रांचीः कांग्रेस और राजद के सहयोग से राज्य में सरकार बनाने में सफल रही झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए इन दिनों अपने सहयोगी दलों के बीच समन्वय बनाये रखना काफी चुनौती भरा काम है. कांग्रेस के अंदर सरकार के कामकाज को लेकर विधायकों की बढ़ रही नाराजगी को शांत करने के बहाने सरकार पर दवाब बनाने की कोशिश की जा रही है.
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सत्तारूढ़ गठबंधन के अंदर सब कुछ ऑल इज वेल नहीं है. सत्तारूढ़ दलों के विधायकों को जनता के बजाय अपनी कुर्सी बचाने की चिंता अभी से सताने लगी है. अपने कार्यकाल के डेढ़ वर्ष से अधिक समय यूं ही बीत जाने से विधायक परेशान हैं. विधायकों की यह नाराजगी गुरुवार को कांग्रेस विधायक दल की हुई बैठक में खुलकर सामने आई.
विधायकों की नाराजगी को शांत करने के बहाने कांग्रेस सरकार पर दवाब बनाने की जुगत में है. कांग्रेस विधायकों का पांच सदस्यीय शिष्टमंडल का मुख्यमंत्री से आने वाले समय में मिलने के पीछे प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा माना जा रहा है.
कामकाज पर जता रहे नाराजगी
कांग्रेसी विधायक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सरकार के कामकाज को लेकर नाराजगी जताने वाले हैं. जानकारी यह भी आ रही है कि कांग्रेस के कई विधायक अधिकारियों द्वारा उनकी बात नहीं सुने जाने से नाराज हैं और वे इसकी शिकायत दिल्ली दरबार तक कर चुके हैं.
अपनी ही सरकार में अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे इन विधायकों की नजर बोर्ड निगम और 20 सूत्री जैसे मलाईदार पदों पर है. इधर सत्तारूढ़ दल झामुमो ने कांग्रेस के प्रेशर पॉलिटिक्स से इंकार किया है.
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पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि गठबंधन के अंदर बातों को रखने की स्वतंत्रता है. इसी उद्देश्य से कांग्रेसी विधायक मुख्यमंत्री से मिलेंगे. कोरोना के कारण कामकाज प्रभावित जरूर हुआ है मगर इसे दूसरे नजरिए से नहीं देखना चाहिए.
बीजेपी की सत्तारूढ़ गठबंधन पर नजर
इधर सत्तारूढ़ गठबंधन के अंदर चल रहे खींचतान पर विपक्षी दल बीजेपी नजर बनाये हुए है. कांग्रेस को नंबर वन राजनीतिक दुश्मन मान रही भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के कामकाज पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह ठगबंधन ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा.
पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा कि कांग्रेस सत्तालोलुप है उसे जनता की चिंता के बजाय अपनी कुर्सी बचाने की चिंता ज्यादा है. इसलिए जनता का ध्यान भटकाकर इस तरह का कुचक्र किया जा रहा है जिसे जनता देख और समझ रही है.