रांचीः झारखंड सरकार राज्य के छात्र छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए पहले से संचालित आकांक्षा योजना का विस्तार कर रही है. हालांकि इस योजना में भी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की भागीदारी नहीं है, जिससे शिक्षकों में रोष है. उनकी मानें तो अपने योग्य टीचर्स का सरकार उपयोग नहीं कर रही, यह दुर्भाग्य है.
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पहले से संचालित आकांक्षा कोचिंग सेंटर में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करवाई जाती है. आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी विद्यार्थियों को इस कोचिंग सेंटर में निशुल्क आवासीय सुविधा के अलावा इंटर की भी तैयारी करवाई जाती है. इसके लिए बाहर से विशेषज्ञ शिक्षकों की बहाली की गयी है. विभिन्न कोचिंग संस्थानों में कार्यरत शिक्षक आकांक्षा कोचिंग सेंटर में भी इन विद्यार्थियों की तैयारी कराने में भूमिका निभाते हैं.
झारखंड सरकार ने आकांक्षा कार्यक्रम को विस्तारित करते हुए सरकारी विद्यालय के कक्षा 7वीं से लेकर 10वीं तक के छात्र-छात्राओं को एनटीएसई ओलंपियाड और कक्षा 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को क्लेट की विशेष कोचिंग कराने की तैयारी में है. जानकारी के मुताबिक इस योजना में भी रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित अंग्रेजी के अलावा अन्य विषय को पढ़ाने के लिए बाहर से विशेषज्ञ शिक्षकों की सेवा ली जाएगी. इस योजना में भी राज्य के योग्य सरकारी शिक्षकों की भागीदारी तय नहीं है ना ही ऐसे शिक्षकों की योजना के संबंध में विभाग की ओर से कोई चर्चा ही की गयी है.
उचित कदम उठा रही है राज्य सरकारः सरकार के इस कदम से शिक्षकों में रोष व्याप्त है. इनकी मानें तो ऐसे कोचिंग संस्थानों में राज्य के योग्य सरकारी शिक्षकों को भी जोड़ने की जरूरत थी, जिससे पठन-पाठन में गुणवत्ता आए. राज्य के सरकारी स्कूलों में सैकड़ों योग्य शिक्षक हैं जो ऐसे कोचिंग संस्थानों में भी अपनी सेवा देने के लिए इच्छुक हैं. लेकिन सरकार इस योजना के तहत बेवजह अपनी बजट बढ़ा रही है जबकि सरकारी स्कूलों के ऐसे कई शिक्षक हैं जो रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिकी, गणित, अंग्रेजी के अलावा अन्य विषयों को बेहतर तरीके से पढ़ाने के लिए सक्षम हैं.
शिक्षकों की सेवा ना लेना सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करती है. दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा उपनिदेशक अरविंद विजय बिलुंग ने कहा कि इस योजना का दायरा बढ़ाया जा रहा है. गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन के लिए जो उचित है उसी दिशा में विभाग कदम बढ़ा रही है. सरकारी स्कूलों से पढ़कर कई विद्यार्थी बड़े अफसर बने हैं. अभी-भी राज्य सरकार में कई आईपीएस, आईएस ऑफिसर अपनी सेवा दे रहे हैं. जो ऐसे ही सरकारी स्कूलों से पढ़कर निकले हैं और सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की अपेक्षा अगर सरकार खुद करेगी तो ऐसे में सरकारी स्कूलों की पठन-पाठन की व्यवस्था और तस्वीर कैसे बदलेगी.