रांची: 4 फरवरी 2024 को झारखंड जनाधिकार मंच और अन्य जनजातीय संगठनों ने रांची के मोरहाबादी मैदान में आदिवासी एकता महारैली की घोषणा कर रखी है. इस महारैली को सफल बनाने के लिए रांची के मोरहाबादी में राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य बनने के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश के ज्ञानी लोगों का हमारी सभ्यता संस्कृति में अतिक्रमण बढ़ा है.
कार्यशाला में टीएसी सदस्य रतन तिर्की, दयामनी बारला, लक्ष्मीनारायण मुंडा सहित राज्य भर के अलग अलग जनजातीय संगठनों से जुड़े लोगों ने भाग लिया. इस कार्यशाला के दौरान राज्य के पूर्व शिक्षामंत्री बंधु तिर्की ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि प्रस्तावित 4 फरवरी 2024 की आदिवासी एकता महारैली में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराएं.
बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य में जिस लड़ाई की शुरुआत हो रही है, वह लंबी चलने वाली लड़ाई है क्योंकि राज्य बनने के बाद कुछ ऐसी शक्ति खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश के ज्ञानी लोगों का हस्तक्षेप बढ़ गया है. इनलोगों का हमारे रहन सहन, यहां की संस्कृति-यहां की परंपरा और आदिवासियों-मूलवासियों के बीच में जो रिश्ता है उसमें अतिक्रमण बढ़ गया है.
बंधु तिर्की ने कहा कि 4 फरवरी 2024 की महारैली सिर्फ डिलिस्टिंग रैली के जवाब में आयोजित नहीं है, बल्कि पिछले 10 वर्षों में जिस तरह से जनजातीय समाज, उसकी संस्कृति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई है, वन अधिकार कानून में संशोधन किया गया है, उन सबके खिलाफ उलगुलान की तैयारी है.
कार्यशाला में शामिल हुए आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि जब देश में जनजातीय समाज के लोग प्रताड़ित होते हैं, तब यह सुरक्षा मंच कहां सोया रहता है. उन्होंने कहा कि डिलिस्टिंग महारैली में भारतीय जनता पार्टी के दो दो सांसद भी शामिल थे, अगर वास्तव में वह धर्म बदलने वाले जनजाति को उनके लाभ से वंचित करना चाहते हैं तब उन्हें कानून बनवाना चाहिए. केंद्र में 10 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, राज्य से भारतीय जनता पार्टी के एक नहीं कई सांसद हैं. ऐसे में कम से कम इसके लिए ये सांसद प्राइवेट बिल भी तो लेकर आते. लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के बीच भेद पैदा कर ये लोग समाज को कमजोर करना चाहते हैं. आदिवासी एकता महारैली कार्यशाला के बाद महारैली को सफल बनाने के लिए अलग अलग प्रकोष्ठ बनाकर सभी को जिम्मेवारियां भी सौंपी गई.
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