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फादर स्टेन स्वामी की पुलिस कस्टडी में मौत पर वामदलों ने जताया विरोध, कहा- साजिश के तहत की गई हत्या

भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Violence) मामले में आरोपी फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) का पुलिस कस्टडी में मौत हो गई. उन्होंने 84 साल की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनकी मौत के बाद वामदलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताया है. वामदलों के नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने साजिश के तहत फादर स्टेन की हत्या की है.

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फादर स्टेन स्वामी की मौत
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Published : Jul 5, 2021, 10:34 PM IST

रांची: भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Violence) मामले के आरोपी और वरिष्ठ सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी (Stan Swamy) की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई है. उनके मौत को कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने साजिश बताया है. वामदल समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए स्टेन स्वामी की पुलिस कस्टडी में मौत को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं.

इसे भी पढे़ं: फादर स्टेन स्वामी का मुंबई में निधन, जानिए झारखंड से क्या था नाता

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के प्रवक्ता अजय सिंह ने बताया, कि जिस तरह से एनआईए के द्वारा 84 वर्ष की अवस्था में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया गया और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था, इससे साफ प्रतीत होता है, कि स्टेन स्वामी को साजिश के तहत मारा गया है, पुलिस कस्टडी में हुई मौत की जांच कराई जाए और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.

देखें पूरी खबर

केंद्र सरकार पर आरोप
वहीं सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता प्रकाश विप्लव ने कहा, कि स्टेन स्वामी की मौत सरकार की मनसा पर कई सवाल खड़ा कर रहा है, जिस तरह से मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को साजिश के तहत फंसाकर जेल में मारा गया है, इससे साफ पता चलता है, कि वर्तमान कि केंद्र सरकार सही बोलने वाले को प्रताड़ित कर जान से मार रही है.
वहीं भाकपा माले के नेता पुष्कर मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने सोची समझी साजिश के तहत स्टेन स्वामी की हत्या की है. जबकि भाकपा माले के नेता पुष्कर मेहता ने कहा, कि फादर स्टेन स्वामी हमेशा ही झारखंड की आदिवासी दलित और पिछड़ों की आवाज उठाते थे, इसीलिए केंद्र सरकार ने फादर स्टेन के आवाज को दबाने के लिए उन्हें सोची समझी साजिश के तहत जेल में फंसाकर हत्या कर दी.

इसे भी पढे़ं: हर गरीब आदिवासियों में खुद की छवि देखते थे स्टेन स्वामी, ऐसा रहा तमिलनाडु से झारखंड तक का सफर

कोरेगांव-भीमा गांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय का कार्यक्रम

महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था. कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था. एल्गार परिषद के सम्मेलन के दौरान इलाके में हिंसा भड़क गई थी. भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और कई दुकानों, मकानों में तोड़फोड़ की थी. हिंसा में एक शख्स की जान चली गई और कई लोग जख्मी हो गए थे. इस हिंसा में माओवादी कनेक्शन भी सामने आया था. महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें स्टेन स्वामी भी शामिल थे. पिछले साल अक्टूबर में एनआईए ने भीमा कोरेगांव केस में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था. वो 84 साल के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. तबीयत खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई.

रांची: भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Violence) मामले के आरोपी और वरिष्ठ सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी (Stan Swamy) की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई है. उनके मौत को कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने साजिश बताया है. वामदल समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए स्टेन स्वामी की पुलिस कस्टडी में मौत को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं.

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के प्रवक्ता अजय सिंह ने बताया, कि जिस तरह से एनआईए के द्वारा 84 वर्ष की अवस्था में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया गया और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था, इससे साफ प्रतीत होता है, कि स्टेन स्वामी को साजिश के तहत मारा गया है, पुलिस कस्टडी में हुई मौत की जांच कराई जाए और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.

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केंद्र सरकार पर आरोप
वहीं सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता प्रकाश विप्लव ने कहा, कि स्टेन स्वामी की मौत सरकार की मनसा पर कई सवाल खड़ा कर रहा है, जिस तरह से मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को साजिश के तहत फंसाकर जेल में मारा गया है, इससे साफ पता चलता है, कि वर्तमान कि केंद्र सरकार सही बोलने वाले को प्रताड़ित कर जान से मार रही है.
वहीं भाकपा माले के नेता पुष्कर मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने सोची समझी साजिश के तहत स्टेन स्वामी की हत्या की है. जबकि भाकपा माले के नेता पुष्कर मेहता ने कहा, कि फादर स्टेन स्वामी हमेशा ही झारखंड की आदिवासी दलित और पिछड़ों की आवाज उठाते थे, इसीलिए केंद्र सरकार ने फादर स्टेन के आवाज को दबाने के लिए उन्हें सोची समझी साजिश के तहत जेल में फंसाकर हत्या कर दी.

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कोरेगांव-भीमा गांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय का कार्यक्रम

महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था. कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था. एल्गार परिषद के सम्मेलन के दौरान इलाके में हिंसा भड़क गई थी. भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और कई दुकानों, मकानों में तोड़फोड़ की थी. हिंसा में एक शख्स की जान चली गई और कई लोग जख्मी हो गए थे. इस हिंसा में माओवादी कनेक्शन भी सामने आया था. महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें स्टेन स्वामी भी शामिल थे. पिछले साल अक्टूबर में एनआईए ने भीमा कोरेगांव केस में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था. वो 84 साल के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. तबीयत खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई.

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