रांची: हाल के दिनों में झारखंड सहित देश के दूसरे राज्यों में आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम में फर्जीवाड़ा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस फर्जीवाड़े पर ब्रेक लगाने के लिए मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) के अधिकारियों ने झारखंड सीआईडी और चार प्रभावित जिलों के एसपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की.
कैसे हो रहा आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम में फर्जीवाड़ा: गौरतलब है कि केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं में आधार और फिंगर प्रिंट समेत कई डिटेल्स लिए जाते हैं. कुछ राज्यों में सरकार ने योजना के लाभार्थियों का आधार कार्ड, फिंगर प्रिंट सरकारी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था. जिसके बाद साइबर अपराधियों ने आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम में फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया. ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं. खासकर जमीन से जुड़े मामलों में फर्जीवाड़ा आधार के जरिए ही किए जा रहे हैं.
साइबर क्रिमिनल्स पर नकेल कसने की बात पर भी सहमति बनीः वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में झारखंड के साइबर क्रिमिनल्स की गतिविधि को लेकर विस्तृत चर्चा की गई. साथ ही राज्यों के बीच समन्वय स्थापित कर साइबर क्रिमिनल्स पर नकेल कसने की बात पर भी सहमति बनी. इस दौरान आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम के फर्जीवाड़ा कर पैसे की निकासी होने पर बैंकों की जिम्मेदारी तय की गई है.
90 दिनों में रिपोर्ट तो बैंक को देना होगा पैसा: किसी से इस सिस्टम से ठगी हुई हो तो वह डब्लूडब्लूडब्लू डॉट साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर या 1930 नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. शिकायत दर्ज कराने के 90 दिनों के भीतर पैसे का भुगतान पीड़ितों को बैंक के द्वारा किया जाएगा, यानी पूरी जिम्मेदारी बैंक की होगी. एमएचए के साथ हुई इस वीसी में राज्य पुलिस की तरफ से रांची एसएसपी, खूंटी, दुमका और रामगढ़ जिले के एसपी और सीआईडी के एसपी बैठक में शामिल हुए.