रांची: लगातार घाटे में चल रहा झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) इससे उबरने के लिए रास्ता ढूंढने में जुटा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2200 करोड़, 2021-22 में 2600 करोड़ और 2022-23 में 2500 करोड़ का घाटा जेबीवीएनएल को हुआ था. 2023-24 के दौरान अनुमानित खर्च 9000 करोड़ का है. ऐसे में घाटे की भरपाई के लिए जेबीवीएनएल को उम्मीद है कि झारखंड विद्युत नियामक आयोग में लंबित प्रस्ताव पर जल्द फैसला आने से निगम के राजस्व में वृद्धि हो सकेगी. जेबीवीएनएल के महाप्रबंधक ऋषि नंदन के अनुसार नियामक आयोग से फैसला आने के बाद ही नया दर तय होगा. निगम का दो वित्तीय वर्ष का प्रस्ताव फिलहाल लंबित है.
उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ, सुनवाई के बाद टैरिफ में होगा बदलावः झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के द्वारा दाखिल दो साल के टैरिफ प्रस्ताव पर जल्द ही झारखंड नियामक आयोग सुनवाई शुरू करने जा रहा है. पिछले 1 जून को 2021-22 के टैरिफ प्रस्ताव पर सुनवाई पूरी करते हुए आयोग ने आंशिक बदलाव कर उपभोक्ता पर पड़नेवाले आर्थिक बोझ से उबारा था, लेकिन आयोग में लंबित वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023- 24 के टैरिफ प्रस्ताव से राहत मिलता हुआ नहीं दिख रहा है.
प्रति यूनिट बिजली दर 8.60 रुपए है प्रस्तावितः झारखंड वितरण निगम लिमिटेड के द्वारा सौंपी गई दोनों वित्तीय वर्ष के टैरिफ प्लान पर नजर दौड़ाएं तो राज्य में बिजली दर प्रति यूनिट 8.60 रुपए प्रस्तावित है. जेबीवीएनएल ने घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दर 2.35 रुपए प्रति यूनिट बढ़ाने का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को दे रखा है. इस संदर्भ में जेबीवीएनएल या नियामक आयोग के वेबसाइट पर सुझाव या आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है. झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग दोनों प्रस्तावों पर जनसुनवाई शुरू करेगा. जनसुनवाई में जनता से आई आपत्ति को लेकर राज्य के सभी पांचों प्रमंडल में अक्टूबर से नियामक आयोग की टीम पहुंचकर लोगों की राय जानेगी. जनसुनवाई पूरी होने के बाद आयोग बिजली दर बढ़ाने के प्रस्ताव पर फैसला लेगा.