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झारखंड शिक्षा मित्र संघ ने की बैठक, CM से मुलाकात कर सुनाई अपनी पीड़ा - सीएम से मिल संघ के प्रतनिधिमंडल

झारखंड शिक्षा मित्र संघ के एक प्रतनिधिमंडल ने सूबे के सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं से अवगत कराया, सीएम ने भी उन्हें भरोसा दिलाया कि वो थोड़ा सब्र करें वे एक बेहतर भविष्य देंगे.

Jharkhand Shiksha Mitra Sangh, झारखंड शिक्षा मित्र संघ
समस्या सुनते सीएम
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Published : Feb 23, 2020, 8:25 PM IST

रांची: झारखंड शिक्षा मित्र संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की एक बैठक केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन पाठक की अध्यक्षता में हुई. जिसमें राज्य के चौबीस जिलों के जिलाध्यक्ष, सचिव, केंद्रीय समिति के सभी पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए. बैठक में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और जेएमएम के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार समान काम का समान वेतन के साथ राज्य के सभी पैंसठ हजार शिक्षा मित्र-पारा शिक्षकों को स्थाई करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया.

सीएम से मिला प्रतिनिधिमंडल

एक अन्य प्रस्ताव में कहा गया कि यदि भेदभाव और लॉलीपाप वाली नियमावली दी गई तो एक और याचिका हाईकोर्ट में दायर की जाएगी. बैठक के अंत में केंद्रीय समिति में आवश्यक फेरबदल के साथ कई जिलों के प्रभारी और पदाधिकारियों का भी चयन किया गया. उसके बाद संघ का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन पाठक के नेतृत्व में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची स्थित उनके आवास पर मिला. मिलकर राज्य के पैंसठ हजार शिक्षा मित्रों और पारा शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए प्रस्तावित नियमावली में त्रुटियों और विसंगतियों की ओर ध्यान दिलाया गया.

ये भी पढ़ें- सांसद के बयान पर भड़के पूर्व सांसद, कहा-सोशल ऑडिट के नाम पर पहले की सरकार ने काटी चांदी

अपनी मांगों से सीएम को कराया अवगत

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बताया गया कि इस नियमावली में मात्र दस हजार टेट पास पारा शिक्षकों को ही प्राथमिकता दी जा रही है और पचपन हजार प्रशिक्षित नन टेट शिक्षा मित्रों और पारा शिक्षकों को दोयम दर्जा देने का विचार चल रहा है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के रूल रेगुलेशन के अनुसार 2010 के पूर्व नियुक्त और दस वर्ष अनुभव प्राप्त शिक्षकों के लिए टेट पास की आवश्यकता नहीं है, यानी कि वह टेट के समतुल्य है. तो किस आधार पर राज्य के अधिकारी भेदभावपूर्ण नियमावली बनाने में लगे हैं. उन्होंने कहा कि दस हजार टेट पास को ज्यादा वेतनमान के साथ सीधे स्थाई करने और 55 हजार प्रशिक्षित नन टेट शिक्षा मित्रों और पारा शिक्षकों को आंकलन परीक्षा के बाद भी कम मानदेय देने की बात कही जा रही है. जो उनके अठारह वर्षों की निस्वार्थ सेवा के साथ सरासर अन्याय होगा.

सीएम ने दिया बेहतर भविष्य का भरोसा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को संघ के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन पाठक ने उनके चुनावी घोषणापत्र तथा सर्वोच्च न्यायालय के समान काम का समान वेतन के न्यायादेश की ओर ध्यान दिलाते हुए राज्य के पैंसठ हजार शिक्षा मित्र और पारा शिक्षकों को बगैर किसी परीक्षा के समान काम का समान वेतन देने की मांग की. जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होने देंगे. यह आपकी सरकार है, हम पर भरोसा रखिए सबसे बेहतर भविष्य हम आप लोगों को देंगे.

रांची: झारखंड शिक्षा मित्र संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की एक बैठक केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन पाठक की अध्यक्षता में हुई. जिसमें राज्य के चौबीस जिलों के जिलाध्यक्ष, सचिव, केंद्रीय समिति के सभी पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए. बैठक में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और जेएमएम के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार समान काम का समान वेतन के साथ राज्य के सभी पैंसठ हजार शिक्षा मित्र-पारा शिक्षकों को स्थाई करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया.

सीएम से मिला प्रतिनिधिमंडल

एक अन्य प्रस्ताव में कहा गया कि यदि भेदभाव और लॉलीपाप वाली नियमावली दी गई तो एक और याचिका हाईकोर्ट में दायर की जाएगी. बैठक के अंत में केंद्रीय समिति में आवश्यक फेरबदल के साथ कई जिलों के प्रभारी और पदाधिकारियों का भी चयन किया गया. उसके बाद संघ का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन पाठक के नेतृत्व में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची स्थित उनके आवास पर मिला. मिलकर राज्य के पैंसठ हजार शिक्षा मित्रों और पारा शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए प्रस्तावित नियमावली में त्रुटियों और विसंगतियों की ओर ध्यान दिलाया गया.

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अपनी मांगों से सीएम को कराया अवगत

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बताया गया कि इस नियमावली में मात्र दस हजार टेट पास पारा शिक्षकों को ही प्राथमिकता दी जा रही है और पचपन हजार प्रशिक्षित नन टेट शिक्षा मित्रों और पारा शिक्षकों को दोयम दर्जा देने का विचार चल रहा है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के रूल रेगुलेशन के अनुसार 2010 के पूर्व नियुक्त और दस वर्ष अनुभव प्राप्त शिक्षकों के लिए टेट पास की आवश्यकता नहीं है, यानी कि वह टेट के समतुल्य है. तो किस आधार पर राज्य के अधिकारी भेदभावपूर्ण नियमावली बनाने में लगे हैं. उन्होंने कहा कि दस हजार टेट पास को ज्यादा वेतनमान के साथ सीधे स्थाई करने और 55 हजार प्रशिक्षित नन टेट शिक्षा मित्रों और पारा शिक्षकों को आंकलन परीक्षा के बाद भी कम मानदेय देने की बात कही जा रही है. जो उनके अठारह वर्षों की निस्वार्थ सेवा के साथ सरासर अन्याय होगा.

सीएम ने दिया बेहतर भविष्य का भरोसा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को संघ के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन पाठक ने उनके चुनावी घोषणापत्र तथा सर्वोच्च न्यायालय के समान काम का समान वेतन के न्यायादेश की ओर ध्यान दिलाते हुए राज्य के पैंसठ हजार शिक्षा मित्र और पारा शिक्षकों को बगैर किसी परीक्षा के समान काम का समान वेतन देने की मांग की. जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होने देंगे. यह आपकी सरकार है, हम पर भरोसा रखिए सबसे बेहतर भविष्य हम आप लोगों को देंगे.

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