साहिबगंज: डीसी कार्यालय के सभागार में शुक्रवार को जिला पर्यावरण समिति की बैठक हुई. यह बैठक काफी खास मानी जा रही है, क्योंकि 27 फरवरी को डीसी रामनिवास यादव को एनजीटी कोर्ट दिल्ली में पेश होना है. मामला साहिबगंज में अवैध खनन के दौरान पर्यावरण संरक्षण की नियमों की अनदेखी का है.
10 से अधिक रैक लोडिंग प्वाइंट को बंद करने का निर्देशः पर्यावरण समिति के बैठक में डीसी रामनिवास यादव ने जिले में संचालित 10 से अधिक रैक लोडिंग प्वाइंट को बंद करने का निर्देश दिया है. क्योंकि लोडिंग प्वाइंट बिना सीटीओ के संचालित है. सीटीओ का प्रोविजनल सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही अगला निर्देश निर्गत किया जाएगा.
राज्य की टीम ने दो दिन पूर्व किया था निरीक्षणः इस संबंध में डीसी रमनिवास यादव ने बताया कि दो दिन पहले एनजीटी के आदेश पर राज्य स्तरीय टीम साहिबगंज पहुंची थी. टीम ने सभी मालगोदाम स्थित रैक लोडिंग प्वाइंट का निरीक्षण किया था. इसी दौरान मिर्जाचौकी स्थित क्रशर प्लांट का भी निरीक्षण किया था. मिर्जाचौकी स्थित रैक लोडिंग प्वाइंट को भी देखा गया. टीम से सीटीओ के बारे में पूछा गया तो रेलवे के अधिकारी ने सीटीओ प्राप्त करने की बात कही, लेकिन रांची की टीम ने इससे इंकार कर दिया.
बगैर सीटीओ के संचालित रैक लोडिंग प्वाइंट को बंद करने का निर्देशः रांची से यह पत्र प्राप्त हुआ है कि रैक लोडिंग प्वाइंट को फिलहाल बंद कर दिया जाए. बिना सीटीओ के चलाने का आदेश नहीं दिया जाएगा. यदि गिट्टी लोडिंग होता है तो जिला प्रशासन कार्रवाई करने के बाध्य हो जाएगी.
साहिबगंज में संचालित है 10 रैक लोडिंग प्वाइंटः गौरतलब हो कि साहिबगंज में करीब 10 रैक लोडिंग प्वाइंट हैं. रैक लोडिंग प्वाइंट बंद हो जाने से करीब पांच हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. ईडी की छापेमारी के बाद साहिबगंज में वैसे क्रशर प्लांट बंद हो जाने से मजदूर पलायन कर चुके हैं.
मजदूरों के समक्ष रोजगार की समस्या, तो रेलवे को करोड़ों का नुकसानः दूसरी तरफ रैक लोडिंग प्वाइंट में मजदूर काम करते थे.जिस तरह से पर्यावरण समिति के बैठक में आदेश निर्गत किया गया है, वैसी स्थिति में लोग बेरोजगार हो जाएंगे. रेलवे जोन को भी हर दिन करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो सकता है. ऐसी स्थिति में रेलवे को जल्द से जल्द जिला प्रशासन से सीटीओ लेने जरूरत पड़ सकती है.