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झारखंड में बढ़ी आत्महत्या की प्रवृति, NCRB ने जारी किए आंकड़े

देशभर में आत्महत्या से जुड़े आंकड़ों को लेकर NCRB ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक झारखंड में आत्महत्या की प्रवृत्ति में 25% की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, आत्महत्या से जुड़े मामलों में झारखंड का औसत राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है.

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Published : Sep 3, 2020, 4:38 AM IST

Updated : Sep 3, 2020, 4:53 AM IST

NCRB
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रांची: देशभर में आत्महत्या से जुड़े आंकड़ों को लेकर एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड देश के 10 ऐसे राज्यों में शामिल है, जहां आत्महत्या की सबसे कम घटनाएं हुई हैं, लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें. तो पता चलता है कि झारखंड के लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है.

ये भी पढ़ें-पितृपक्ष 2020 : घरों से ही करें पिंडदान, जानें पहले दिन का महत्व

क्या कहते है एनसीबी के आंकड़े

एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक झारखंड में आत्महत्या की प्रवृत्ति में 25% की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, आत्महत्या से जुड़े मामलों में झारखंड का औसत राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है. देशभर में जहां आत्महत्या से जुड़े मामलों का औसत 10.4 है .वहीं झारखंड में आत्महत्या के मामलों का औसत 4.4 है.

2019 में 1646 लोगों ने की आत्महत्या

साल 2019 में झारखंड में 1646 लोगों ने आत्महत्या की. वहीं साल 2018 में 1317 लोगों ने खुदकुशी की थी. इस तरह आत्महत्या के मामले राज्य में 25% बढ़े हैं. खास बात यह है कि पड़ोसी राज्य बिहार में साल 2019 में 641 लोगों ने ही खुदकुशी की. जबकि झारखंड की राजधानी में आत्महत्या की प्रवृति में भारी कमी आयी है. साल 2018 में अकेले राजधानी रांची में 234 लोगों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2019 में 57 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं.

परीक्षा में असफल होने सबसे बड़ी वजह

झारखंड में परीक्षा में असफल होने या इसके भय से सर्वाधिक लोगों ने मौत को गले लगाया. 279 लोगों ने परीक्षा संबंधी असफलता के कारण जान दी, वहीं 267 लोगों ने प्रेम में असफल होने के कारण मौत को गले लगाया. कर्ज के कारण 13, शादी से जुड़े वजहों से 135, पारिवारिक कलह के कारण 184, नपुंसकता व बांझपन के कारण 36, कैंसर के कारण 17, एड्स के कारण 2, मानसिक बीमारी के कारण 109, गरीबी के कारण 24, बेरोजगारी के कारण 232 लोगों ने जान दी.

नियमित सैलरी और सरकारी नौकरी वालो ने भी दी जान

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक नियमित सैलरी पाने वाले और सरकारी कर्मियों ने भी खुदकुशी की है. कृषि पेशे से जुड़े 55 लोगों ने जहां मौत को गले लगाया है. वहीं आत्महत्या करने वालों में 272 लोग ऐसे रहे जो प्रोफेशनल थे. 10 सरकारी कर्मियों ने भी 2019 में आत्महत्या की. प्रोफेशनल प्रेशर के कारण भी 28 लोगों ने मौत को गले लगाया.

रांची: देशभर में आत्महत्या से जुड़े आंकड़ों को लेकर एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड देश के 10 ऐसे राज्यों में शामिल है, जहां आत्महत्या की सबसे कम घटनाएं हुई हैं, लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें. तो पता चलता है कि झारखंड के लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है.

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क्या कहते है एनसीबी के आंकड़े

एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक झारखंड में आत्महत्या की प्रवृत्ति में 25% की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, आत्महत्या से जुड़े मामलों में झारखंड का औसत राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है. देशभर में जहां आत्महत्या से जुड़े मामलों का औसत 10.4 है .वहीं झारखंड में आत्महत्या के मामलों का औसत 4.4 है.

2019 में 1646 लोगों ने की आत्महत्या

साल 2019 में झारखंड में 1646 लोगों ने आत्महत्या की. वहीं साल 2018 में 1317 लोगों ने खुदकुशी की थी. इस तरह आत्महत्या के मामले राज्य में 25% बढ़े हैं. खास बात यह है कि पड़ोसी राज्य बिहार में साल 2019 में 641 लोगों ने ही खुदकुशी की. जबकि झारखंड की राजधानी में आत्महत्या की प्रवृति में भारी कमी आयी है. साल 2018 में अकेले राजधानी रांची में 234 लोगों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2019 में 57 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं.

परीक्षा में असफल होने सबसे बड़ी वजह

झारखंड में परीक्षा में असफल होने या इसके भय से सर्वाधिक लोगों ने मौत को गले लगाया. 279 लोगों ने परीक्षा संबंधी असफलता के कारण जान दी, वहीं 267 लोगों ने प्रेम में असफल होने के कारण मौत को गले लगाया. कर्ज के कारण 13, शादी से जुड़े वजहों से 135, पारिवारिक कलह के कारण 184, नपुंसकता व बांझपन के कारण 36, कैंसर के कारण 17, एड्स के कारण 2, मानसिक बीमारी के कारण 109, गरीबी के कारण 24, बेरोजगारी के कारण 232 लोगों ने जान दी.

नियमित सैलरी और सरकारी नौकरी वालो ने भी दी जान

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक नियमित सैलरी पाने वाले और सरकारी कर्मियों ने भी खुदकुशी की है. कृषि पेशे से जुड़े 55 लोगों ने जहां मौत को गले लगाया है. वहीं आत्महत्या करने वालों में 272 लोग ऐसे रहे जो प्रोफेशनल थे. 10 सरकारी कर्मियों ने भी 2019 में आत्महत्या की. प्रोफेशनल प्रेशर के कारण भी 28 लोगों ने मौत को गले लगाया.

Last Updated : Sep 3, 2020, 4:53 AM IST
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