कोडरमा: नाम भले ही जननी सुरक्षा योजना है लेकिन इस मामले को देखकर ऐसा लगता है कि पुरुषों का भी प्रसव होता है और इसके लिए उनको पैसों का भुगतान भी किया जाता है. जी हां, सुनने में भले ही यह बात आश्चर्जनक लग रहा हो लेकिन इसको घोटालेबाजों ने साकार करते हुए पुरुषों का भी प्रसव करवा कर जननी सुरक्षा योजना के लाखों रुपए गटक गए. ये पूरा मामला सतगावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है.
कोडरमा का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज चर्चा का विषय बना हुआ है. इस अस्पताल की चर्चा आज इसलिए हो रही है क्योंकि यहां फाइलों में दर्ज ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमे महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों का भी प्रसव करा दिया गया. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यहां काम करने वाले बाबूओं ने संस्थागत प्रसव के नाम पर जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाली 1400 रुपए की राशि कई पुरुषों के खाते में भी ट्रांसफर करवा दिए हैै.
जननी सुरक्षा योजना में महिलाओं में विश्वास जगे वो सरकारी अस्पताल में सुरक्षित प्रसव करा सके, इसके लिए उन्हें 1400 रुपया दिया जाता है. वो पैसे का अस्पताल में बंदरबांट कर लिया गया है, वहां के एकाउंटेंट और बड़ा बाबू के द्वारा, अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी इस मामले में संलिप्त है. -नीतू कुमारी, जिला परिषद सदस्य.
एक महिला का किया गया 12-14 बार प्रसव
इस अस्पताल में लिखा पढ़ी करने वाले क्लर्क, अकाउंटेंट समेत अन्य घोटालेबाज इतने में ही नही रुके. उनलोगों तो एक ही महिला का एक ही दिन में 12 से 14 बार प्रसव भी दिखाया है. इससे साफ है की जननी सुरक्षा के तहत मिलने वाली 1400 रुपये की राशी भी उसी एक महिला के खाते में डाली दी गई. ये सारे मामले अस्पताल में मौजूद अफसरों की नाक के नीचे चलते रहे मगर उन्हे इस बात की भनक भी नही लगी. यहां तक की वहां मौजुद सिविल सर्जन को भी इस बात की जरा भी जानकारी नहीं थी.
जननी सुरक्षा योजना की लाभुक महिलाओं के पैसे को दूसरे खातों में ट्रांसफर करा दिये गये. मुझे 15-20 दिन पहले इसकी भनक लगी थी तो मैंने गुप्त रुप से जांच कर उन खातों को फ्रिज करा दिया था. दो दिन पहले मैंने जिला के डीपीएम को भेजा और जांच रिपोर्ट दी जो मुझे दी है, उससे स्पष्ट है कि वहां जो लिपिक और उनके कुछ सहयोगी मिले हुए हैं. उन्होंने अपने खाते में भी पैसे ट्रांसफर किए हैं, जो एक गंभीर मामला है. -अनिल कुमार, सिविल सर्जन, कोडरमा.
जांच टीम गठित
इस मामले के उजागर होने के बाद न सिर्फ अस्पताल बल्कि पूरे महकमे में हड़कंप मच गया है. डीसी के आदेश पर डीडीसी ऋतुराज की अगुवाई में पांच सदस्यीय जांच टीम गठित की गई. टीम ने सतगावां पहुंचकर मामले की जांच शुरू की. जिसमें मालूम चला कि ये घोटाला क्लर्क और अकाउंटेंट तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके तार और भी लोगों से जुड़े हैं.
हम जांच कर रहे हैं, किस-किस के एकांउट में पैसे गये हैं. इसके साथ ही इस प्रक्रिया में जितने भी लोग हैं, उन सभी का एक-एक करके बयान लिया गया है. इसके साथ ही बैंक से भी तमाम डिटेल्स मंगवाए जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग का प्रोजेक्ट है तो इससे जुड़े ही लोग सम्मिलित हैं. डीसी को रिपोर्ट सौंपने के कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. -ऋतुराज, डीडीसी.
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की लापरवाही उजागर
इस घोटाले में जांच की आंच अब तेज होती जा रही है. जिला स्तरीय टीम के बाद अब राज्य स्तरीय टीम भी इस अस्पताल के बाबूओं की करतूत को जानने के लिए पहुंच रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय महानिदेशक सिद्धार्थ सान्याल की जांच में इस अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सत्यनारायण भगत की लापरवाही भी उजागर हो रही है. इनके अनुसार प्रभारी के द्वारा खुली छूट मिल जाने से इस तरह का घोटाला संभव हो पाया है.
ये एक साल का मामला है या विगत कुछ महीनों का है. यहां वित्तीय अनियमितता हुई है. अस्पताल के पदाधिकारी का साइन पेपर में होना चाहिए पर सिग्नेचर नहीं है. पूरे बैंक अकाउंट का कस्टोडियन प्रभारी होते हैं. -सिद्धार्थ सान्याल, क्षेत्रीय महानिदेशक, स्वास्थ्य विभाग.
सतगावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाबूओं ने पुरुषों के प्रसव जैसे चमत्कार को साकार कर दिखाया है. इस अस्पताल का डंका हर जगह बज रहा है और शुक्रवार से शुरू हुए विधानसभा के मानसून सत्र में भी इस बात की चर्चा जरूर होगी. क्योंकि पक्ष और विपक्ष के नेता इसे भुनाने की तैयारी में है.
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