लिए दशहरे के समय से मुर्गों को तैयार किया जाता है. 40 दिनों तक इन्हें अंडे खिलाए जाते हैं, 6 से 10 बादाम दिया जाता है, 30 ग्राम मांस और बी-कॉम्प्लेक्स टैबलेट भी दी जाती है. हर दूसरे दिन किशमिश, अनार और खजूर दिया जाता है. उबली हुई गाजर, पालक और धनिया भी उनके आहार का हिस्सा हैं.

संक्रांति पर मुर्गों की लड़ाई का खेल

रिंग में उतरने के लिए तैयार

इन मुर्गों को कुछ दिन धूप में छोड़ दिया जाता है, जब इनके पंख अलग होने लगते हैं तो इन्हें छांव में लाया जाता है. स्टैमिना (क्षमता) बढ़ाने के लिए इन्हें हफ्ते में एक बार 10 मिनट के लिए तैराकी का अभ्यास कराया जाता है. मुर्गे मोटे न हों, इसलिए उन्हें यूकलिप्टस और बेरी मिश्रित साबुन वाले पानी में नहलाया जाता है. कई जगहों पर मुर्गों की ताकत बढ़ाने के लिए शराब सुंघाई जाती है. इससे मुर्गों को लड़ाई के दौरान आई चोटों को सहन करने में मदद मिलती है. इन मुर्गों की दिन में दो बार मालिश की जाती है.

मुर्गा लड़ाई प्रशिक्षण के लिए केंद्र

पूर्वी गोदावरी जिले में मुर्गों के लिए 100 से अधिक प्रशिक्षण केंद्र हैं. इनमें से अधिकांश केंद्र तालाबों के किनारे चलाए जाते हैं. इन मुर्गों को ट्रेन करने वाले प्रशिक्षक प्रति माह 15,000 से 25,000 रुपये लेते हैं. प्रत्येक केंद्र पर लगभग 150 मुर्गों को प्रशिक्षत किया जाता है. प्रशिक्षण के बाद प्रत्येक मुर्गे की कीमत 15,000 रुपये और 3 लाख रुपये हो जाती है. इनकी कीमत पंखों के रंग, स्टैमिना, ताकत पर आधारित होती है. विशेष मुर्गे थाईलैंड और पेरू से आयात किए जाते हैं. संक्रांति पर असली सौदे के लिए उन्हें तैयार करने के लिए मुर्गे के बीच नकली लड़ाई होती है.

ये भी पढ़ें : समुद्र में डूब रही भैंस को मछुआरों ने 6 घंटे की मशक्कत के बाद बचाया

विशाखापत्तनम : आंध्रप्रदेश में मकर संक्राति के अवसर पर एक खेल खेला जाता है जहां मुर्गों की लड़ाई करवाई (cock fight on makar sankranti) जाती है. मुर्गों के पैरों में धारदार ब्लेड्स बांधे जाते हैं, फिर क्या ये मुर्गे एक-दूसरे को मारने पर उतारू हो जाते हैं. खेल में मुर्गों की कीमत भी लगाई जाती है और जीतने वाले मुर्गों को इनाम भी दिया जाता है.

यहां लाने से पहले मुर्गों को ट्रेनिंग दी जाती है. यह ट्रेनिंग तब तक दी जाती है जब तक ये मुर्गे 16 या 18 महीने के नहीं हो जाते. इस खेल के लिए दशहरे के समय से मुर्गों को तैयार किया जाता है. 40 दिनों तक इन्हें अंडे खिलाए जाते हैं, 6 से 10 बादाम दिया जाता है, 30 ग्राम मांस और बी-कॉम्प्लेक्स टैबलेट भी दी जाती है. हर दूसरे दिन किशमिश, अनार और खजूर दिया जाता है. उबली हुई गाजर, पालक और धनिया भी उनके आहार का हिस्सा हैं.

संक्रांति पर मुर्गों की लड़ाई का खेल

रिंग में उतरने के लिए तैयार

इन मुर्गों को कुछ दिन धूप में छोड़ दिया जाता है, जब इनके पंख अलग होने लगते हैं तो इन्हें छांव में लाया जाता है. स्टैमिना (क्षमता) बढ़ाने के लिए इन्हें हफ्ते में एक बार 10 मिनट के लिए तैराकी का अभ्यास कराया जाता है. मुर्गे मोटे न हों, इसलिए उन्हें यूकलिप्टस और बेरी मिश्रित साबुन वाले पानी में नहलाया जाता है. कई जगहों पर मुर्गों की ताकत बढ़ाने के लिए शराब सुंघाई जाती है. इससे मुर्गों को लड़ाई के दौरान आई चोटों को सहन करने में मदद मिलती है. इन मुर्गों की दिन में दो बार मालिश की जाती है.

मुर्गा लड़ाई प्रशिक्षण के लिए केंद्र

पूर्वी गोदावरी जिले में मुर्गों के लिए 100 से अधिक प्रशिक्षण केंद्र हैं. इनमें से अधिकांश केंद्र तालाबों के किनारे चलाए जाते हैं. इन मुर्गों को ट्रेन करने वाले प्रशिक्षक प्रति माह 15,000 से 25,000 रुपये लेते हैं. प्रत्येक केंद्र पर लगभग 150 मुर्गों को प्रशिक्षत किया जाता है. प्रशिक्षण के बाद प्रत्येक मुर्गे की कीमत 15,000 रुपये और 3 लाख रुपये हो जाती है. इनकी कीमत पंखों के रंग, स्टैमिना, ताकत पर आधारित होती है. विशेष मुर्गे थाईलैंड और पेरू से आयात किए जाते हैं. संक्रांति पर असली सौदे के लिए उन्हें तैयार करने के लिए मुर्गे के बीच नकली लड़ाई होती है.

ये भी पढ़ें : समुद्र में डूब रही भैंस को मछुआरों ने 6 घंटे की मशक्कत के बाद बचाया

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.