रांची: पंचम झारखंड विधानसभा का पहला मानसून सत्र छोटा होने की प्रबल संभावना है. इसे लेकर झारखंड सरकार का संसदीय कार्य विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है. राज्य में संसदीय कार्य विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कोविड-19 के दौर में दूसरे राज्य और पार्लियामेंट की जो स्थिति महसूस की गई है, उसको देखते हुए ही झारखंड में भी कोई निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी हाल में ही बिहार में 4 दिन के लिए सदन बुलाया गया, लेकिन पहले ही दिन उसे एडजर्न कर दिया गया. उन्होंने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक ने तय किया और उसी के बाद बिहार विधानसभा की कार्यवाही 1 दिन के बाद स्थगित कर दी गई.
18 से 22 सितंबर के बीच बुलाया जा सकता है मानसून सेशन
मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि नियम के अनुसार 22 सितंबर तक झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र आहूत करना है. उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार पिछले सत्र से 180 दिन या 6 महीने के अंदर अगला सत्र आहूत करना है, इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनकी बात हुई भी है और जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा, हालांकि उन्होंने इशारा किया कि बिहार की तर्ज पर झारखंड विधानसभा में भी कार्य मंत्रणा समिति तय करेगी कि सदन की कार्यवाही कितने दिनों तक चलनी है. वहीं दूसरी तरफ झारखंड में बढ़ते कोरोना पॉजिटिव केस का हवाला देते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाएगा.
स्टेट कैबिनेट से अप्रूव कराना होगा प्रस्ताव
मानसून सत्र बुलाने के लिए इससे जुड़ा एक प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग से स्टेट कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा. उसके बाद स्टेट कैबिनेट की बैठक में उसके प्रस्तावित शेड्यूल पर सहमति ली जाएगी या फिर उस कैबिनेट की बैठक की प्रत्याशा में घटनोत्तर स्वीकृति लेकर गवर्नर के पास भेजा जाएगा. वहां से सहमति मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय उस अवधि को नोटिफाई करेगा. तकनीकी जानकारों के अनुसार बजट सत्र इस साल 23 मार्च को समाप्त हुआ है. ऐसे में 22 सितंबर तक मॉनसून सेशन बुलाया जा सकता है.
पिछली विधानसभा के मानसून सेशन के ये हैं आंकड़े
झारखंड गठन से लेकर अब तक हुए मॉनसून सेशन के कार्य दिवस पर नजर डालें तो प्रथम झारखंड विधानसभा के दौरान अलग-अलग सालों में मॉनसून सत्र की अवधि सबसे लंबी थी. अलग-अलग वर्षों में कुल मिलाकर 30 दिन का कार्य दिवस मॉनसून सेशन में बीता, जबकि सबसे कम समय तृतीय झारखंड विधानसभा में मिला, जिसमें 2011 से 2014 के बीच 15 कार्य दिवस मॉनसून सेशन के लिए आवंटित हुए. वहीं चतुर्थ विधानसभा के दौरान 2015 से 2019 के बीच 29 कार्य दिवस रहे, जबकि द्वितीय झारखंड विधान सभा के दौरान 2006 से 2008 तक 19 कार्य दिवस मॉनसून सेशन के लिए आवंटित हुए.
इसे भी पढ़ें:- स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कोरोना को दी मात, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी हुए स्वस्थ
इन जनप्रतिनिधियों को झेलना पड़ा संक्रमण
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक राज्य में 43000 से अधिक लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है. उनमें से 27000 से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं. वहीं जनप्रतिनिधियों की बात करें तो झारखंड विधानसभा के सदस्यों में भी यह संक्रमण फैला. सबसे पहले राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर कोरोना वायरस से संक्रमित हुए. उसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और टुंडी से विधायक मथुरा महतो में भी संक्रमण पाया गया. अन्य संक्रमित विधायकों में बीजेपी के सीपी सिंह, आजसू पार्टी के लंबोदर महतो आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह के अलावा अब तक चार अन्य विधायक भी संक्रमित हुए हैं.