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JSSC CGL परीक्षा गड़बड़ी मामला: अभ्यर्थियों के सबूतों और तर्कों को आयोग ने मानने से किया इनकार - JSSC CGL exam

JSSC students protest. जेएसएससी ने छात्रों द्वारा सीजीएल परीक्षा के पेपर लीक और गड़बड़ी से जुड़े तर्कों को मानने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद छात्र आयोग के कार्यालय के बाहर ही धरने पर बैठ गए. हालांकि अधिकारियों के समझाने के बाद छात्रों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है.

JSSC students protest
अधिकारियों के साथ छात्रों की बैठक (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 30, 2024, 10:37 PM IST

रांची: सीजीएल परीक्षा को लेकर विवाद शांत नहीं हो रहा है. जेएसएससी ने छात्रों द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों और तर्कों को मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद छात्र फिर से आंदोलन पर बैठ गए. हालांकि, प्रशासन के अधिकारियों के समझाने के बाद सोमवार की रात को छात्रों ने आंदोलन वापस ले लिया. हालांकि, छात्रों ने चेतावनी दी है कि जब तक यह विवाद खत्म नहीं होता, तब तक आयोग परीक्षा का रिजल्ट जारी न करें, नहीं तो और भी बड़ा आंदोलन होगा.

परीक्षा रद्द करने की मांग खारिज

बता दें कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग कार्यालय का घेराव करने राज्यभर से आए छात्र रात तक वहीं डेरा जमाए रहे. इससे पहले पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रश्नपत्र लीक से संबंधित साक्ष्य के साथ आयोग कार्यालय पहुंचा. राज्यपाल के निर्देश पर जेएसएससी सचिव के नेतृत्व में गठित जांच टीम के समक्ष छात्रों ने अपनी बातें रखीं. इस दौरान आयोग कार्यालय में सचिव सुधीर कुमार गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक अरविंद लाल ने अभ्यर्थियों को समझाने का भरसक प्रयास किया. छात्रों के साथ एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत चलती रही. अभ्यर्थियों के तर्कों से आयोग संतुष्ट नहीं हुआ और अंतत: छात्रों की परीक्षा रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया.

छात्रों और प्रशासनिक अधिकारियों का बयान (ईटीवी भारत)

गौरतलब है कि राजभवन सचिवालय से पत्र मिलने के बाद इस परीक्षा को लेकर जेएसएससी द्वारा सचिव सुधीर कुमार गुप्ता के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है. इस टीम में आयोग के सचिव के अलावा दो अन्य पदाधिकारी सदस्य हैं, जिसमें परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार लाल और संयुक्त सचिव मधुमिता कुमारी का नाम शामिल है. जांच कमेटी ने 06 छात्रों को नोटिस भेजकर 30 सितंबर को अपराह्न तीन बजे आयोग कार्यालय में बुलाया था, ताकि वे 26 सितंबर को छात्रों को सौंपे गए शिकायत पत्र का साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें.

आंदोलन लिया गया वापस

इस बीच, जेएसएससी से वार्ता विफल होने के बाद छात्रों का आंदोलन शाम में भी जारी रहा. लेकिन रात करीब साढ़े नौ बजे जिला प्रशासन के अधिकारी आंदोलनकारी छात्रों को उनके घर भेजने में सफल हो गए. छात्र आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुणाल प्रताप ने कहा कि आयोग हमारे द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को मानने से इंकार कर रहा है, ऐसे में हमारा संघर्ष जारी रहेगा. छात्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. आयोग ने आश्वासन दिया है कि जब तक विवाद खत्म नहीं हो जाता इस परीक्षा का परिणाम जारी नहीं किया जाएगा, ऐसे में अगर इन सबके बीच परिणाम जारी किया गया तो पूरे राज्य से छात्र यहां जुटेंगे और आयोग कार्यालय का घेराव करेंगे.

इधर, छात्रों का आंदोलन फिलहाल खत्म होने पर जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है. एसडीएम उत्कर्ष कुमार ने कहा कि छात्रों ने आयोग के समक्ष अपनी बातें रखी हैं और भविष्य में जरूरत पड़ी तो साक्ष्य पेश किए जा सकते हैं. मौके पर मौजूद ग्रामीण एसपी सुमित अग्रवाल ने कहा कि छात्रों का आंदोलन पूरे दिन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहा. इन लोगों ने आयोग के समक्ष अपनी बातें रखी हैं. इन्हें समझाकर घर भेजा जा रहा है.

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रांची: सीजीएल परीक्षा को लेकर विवाद शांत नहीं हो रहा है. जेएसएससी ने छात्रों द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों और तर्कों को मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद छात्र फिर से आंदोलन पर बैठ गए. हालांकि, प्रशासन के अधिकारियों के समझाने के बाद सोमवार की रात को छात्रों ने आंदोलन वापस ले लिया. हालांकि, छात्रों ने चेतावनी दी है कि जब तक यह विवाद खत्म नहीं होता, तब तक आयोग परीक्षा का रिजल्ट जारी न करें, नहीं तो और भी बड़ा आंदोलन होगा.

परीक्षा रद्द करने की मांग खारिज

बता दें कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग कार्यालय का घेराव करने राज्यभर से आए छात्र रात तक वहीं डेरा जमाए रहे. इससे पहले पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रश्नपत्र लीक से संबंधित साक्ष्य के साथ आयोग कार्यालय पहुंचा. राज्यपाल के निर्देश पर जेएसएससी सचिव के नेतृत्व में गठित जांच टीम के समक्ष छात्रों ने अपनी बातें रखीं. इस दौरान आयोग कार्यालय में सचिव सुधीर कुमार गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक अरविंद लाल ने अभ्यर्थियों को समझाने का भरसक प्रयास किया. छात्रों के साथ एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत चलती रही. अभ्यर्थियों के तर्कों से आयोग संतुष्ट नहीं हुआ और अंतत: छात्रों की परीक्षा रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया.

छात्रों और प्रशासनिक अधिकारियों का बयान (ईटीवी भारत)

गौरतलब है कि राजभवन सचिवालय से पत्र मिलने के बाद इस परीक्षा को लेकर जेएसएससी द्वारा सचिव सुधीर कुमार गुप्ता के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है. इस टीम में आयोग के सचिव के अलावा दो अन्य पदाधिकारी सदस्य हैं, जिसमें परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार लाल और संयुक्त सचिव मधुमिता कुमारी का नाम शामिल है. जांच कमेटी ने 06 छात्रों को नोटिस भेजकर 30 सितंबर को अपराह्न तीन बजे आयोग कार्यालय में बुलाया था, ताकि वे 26 सितंबर को छात्रों को सौंपे गए शिकायत पत्र का साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें.

आंदोलन लिया गया वापस

इस बीच, जेएसएससी से वार्ता विफल होने के बाद छात्रों का आंदोलन शाम में भी जारी रहा. लेकिन रात करीब साढ़े नौ बजे जिला प्रशासन के अधिकारी आंदोलनकारी छात्रों को उनके घर भेजने में सफल हो गए. छात्र आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुणाल प्रताप ने कहा कि आयोग हमारे द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को मानने से इंकार कर रहा है, ऐसे में हमारा संघर्ष जारी रहेगा. छात्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. आयोग ने आश्वासन दिया है कि जब तक विवाद खत्म नहीं हो जाता इस परीक्षा का परिणाम जारी नहीं किया जाएगा, ऐसे में अगर इन सबके बीच परिणाम जारी किया गया तो पूरे राज्य से छात्र यहां जुटेंगे और आयोग कार्यालय का घेराव करेंगे.

इधर, छात्रों का आंदोलन फिलहाल खत्म होने पर जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है. एसडीएम उत्कर्ष कुमार ने कहा कि छात्रों ने आयोग के समक्ष अपनी बातें रखी हैं और भविष्य में जरूरत पड़ी तो साक्ष्य पेश किए जा सकते हैं. मौके पर मौजूद ग्रामीण एसपी सुमित अग्रवाल ने कहा कि छात्रों का आंदोलन पूरे दिन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहा. इन लोगों ने आयोग के समक्ष अपनी बातें रखी हैं. इन्हें समझाकर घर भेजा जा रहा है.

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