खूंटी: जिले के नक्सल प्रभावित एवं दूरस्थ इलाकों में दर्जनों ऐसे स्कूल हैं जो बगैर बिल्डिंग के चल रहे हैं. कहीं टिन से बना सरकारी स्कूल है तो कहीं खपड़ैल से बना जर्जर स्कूल, जहां बच्चे रोजाना पढ़ने जाते हैं. ईटीवी भारत ने जर्जर और टिन से बने स्कूल की खबर विगत दिनों प्रकाशित की थी.
ईटीवी भारत में खबर प्रकाशित होने के बाद शिक्षा विभाग ने पूरे जिले का सर्वे कराया, जिसमें दर्जनों स्कूल जर्जर और बगैर बिल्डिंग का पाया. शिक्षा विभाग के सर्वे में सबसे अधिक जर्जर स्कूल अड़की प्रखंड क्षेत्र में है. बगैर बिल्डिंग के कई वर्षों से स्कूल चल रहे हैं. जिला प्रशासन शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए लगातार प्रयासरत है.
ईटीवी भारत की खबर पर शिक्षा विभाग ने मुहर लगाते हुए स्कूलों का कायाकल्प करने की योजना बनाई है. खासकर वैसे स्कूल जो बगैर बिल्डिंग के चल रहे हैं. टिन और खपड़ैल से बने स्कूलों को अब बिल्डिंग मिलेगा. इसके लिए जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है. संभावना है कि इस वर्ष चिन्हित सभी स्कूलों को नई बिल्डिंग मिलेगी और बच्चे सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई कर सकेंगे.
जिले के एक से आठ क्लास तक कुल 860 सरकारी स्कूलों में 20 स्कूल बगैर बिल्डिंग के हैं. कुछ जगहों पर टिन के दीवार से बने स्कूल हैं तो कुछ जगहों पर खपड़े से बनी स्कूल चल रही है. 860 स्कूलों में कुल 68 हजार 612 बच्चे नामांकित हैं. सबसे अधिक बालिका 35 हजार 202, जिसमें 4268 अनुसूचित जनजाति के बच्चे और 925 अल्पसंख्यक बच्चे शामिल हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र 750 शिक्षक हैं.
जिले में बगैर विद्यालय भवन के चलने वाली स्कूलों की संख्या इस प्रकार है.
- अड़की प्रखंड- उत्क्रमित प्राथमिक स्कूल कुजाबेड़ा, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय कूदादा, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय सौरीहातु, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ईचाकुटी, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय तोतकोरा, डीपीईपी एनपीएस ससांग, डीपीईपी एनपीएस सोसोकुटी, राज्यकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय साके, राजकीय प्राथमिक विद्यालय सिंजुरी, राजकीय उत्क्रमित माध्य विद्यालय आराहातु, राज्यकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय रुगुदडीह, राज्यकीय प्राथमिक विद्यालय सारूंगदा, राज्यकीय प्राथमिक विद्यालय बांतेया
- कर्रा प्रखंड- राज्यकीय प्राथमिक विद्यालय
- तासकीमुरहू प्रखंड- गवर्मेंट प्राथमिक विद्यालय कोंवा
- रनिया प्रखंड- राज्यकीय प्राथमिक विद्यालय उलुंग, राजकीय प्राथमिक विद्यालय मनाहातु, राज्यकीय प्राथमिक विद्यालय खटंगा चुरदाग
- तोरपा प्रखंड- राज्यकीय प्राथमिक विद्यालय अनुकदा, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बरदा
शिक्षा विभाग के डीएसई अभय कुमार शील ने बताया कि जिले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग लगातार प्रयासरत है. साथ ही बच्चों को हर दिन स्कूल आने के लिए कैसे प्रेरित किया जाए, इसके लिए एसएमसी स्तर पर अध्यक्ष और ग्राम शिक्षा समिति की संयुक्त बैठके आयोजित की जाती है. बच्चों में खेल-खेल के माध्यम से कैसे शिक्षा को रूचिपूर्ण बनाया जाए, इसपर बैठक की जाती है. साथ ही बच्चों के अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजें, इसके लिए अभिभावकों के साथ विद्यालय स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
स्कूली बच्चे क्लास के वक्त कई बार इधर-उधर भटकते नजर आते हैं, इसके लिए शिक्षा विभाग क्या करता है! इसपर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि इस तरह की शिकायतें उनके संज्ञान में अभी तक नहीं आई है. साथ ही बच्चों को रूटीन और मेन्यू के अनुसार मध्याह्न भोजन दिया जाता है. सुदूरवर्ती इलाकों में ठंड के मौसम में बच्चे अफीम के खेत में काम करते हैं, ऐसी शिकायतें आती है! इस सवाल के जवाब में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि ऐसी शिकायतें नहीं आई हैं.
उपायुक्त के साथ प्रत्येक माह दो बार बैठक आयोजित की जाती है. जिसमें कोई भी मादक पदार्थ, अफीम या अन्य नशीले पदार्थों के रोकथाम के लिए सभी स्तर से प्रयास करने का निर्देश प्राप्त है. साथ ही अफीम की खेती पर रोक लगाकर वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास सभी स्तर पर किया जा रहा है. प्रत्येक माह मादक पदार्थों के उत्पादन, सेवन और खरीद बिक्री पर रोकथाम के लिए बैठक की जाती है. स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के साथ बैठक कर पंचायत और प्रखंड स्तर पर जनजागरुकता कार्यक्रम चलाने का निर्देश प्राप्त है. लेकिन अभी तक स्कूली बच्चों के शामिल होने की सूचना विभाग तक नहीं आई है.
खूंटी जिले में आज भी कई विद्यालय भवन जर्जर हालत में हैं. विद्यालय की दीवार और छत टूटे फूटे हैं. अड़की में कुछ विद्यालय टिन और छप्पर के नीचे चलाए जा रहे हैं. इसपर शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि वर्तमान में जर्जर 9 विद्यालयों का प्रस्ताव विभाग और राज्यस्तर पर भेजा जा चुका है. अड़की के विद्यालय का भी प्रस्ताव पूर्व में ही भेजा गया है, जिस पर कार्य प्रगति पर है.
वहीं इल मामले को लेकर डीडीसी ने कहा कि जिले में दर्जनों ऐसे स्कूल चिन्हित किए गए हैं, जो बगैर बिल्डिंग के संचालित हो रहे हैं. स्कूलों के कायाकल्प के लिए प्रशासन फंड मुहैया करा कर काम शुरू करने जा रहा है. डीडीसी ने बताया कि जर्जर भवनों को रिपेयरिंग कराया जाना है और नए बिल्डिंग के लिए योजना बनाई गई है.
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