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सीवरेज ड्रेनेज डीपीआर गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, निगरानी आयुक्त से मांगा जवाब

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Published : Feb 6, 2021, 10:47 PM IST

जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनाने में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने निगरानी आयुक्त को विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया.

Hearing in high court in sewerage drainage DPR case
सीवरेज ड्रेनेज डीपीआर गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई

रांची:जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनाने में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने निगरानी आयुक्त को विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें- राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम पहुंची RU, महिला सुरक्षा को लेकर इंटरनल कमेटी गठित करने का दिया निर्देश

सुनवाई के दौरान अदालत ने माैखिक रूप से कहा कि निगरानी की ओर से मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अनुमति मांगी जा रही थी, अदालत ने पूछा कि 11 वर्ष बीत गए फिर भी स्वीकृति क्यों नहीं दी गई. कितनी शिकायतें आईं. कितने मामलों में स्वीकृति दी गईं हैं. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत बताया कि मैनहर्ट द्वारा सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनाया गया था. मामले की जांच विधानसभा की समिति से कराई गई. जनहित याचिका के फेसले के बाद प्रार्थी ने निगरानी में शिकायत दी थी. निगरानी ने मामले की जांच आगे की कार्रवाई के लिए निगरानी आयुक्त को लिखा. अनुमति मांगी, लेकिन अनुमति नहीं दी गई. इस पर प्रार्थी पंकज यादव ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की.

रांची:जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनाने में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने निगरानी आयुक्त को विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया.

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सुनवाई के दौरान अदालत ने माैखिक रूप से कहा कि निगरानी की ओर से मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अनुमति मांगी जा रही थी, अदालत ने पूछा कि 11 वर्ष बीत गए फिर भी स्वीकृति क्यों नहीं दी गई. कितनी शिकायतें आईं. कितने मामलों में स्वीकृति दी गईं हैं. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत बताया कि मैनहर्ट द्वारा सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनाया गया था. मामले की जांच विधानसभा की समिति से कराई गई. जनहित याचिका के फेसले के बाद प्रार्थी ने निगरानी में शिकायत दी थी. निगरानी ने मामले की जांच आगे की कार्रवाई के लिए निगरानी आयुक्त को लिखा. अनुमति मांगी, लेकिन अनुमति नहीं दी गई. इस पर प्रार्थी पंकज यादव ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की.

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