धनबादः उत्तर प्रदेश के छात्र अतुल के आईआईटी में प्रवेश का रास्ता अब साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट नें सोमवार को आईआईटी धनबाद में उनके एडमिशन का आदेश दिया है. दरअसल अतुल ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास तो कर ली थी लेकिन समय पर फीस जमा नहीं करवा पाने के कारण उनका एडमिशन नहीं हो सका था.
इस पूरे मामले पर आईआईटी आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. धीरज कुमार ने कहा कि मीडिया के माध्यम से ही पता चला है कि उच्चतम न्यायालय ने आईआईटी आईएसएम को आदेश दिया है. जिसमें अतुल कुमार का जोशा के तहत आईआईटी आईएसएम धनबाद में सीट का एलोकेशन हुआ था. लेकिन पैसे की कमी के कारण फीस नहीं जमा होने के कारण जोशा से अतुल को सीट नहीं मिला पायी थी. उच्चतम न्यायालय ने अतुल की सीट को धनबाद आईआईटी आईएसएम एलोकेट करते हुए उसका एडमिशन लेने का आदेश दिया है.
डिप्टी डायरेक्टर के अनुसार संस्थान को उच्चतम न्यायालय के आदेश की कॉपी का इंतजार है, आदेश की कॉपी मिलते ही एडमिशन की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उन्होने कहा की इस मामले में आईआईएटी मद्रास को फर्स्ट पार्टी बनाया गया था और आईआईटी आईएसएम को सेकेंड पार्टी बनाया गया था. उन्होंने कहा कि अभी तक उच्चतम न्यायालय के आदेश की कॉपी नहीं आई है. हमारे वकील भी मामले को रिप्रजेंट कर रहे थे, संभवतः मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी हमें भी मिल जाएगी, हम न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे.
प्रो. धीरज कुमार ने बताया कि अतुल उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का छात्र है. अंतिम कुछ मिनटों में जोशा के पोर्टल फीस जमा करने के लिए लॉगिन किया था. शायद उसके पास कुछ आर्थिक अभाव था, जिस कारण वह समय से फीस नहीं भर पाया था. चूंकि पांच बजे पोर्टल बंद हो जाती है और वह सीट किसी और को आवंटित हो जाती है. जिस कारण अतुल को सीट नहीं मिल पाई.
आईआईटी आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि अगर ऐसा कुछ था और इसकी जानकारी मिल गई होती तो आईएसएम भी ऐसे बच्चों को मदद करती है. इसके अलावा कई संस्थाएं भी इस दिशा में काम कर रही हैं. आईएसएम के एल्युमिनाई भी फोन कर पूछ रहें है कि अगर ऐसा था तो जानकारी देनी चाहिए. उच्चतम न्यायालय का स्वागत योग्य फैसला उसका हम स्वागत करते हैं. हम उस छात्र का एडमिशन जरूर अपने संस्थान में लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में क्या हुआ
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा कर रहे थे. कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा, "हमारा विचार है कि एक प्रतिभाशाली छात्र को बेसहारा नहीं छोड़ा जाना चाहिए, इसलिए हम निर्देश देते हैं कि उसे आईआईटी धनबाद में प्रवेश दिया जाए." कोर्ट ने कहा कि देरी हो जाने के बावजूद अनुसूचित जाति वर्ग से संबंध रखने वाले छात्र अतुल कुमार को उसी बैच में दाखिला दिया जाए. अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि इसकी वजह से किसी और छात्र को दिक्कत न हो, इसलिए अतुल के लिए एक अतिरिक्त सीट बनाई जाए. कोर्ट के अनुसार वह हॉस्टल समेत सभी लाभों का हकदार होगा.
अतुल कुमार के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि वरिष्ठ वकीलों ने उसकी फीस भरने का फैसला किया है. इस पर कोर्ट ने छात्र को शुभकामनाएं दी और कहा, अच्छा करिए. छात्र की ओर से पेश होते हुए वकील ने कहा कि अतुल कुमार के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं और जिस दिन अतुल का एडमिशन होना था, तब तक पैसा लेकर वह नहीं पहुंच सके. हालांकि, अंतिम समय में वह पहुंचे, पर तब तक सर्वर डाउन हो चुका था, इसलिए उस दिन उसका एडमिशन नहीं हो सका.
अतुल कुमार ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि इस साल जेईई एडवांस परीक्षा प्राधिकरण की जिम्मेदारी आईआईटी मद्रास के पास थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला उनके क्षेत्र में नहीं आता है. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी मद्रास को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा था.
जवाब में आईआईटी मद्रास ने बताया कि अतुल कुमार 3.12 बजे तक अपना परिणाम देख रहे थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने भुगतान के कोई प्रयास नहीं किए. कॉलेज ने यह भी कहा कि मॉक इंटरव्यू के दिन भी इन्हें बताया गया था कि फीस समय पर जमा करना होगा, अन्यथा आपका दाखिल रूक जाएगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉलेज को इतना अधिक आक्रामक रूख नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि यह बताइए कि इस मामले में आप क्या कर सकते हैं. इस पर कॉलेज की ओर से पेश होते हुए वकील ने कहा कि उन्हें जितने प्रयासों की अनुमति थी, वह खत्म हो चुका है.
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पूछा कि क्या कॉलेज के पास सीट आवंटन सूचना का पर्ची रिकॉर्ड उपलब्ध है. क्योंकि इस रिकॉर्ड में 17500 रु. के भुगतान का निर्देश लिखा रहता है. इस पर आईआईटी मद्रास के वकील ने कहा कि पर्ची रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अतुल कुमार एक प्रतिभाशाली छात्र है, उसकी लॉग शीट देखिए, ऐसा कुछ नहीं लगता है कि वह बटन नहीं दबाएगा... केवल एक चीज जिसने उसे रोका, वह 17,500 रुपये निकालने में असमर्थता थी.
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