रांचीः झारखंड में पंचायत चुनाव को लेकर एक बार फिर से सुगबुगाहट तेज है. इसको लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारी पूरी कर ली है. सरकार की ओर से हरी झंडी मिलते ही नगर निकाय क्षेत्रों में निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
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पिछले वर्ष मई के महीने में धनबाद, देवघर, चास नगर निगम सहित राज्य के 15 शहरी नगर निकायों में चुनाव कराए जाए थे. लेकिन कोरोना संकट की वजह से राज्य निर्वाचन आयोग ने इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था.
इन नगर निकाय क्षेत्र में चुनाव की तैयारी
राज्य में धनबाद, बोकारो, देवघर, मेदनीनगर, गढ़वा, पश्चिम सिंहभूम, गिरिडीह, कोडरमा, गोड्डा, गुमला, सरायकेला-खरसावां, रामगढ़, हजारीबाग और चतरा जिला में पूर्ण चुनाव या उपचुनाव होना है. धनबाद, चास (बोकारो), देवघर में मेयर और डिप्टी मेयर सहित पूरे वार्ड का चुनाव होना है.
गिरिडीह में मेयर और वार्ड संख्या 9 के पार्षद के लिए उपचुनाव होगा. हजारीबाग निगम के डिप्टी मेयर, चाईबासा नगर परिषद, मधुपुर नगर परिषद के अध्यक्ष के लिए चुनाव होना है. इसके अलावा मझगांव, कोडरमा, विश्रामपुर, महगामा, चक्रधरपुर नगर परिषद का चुनाव होना है. इसके अलावा रामगढ़, सरायकेला नगर पंचायत में वार्ड सदस्यों के रिक्त पदों के लिए भी चुनाव होना है.
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राजनीतिक दलों ने की तैयारी
झारखंड के राजनीतिक दलों ने पंचायत और नगर निकाय चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. आजसू ने पंचायत स्तर पर कमिटी गठित कर चुनाव तैयारी में कार्यकर्ताओं को जुटने को कहा है. वहीं झारखंड कांग्रेस और झारखंड बीजेपी ने चुनाव के लिए तैयारी पूरी कर लेने का दावा किया है. बीजेपी ने हालांकि सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि मेयर, डिप्टी मेयर और नगर परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पद पर चुनाव दलीय आधार पर नहीं कराएगी, क्योंकि वो बीजेपी की जनाधार से घबरा गई है.
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साल 2015 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के अनुसार राज्य में मुखिया के 4402, जिला परिषद क्षेत्र के 545, पंचायत समिति सदस्य के 5423 और ग्राम पंचायत सदस्य के 54 हजार 330 पदों के चुनाव होने हैं. जिसके लिए चुनाव क्षेत्र का पुर्ननिर्धारण से लेकर मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया निर्वाचन आयोग ने पूरा करने का दावा किया है. ऐसे में अब हर किसी को सरकार की हरी झंडी का इंतजार हो रहा है, जिसके मिलते ही निर्वाचन कार्य संपन्न कराए जाएंगे.
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वैकल्पिक व्यवस्था के तहत 6 महीने के लिए कार्यकारी समिति का गठन
झारखंड में साल 2021 के शुरुआती महीने में ही पंचायत चुनाव कराया जाना था, पर कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार ने प्रक्रिया को धीमा कर दिया. कोरोना महामारी की वजह से पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं विघटित हो गई थी. इसकी वजह से गांव की सरकार को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. हेमंत सरकार ने इस समस्या का समाधान कर दिया है. ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के कार्य संचालन की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कार्यकारी समिति के गठन की अधिसूचना जारी कर सभी को कार्यभार दे दिया गया था.
31 जुलाई को खत्म हो रहा कार्यकाल
राज्य में पंचायत चुनाव नहीं होने की स्थिति में ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायत के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की संयुक्त कार्यकारिणी समिति बना कर विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था. ऐसे कार्यकारिणी समिति के कार्यकाल की अवधि 6 माह तय की गई थी. अब जबकि 31 जुलाई को समिति का कार्यकाल पूरा हो रहा है. ऐसे में सरकार और ग्रामीण विकास विभाग पर निर्भर है कि फिर से एक बार कार्यकारिणी समिति को अगले 6 माह का अवधि विस्तार देने विचार करे या फिर कानूनी सलाह पर ही कोई निर्णय ले.
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5 वर्ष पूरे होने की तिथि को भंग करना वैधानिक अनिवार्यता
ऐसे में झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 के सुसंगत प्रावधानों के तहत आम निर्वाचन 2015 के परिणामों के आधार पर गठित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को गठन के बाद पहली बैठक की तिथि से 5 वर्ष पूरे होने की तिथि को भंग करना वैधानिक अनिवार्यता है.
ऐसे में तीनों स्तर की पंचायतों जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद अपने गठन की तिथि से 5 वर्ष अवधि पूरी होने की तिथि को खुद भंग समझा जाएगा. वहीं भंग की तिथि से निर्वाचित पदाधिकारियों के पद रिक्त समझे जाएंगे और उसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था के लिए विस्तृत दिशानिर्देश अलग से निर्गत किए जाएंगे.