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झारखंड के बजट का इतिहास: 24 सालों में कैसा रहा सफर, कितना बढ़ा आकार - HISTORY OF JHARKHAND BUDGET

बिहार से अलग होने के बाद, 24 सालों में झारखंड का कैसा बजट रहा. जानिए रांची से भुवन किशोर झा की रिपोर्ट में.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 22, 2025, 5:02 AM IST

रांची: प्रकृति की गोद में बसा झारखंड देश का 28वां राज्य है. इसकी स्थापना बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को हुई थी. प्राकृतिक संसाधनों से भरा ये राज्य जब बिहार से अलग हुआ तो इसके कई सपने थे. सपना था एक विकसित और समृद्ध झारखंड का. आदिवासी बहुल इस राज्य ने सबके विकास का सपना देखा था. समय के साथ वह सपना टूटता चला गया. हालांकि शुरुआती दौर में झारखंड ने लगातार तीन वर्षों तक सरप्लस बजट देकर सबको चौंका दिया. बाद के सालों में स्थिति खराब होती चली गई.

बिहार से अलग होने के बाद झारखंड ने देखा सुनहरा सपना

झारखंड जब बिहार से अलग हुआ तो चारों तरफ जश्न का माहौल था. लोग मांदर की थाप पर नाच रहे थे, गा रहे थे. इस छोटे से राज्य का बड़ा सपना 'अबुआ दिशुम, अबुआ राज' साकार हो गया था. अब बिरसा मुंडा, सिदो कान्हू, तिलका मांझी, शेख भिखारी और नीलांबर पीतांबर का सपना सच करने की बारी थी. इस राज्य को विकसित राज्य बनाना था. इसके लिए जरूरत थी भारी भरकम बजट की. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे साल 2000 में जब झारखंड राज्य बना, तब किस तरह का और कितने का बजट था. उसके बाद के सालों में सरकार ने कैसा बजट पेश किया और झारखंड का कितना विकास हो पाया.

वित्त मंत्री और अर्थशास्त्री का बयान (ईटीवी भारत)

शुरुआती तीन सालों में पेश किया गया सरप्लस बजट

साल 2000 में जब झारखंड अलग हुआ तो इसके कई सपने थे. प्रचुर मात्रा में खनिज और इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण इसके विकास की पूर्ण संभावना थी. लेकिन ये इस राज्य की विडंबना ही रही कि विकास को लेकर कोई रोड मैप तैयार नहीं हो सका. जिसकी वजह से धनी होने के बाबजूद यह पिछड़ा राज्य की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया. शुरुआती दौर में राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद इस राज्य ने लगातार तीन वर्षों तक सरप्लस बजट रहा. लेकिन कालांतर में विकास के नाम पर भारी भरकम बजट का दौर शुरू हुआ जो आज तक जारी है.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
कब किसने किया बजट पेश (ईटीवी भारत)

शुरुआती बजट से 16 गुणा बड़ा हुआ अब का बजट

जानकारों के अनुसार बजट आकार में वृद्धि विकास कार्यों के लिए आवश्यक है. मगर इसके आउटपुट पर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया और साल दर साल बजट राशि बढ़ती चली गई. आंकड़े बताते हैं कि पहली बजट जो वित्तीय वर्ष 2001-02 में लाया गया था उसकी तुलना में 25 वर्षों में बजट का आकार 16 गुणा से अधिक बड़ा हुआ है. जबकि खर्च के मुकाबले आय में करीब 12 गुणा ही वृद्धि हुई है. पहले बजट में वार्षिक व्यय 7743.38 करोड़ का था. जबकि दूसरे साल 2002-03 में 23.92% वृद्धि के साथ 9595.85 करोड़ निर्धारित की गई थी.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
आदित्य मल्होत्रा का बयान (ईटीवी भारत)

'निश्चित रूप से जो बजट के निर्माता होते हैं उनको एक बैलेंसिंग एक्ट करना होगा. उनको आय के बारे में सोचना होगा और खर्च के बारे में भी. अगर हम लोग आय के बारे में विचार नहीं करेंगे और केवल व्यय करते जाएंगे. इससे घाटा बढ़ता जाएगा. वह कहीं से भी राज्य के हित में नहीं होगा है क्योंकि उसमें ऋण का सूद भी बढ़ता जाएगा. अगर हम लोग कुछ राज्यों की देखें जैसे पंजाब, केरल इन सबों पर इतना ऋण और देनदारी है कि अभी कि आज वह कठिनाई में हैं. झारखंड ऐसा राज्य है जिसमें तमाम तरह की संपदा है. ऐसे में हमें अपनी संपदा को बढ़ाने की बात सोचनी चाहिए.'- आदित्य मल्होत्रा, महासचिव, झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
बजट का आकार (ईटीवी भारत)

झारखंड का जीएसडीपी करीब 30 प्रतिशत

चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 की बात करें तो सरकार ने 1 लाख 28 हजार 900 करोड़ का भारी भरकम बजट पेश किया. 2023-24 की तुलना में 10.7% अधिक है. ऐसे में झारखंड सरकार अपनी जरूरत को ऋण लेकर पूरा कर रहा है. हालांकि आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी 2.7% है जो अन्य राज्यों की तुलना में अच्छा है. इसके बावजूद 2016-17 से 2022-23 के दौरान क्रमशः 9%,13% और 10% की औसत वार्षिक दर से राज्य का कर्ज बढ़ा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार जीएसडीपी का 30% (1,18,448 करोड़) के करीब है.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
FGX ETV BHARAT (Etv Bharat)

स्वास्थ्य पर सरकार ने कितना दिया ध्यान

झारखंड के पहले बजट (वित्त वर्ष 2001-02) में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 169.09 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. यह बजट तत्कालीन वित्त मंत्री मृगेंद्र प्रसाद कुशवाहा द्वारा पेश किया गया था. इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, अस्पतालों के विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया गया था. हालांकि बाद के वर्षों में भी सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट को बढ़ाया. पिछले तीन बजट को देखें तो हेमंत सोरेन सरकार ने स्वास्थ्य बजट पर 7 हजार करोड़ से अधिक का प्रवाधन रखा. हेमंत सोरेन सरका ने 2021-22 में 7800 करोड़ रुपए का स्वास्थ्य बजट रखा. वहीं 2023-24 में 7040 करोड़ का बजट का प्रावधान किया गया. वहीं, 2024-2025 में यह 7223 रहा. साल 2025-26 के बजट के लिए उम्मीद की जा रही है कि स्वास्थ्य बजट को बढ़ाया जाएगा.

वित्तीय वर्षस्वास्थ्य बजट (करोड़ रुपये में)
2001-02169.09
2021-227800
2023-247040
2024-257223

शिक्षा पर कितना किया गया खर्च

झारखंड के गठन के बाद से शिक्षा क्षेत्र के बजट आवंटन में समय-समय पर वृद्धि हुई है. झारखंड के पहले बजट (2001-02) में शिक्षा क्षेत्र के लिए 915.36 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इस बजट में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा के विकास पर भी जोर दिया गया था. बाद के वर्षों में इस बजट को और बढ़ाया गया. 2020-21 के बजट में शिक्षा व्यवस्था पर लगभग 11000 करोड़ रुपये खर्च किए गए. वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए शिक्षा क्षेत्र में 11, 660.68 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.

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स्कूल में छात्राएं (Etv Bharat)

उच्च एवं तकनीकी शिक्षा पर खर्च

झारखंड सरकार ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में 2,026.13 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. इस प्रकार कुल मिलाकर शिक्षा क्षेत्र के लिए 13,686.81 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया. इस बजट में 'गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना' जैसी नई पहलों का समावेश किया गया जिसका उद्देश्य छात्रों को उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता प्रदान करना है. बात करें 2024-25 के शिक्षा बजट की तो झारखंड सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के लिए कुल 14,725 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है. यह आवंटन राज्य के कुल व्यय का 13.1% है, जो कि राष्ट्रीय औसत 14.7% से थोड़ा कम है.

  • प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा: 12,314 करोड़ रुपये
  • उच्च एवं तकनीकी शिक्षा: 2,411 करोड़ रुपये

कैसा था 2024-25 का शिक्षा बजट

2024-25 के बजट में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों का प्रस्ताव है, जैसे कि 80 उत्कृष्ट विद्यालयों का संचालन, 325 प्रखंड स्तरीय मिडिल स्कूलों का संचालन, और 4036 पंचायत स्तरीय विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करना. इसके अतिरिक्त, उच्च शिक्षा में सुधार के लिए 19 नए महाविद्यालयों की स्थापना, जिसमें 15 डिग्री महाविद्यालय और 4 महिला महाविद्यालय शामिल हैं, का लक्ष्य रखा गया है. इस प्रकार, झारखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए महत्वपूर्ण निवेश कर रही है.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
जवाहर नवोदय विद्यालय (Etv Bharat)

शिक्षा और स्वास्थ पर सरकार बढ़ सकती है आगे

2001 से 2024 तक, झारखंड सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा के बजट में काफी वृद्धि की है. जहां स्वास्थ्य बजट 169.09 करोड़ रुपये से बढ़कर 7,223 करोड़ रुपये का हो गया. वहीं शिक्षा बजट 915.36 करोड़ रुपये से बढ़कर 14725 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इन दोनों क्षेत्रों में लगातार सुधार से राज्य के नागरिकों को काफी हद तक मदद मिली है. हालांकि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में आज भी काफी कुछ किया जाना बाकी है. उम्मीद की जा रही है कि 2025-26 के बजट में झारखंड को और मजबूत बनाने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा का लाभ राज्य के हर नागरिक तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
वित्त मंत्री का बायन (Etv Bharat)

'बजट का आकार बढ़ना राज्यहित में अच्छी बात है, झारखंड राज्य का निर्माण हुआ है एक उद्देश्य है साथ में कि विकास के हर प्रक्षेत्र में हम कुछ करें तो इसके लिए बजट का आकार बढ़ना उचित है. मैं यह समझता हूं कि जो 128000 करोड़ का बजट 2024- 25 का है तो आने वाला जो वित्तीय वर्ष है 2025-26 का उसके आकार में भी आपको वृद्धि दिखाई पड़ेगा. सबसे अच्छी बात यह है कि हेमंत सोरेन सरकार में स्कीम और स्थापना, स्कीम यानी की योजनाओं पर अधिक खर्च करना चाहती है. स्थापना के मद में हम नियंत्रित होकर के उस मद में खर्च करना चाहते हैं .सरकार स्थापना मद से जो खर्च आवश्यक है वह होगा ही. मगर योजना मद से ज्यादा से ज्यादा खर्च किया जाए इस पर सरकार का ध्यान है'- राधाकृष्ण किशोर, वित्त मंत्री, झारखंड

जनसंख्या दबाव और विकास की भावी योजना

समय के साथ राज्य के लिए बढ़ रही जनसंख्या दबाव सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. आर्थिक सर्वेक्षण 2023- 24 के रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में शहरीकरण दर 24.05 प्रतिशत था, जो राष्ट्रीय औसत 31.01% से कम था. 2001 से 2011 के बीच 10 सालों में यह वृद्धि दर 32.4% थी. 2011 के जनगणना के अनुसार जिला वार शहरीकरण में सर्वाधिक धनबाद में 58% रहा था. जबकि सबसे नीचे पांच प्रतिशत गोड्डा में रहा. इन अवधि में राज्य के पांच जिले धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, रामगढ़ और रांची देश के औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे. जबकि गोड्डा, गढ़वा, चतरा, गुमला, दुमका, लातेहार, सिमडेगा और पाकुड़ जिले में शहरीकरण की दर 10% से भी कम थी.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
धीरज पाठक का बयान (ईटीवी भारत)

'गवर्नमेंट सरप्लस बजट बनाकर पैसा अपने पास जमा करके रखे, उससे बेहतर यह है कि पैसा पब्लिक के पास ही छोड़ दिया जाए. क्योंकि अगर पब्लिक के पास पैसा रहेगा तो वह उससे अपना फ्यूचर प्लान कर सकती है. मार्केट में इनवेस्ट कर सकती है. इससे डेवलपमेंट होगा. इसलिए गवर्नमेंट को सरप्लस बजट नहीं बनाना चाहिए. हालांकि अगर बजट घाटा बहुत बढ़ गया हो, या फिर इंटरेस्ट पेमेंट है ज्यादा हो, यानी कि जो डेवलपमेंटल एक्सपेंडिचर है उसका पैसा कम करके इंटरेस्ट पेमेंट में ज्यादा कर रहे हैं, या किसी तरह के डेट ट्रैप में फंस गए हैं. तो ऐसे सिचुएशन में सरप्लस बजट के बारे में सोचना चाहिए.'- धीरज एम. पाठक, अर्थशास्त्री

ग्रामीण क्षेत्रों पर रहेगा सरकार का फोकस

वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं. सरकार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की किरण पहुंचाने की बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि राज्य सरकार ने अपने आगामी बजट 2025-26 में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर फोकस किया है. बजट में यह कोशिश की जा रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों को और मजबूत किया जा सकते ताकि वे झारखंड के विकास में योगदान दें. कृषि पशुपालन पेयजल शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखकर योजना बनाने का निर्णय लिया गया है.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
स्टील प्लांट (Etv Bharat)

बजट घाटा को पाटने के लिए करना होगा प्रयास

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को बजट आकार बढ़ाने के साथ राजस्व संग्रह पर भी ध्यान देना होगा. आय के नए स्रोत तलाशने होंगे. ऐसे में केंद्रीय मद के अलावा राज्य सरकार अपने बलबूते योजना को संचालित करने का मास्टर प्लान बना रही है. हालांकि पिछले बजट से ही इसकी झलक देखने को मिलने शुरू हो गई थी. 2019-20 के राज्य के अपने स्रोतों से कुल आय 31 हजार 524 करोड़ 20 लाख रुपए हुए थे. चालू वित्तीय वर्ष में सरकार ने इसकी तुलना में 70% की वृद्धि करते हुए 53 हजार 500 करोड़ 43 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है. सरकार का ध्यान पर्यटन और स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी है. 2025 -26 के वार्षिक बजट में इसकी झलक देखने को मिल सकती है. सरकार उत्पाद नीति निजी हाथों में दे सकती है. इससे करीब 5000 करोड़ मिलने की उम्मीद है.

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बिहार से अलग होने के बाद झारखंड ने देखा सुनहरा सपना

झारखंड जब बिहार से अलग हुआ तो चारों तरफ जश्न का माहौल था. लोग मांदर की थाप पर नाच रहे थे, गा रहे थे. इस छोटे से राज्य का बड़ा सपना 'अबुआ दिशुम, अबुआ राज' साकार हो गया था. अब बिरसा मुंडा, सिदो कान्हू, तिलका मांझी, शेख भिखारी और नीलांबर पीतांबर का सपना सच करने की बारी थी. इस राज्य को विकसित राज्य बनाना था. इसके लिए जरूरत थी भारी भरकम बजट की. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे साल 2000 में जब झारखंड राज्य बना, तब किस तरह का और कितने का बजट था. उसके बाद के सालों में सरकार ने कैसा बजट पेश किया और झारखंड का कितना विकास हो पाया.

वित्त मंत्री और अर्थशास्त्री का बयान (ईटीवी भारत)

शुरुआती तीन सालों में पेश किया गया सरप्लस बजट

साल 2000 में जब झारखंड अलग हुआ तो इसके कई सपने थे. प्रचुर मात्रा में खनिज और इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण इसके विकास की पूर्ण संभावना थी. लेकिन ये इस राज्य की विडंबना ही रही कि विकास को लेकर कोई रोड मैप तैयार नहीं हो सका. जिसकी वजह से धनी होने के बाबजूद यह पिछड़ा राज्य की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया. शुरुआती दौर में राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद इस राज्य ने लगातार तीन वर्षों तक सरप्लस बजट रहा. लेकिन कालांतर में विकास के नाम पर भारी भरकम बजट का दौर शुरू हुआ जो आज तक जारी है.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
कब किसने किया बजट पेश (ईटीवी भारत)

शुरुआती बजट से 16 गुणा बड़ा हुआ अब का बजट

जानकारों के अनुसार बजट आकार में वृद्धि विकास कार्यों के लिए आवश्यक है. मगर इसके आउटपुट पर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया और साल दर साल बजट राशि बढ़ती चली गई. आंकड़े बताते हैं कि पहली बजट जो वित्तीय वर्ष 2001-02 में लाया गया था उसकी तुलना में 25 वर्षों में बजट का आकार 16 गुणा से अधिक बड़ा हुआ है. जबकि खर्च के मुकाबले आय में करीब 12 गुणा ही वृद्धि हुई है. पहले बजट में वार्षिक व्यय 7743.38 करोड़ का था. जबकि दूसरे साल 2002-03 में 23.92% वृद्धि के साथ 9595.85 करोड़ निर्धारित की गई थी.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
आदित्य मल्होत्रा का बयान (ईटीवी भारत)

'निश्चित रूप से जो बजट के निर्माता होते हैं उनको एक बैलेंसिंग एक्ट करना होगा. उनको आय के बारे में सोचना होगा और खर्च के बारे में भी. अगर हम लोग आय के बारे में विचार नहीं करेंगे और केवल व्यय करते जाएंगे. इससे घाटा बढ़ता जाएगा. वह कहीं से भी राज्य के हित में नहीं होगा है क्योंकि उसमें ऋण का सूद भी बढ़ता जाएगा. अगर हम लोग कुछ राज्यों की देखें जैसे पंजाब, केरल इन सबों पर इतना ऋण और देनदारी है कि अभी कि आज वह कठिनाई में हैं. झारखंड ऐसा राज्य है जिसमें तमाम तरह की संपदा है. ऐसे में हमें अपनी संपदा को बढ़ाने की बात सोचनी चाहिए.'- आदित्य मल्होत्रा, महासचिव, झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
बजट का आकार (ईटीवी भारत)

झारखंड का जीएसडीपी करीब 30 प्रतिशत

चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 की बात करें तो सरकार ने 1 लाख 28 हजार 900 करोड़ का भारी भरकम बजट पेश किया. 2023-24 की तुलना में 10.7% अधिक है. ऐसे में झारखंड सरकार अपनी जरूरत को ऋण लेकर पूरा कर रहा है. हालांकि आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी 2.7% है जो अन्य राज्यों की तुलना में अच्छा है. इसके बावजूद 2016-17 से 2022-23 के दौरान क्रमशः 9%,13% और 10% की औसत वार्षिक दर से राज्य का कर्ज बढ़ा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार जीएसडीपी का 30% (1,18,448 करोड़) के करीब है.

HISTORY OF JHARKHAND BUDGET
FGX ETV BHARAT (Etv Bharat)

स्वास्थ्य पर सरकार ने कितना दिया ध्यान

झारखंड के पहले बजट (वित्त वर्ष 2001-02) में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 169.09 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. यह बजट तत्कालीन वित्त मंत्री मृगेंद्र प्रसाद कुशवाहा द्वारा पेश किया गया था. इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, अस्पतालों के विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया गया था. हालांकि बाद के वर्षों में भी सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट को बढ़ाया. पिछले तीन बजट को देखें तो हेमंत सोरेन सरकार ने स्वास्थ्य बजट पर 7 हजार करोड़ से अधिक का प्रवाधन रखा. हेमंत सोरेन सरका ने 2021-22 में 7800 करोड़ रुपए का स्वास्थ्य बजट रखा. वहीं 2023-24 में 7040 करोड़ का बजट का प्रावधान किया गया. वहीं, 2024-2025 में यह 7223 रहा. साल 2025-26 के बजट के लिए उम्मीद की जा रही है कि स्वास्थ्य बजट को बढ़ाया जाएगा.

वित्तीय वर्षस्वास्थ्य बजट (करोड़ रुपये में)
2001-02169.09
2021-227800
2023-247040
2024-257223

शिक्षा पर कितना किया गया खर्च

झारखंड के गठन के बाद से शिक्षा क्षेत्र के बजट आवंटन में समय-समय पर वृद्धि हुई है. झारखंड के पहले बजट (2001-02) में शिक्षा क्षेत्र के लिए 915.36 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इस बजट में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा के विकास पर भी जोर दिया गया था. बाद के वर्षों में इस बजट को और बढ़ाया गया. 2020-21 के बजट में शिक्षा व्यवस्था पर लगभग 11000 करोड़ रुपये खर्च किए गए. वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए शिक्षा क्षेत्र में 11, 660.68 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.

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स्कूल में छात्राएं (Etv Bharat)

उच्च एवं तकनीकी शिक्षा पर खर्च

झारखंड सरकार ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में 2,026.13 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. इस प्रकार कुल मिलाकर शिक्षा क्षेत्र के लिए 13,686.81 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया. इस बजट में 'गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना' जैसी नई पहलों का समावेश किया गया जिसका उद्देश्य छात्रों को उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता प्रदान करना है. बात करें 2024-25 के शिक्षा बजट की तो झारखंड सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के लिए कुल 14,725 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है. यह आवंटन राज्य के कुल व्यय का 13.1% है, जो कि राष्ट्रीय औसत 14.7% से थोड़ा कम है.

  • प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा: 12,314 करोड़ रुपये
  • उच्च एवं तकनीकी शिक्षा: 2,411 करोड़ रुपये

कैसा था 2024-25 का शिक्षा बजट

2024-25 के बजट में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों का प्रस्ताव है, जैसे कि 80 उत्कृष्ट विद्यालयों का संचालन, 325 प्रखंड स्तरीय मिडिल स्कूलों का संचालन, और 4036 पंचायत स्तरीय विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करना. इसके अतिरिक्त, उच्च शिक्षा में सुधार के लिए 19 नए महाविद्यालयों की स्थापना, जिसमें 15 डिग्री महाविद्यालय और 4 महिला महाविद्यालय शामिल हैं, का लक्ष्य रखा गया है. इस प्रकार, झारखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए महत्वपूर्ण निवेश कर रही है.

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जवाहर नवोदय विद्यालय (Etv Bharat)

शिक्षा और स्वास्थ पर सरकार बढ़ सकती है आगे

2001 से 2024 तक, झारखंड सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा के बजट में काफी वृद्धि की है. जहां स्वास्थ्य बजट 169.09 करोड़ रुपये से बढ़कर 7,223 करोड़ रुपये का हो गया. वहीं शिक्षा बजट 915.36 करोड़ रुपये से बढ़कर 14725 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इन दोनों क्षेत्रों में लगातार सुधार से राज्य के नागरिकों को काफी हद तक मदद मिली है. हालांकि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में आज भी काफी कुछ किया जाना बाकी है. उम्मीद की जा रही है कि 2025-26 के बजट में झारखंड को और मजबूत बनाने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा का लाभ राज्य के हर नागरिक तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.

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वित्त मंत्री का बायन (Etv Bharat)

'बजट का आकार बढ़ना राज्यहित में अच्छी बात है, झारखंड राज्य का निर्माण हुआ है एक उद्देश्य है साथ में कि विकास के हर प्रक्षेत्र में हम कुछ करें तो इसके लिए बजट का आकार बढ़ना उचित है. मैं यह समझता हूं कि जो 128000 करोड़ का बजट 2024- 25 का है तो आने वाला जो वित्तीय वर्ष है 2025-26 का उसके आकार में भी आपको वृद्धि दिखाई पड़ेगा. सबसे अच्छी बात यह है कि हेमंत सोरेन सरकार में स्कीम और स्थापना, स्कीम यानी की योजनाओं पर अधिक खर्च करना चाहती है. स्थापना के मद में हम नियंत्रित होकर के उस मद में खर्च करना चाहते हैं .सरकार स्थापना मद से जो खर्च आवश्यक है वह होगा ही. मगर योजना मद से ज्यादा से ज्यादा खर्च किया जाए इस पर सरकार का ध्यान है'- राधाकृष्ण किशोर, वित्त मंत्री, झारखंड

जनसंख्या दबाव और विकास की भावी योजना

समय के साथ राज्य के लिए बढ़ रही जनसंख्या दबाव सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. आर्थिक सर्वेक्षण 2023- 24 के रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में शहरीकरण दर 24.05 प्रतिशत था, जो राष्ट्रीय औसत 31.01% से कम था. 2001 से 2011 के बीच 10 सालों में यह वृद्धि दर 32.4% थी. 2011 के जनगणना के अनुसार जिला वार शहरीकरण में सर्वाधिक धनबाद में 58% रहा था. जबकि सबसे नीचे पांच प्रतिशत गोड्डा में रहा. इन अवधि में राज्य के पांच जिले धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, रामगढ़ और रांची देश के औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे. जबकि गोड्डा, गढ़वा, चतरा, गुमला, दुमका, लातेहार, सिमडेगा और पाकुड़ जिले में शहरीकरण की दर 10% से भी कम थी.

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धीरज पाठक का बयान (ईटीवी भारत)

'गवर्नमेंट सरप्लस बजट बनाकर पैसा अपने पास जमा करके रखे, उससे बेहतर यह है कि पैसा पब्लिक के पास ही छोड़ दिया जाए. क्योंकि अगर पब्लिक के पास पैसा रहेगा तो वह उससे अपना फ्यूचर प्लान कर सकती है. मार्केट में इनवेस्ट कर सकती है. इससे डेवलपमेंट होगा. इसलिए गवर्नमेंट को सरप्लस बजट नहीं बनाना चाहिए. हालांकि अगर बजट घाटा बहुत बढ़ गया हो, या फिर इंटरेस्ट पेमेंट है ज्यादा हो, यानी कि जो डेवलपमेंटल एक्सपेंडिचर है उसका पैसा कम करके इंटरेस्ट पेमेंट में ज्यादा कर रहे हैं, या किसी तरह के डेट ट्रैप में फंस गए हैं. तो ऐसे सिचुएशन में सरप्लस बजट के बारे में सोचना चाहिए.'- धीरज एम. पाठक, अर्थशास्त्री

ग्रामीण क्षेत्रों पर रहेगा सरकार का फोकस

वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं. सरकार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की किरण पहुंचाने की बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि राज्य सरकार ने अपने आगामी बजट 2025-26 में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर फोकस किया है. बजट में यह कोशिश की जा रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों को और मजबूत किया जा सकते ताकि वे झारखंड के विकास में योगदान दें. कृषि पशुपालन पेयजल शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखकर योजना बनाने का निर्णय लिया गया है.

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बजट घाटा को पाटने के लिए करना होगा प्रयास

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को बजट आकार बढ़ाने के साथ राजस्व संग्रह पर भी ध्यान देना होगा. आय के नए स्रोत तलाशने होंगे. ऐसे में केंद्रीय मद के अलावा राज्य सरकार अपने बलबूते योजना को संचालित करने का मास्टर प्लान बना रही है. हालांकि पिछले बजट से ही इसकी झलक देखने को मिलने शुरू हो गई थी. 2019-20 के राज्य के अपने स्रोतों से कुल आय 31 हजार 524 करोड़ 20 लाख रुपए हुए थे. चालू वित्तीय वर्ष में सरकार ने इसकी तुलना में 70% की वृद्धि करते हुए 53 हजार 500 करोड़ 43 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है. सरकार का ध्यान पर्यटन और स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी है. 2025 -26 के वार्षिक बजट में इसकी झलक देखने को मिल सकती है. सरकार उत्पाद नीति निजी हाथों में दे सकती है. इससे करीब 5000 करोड़ मिलने की उम्मीद है.

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