रांचीः स्टाम्प पेपर एक ऐसा जरूरी दस्तावेज है जिसका उपयोग न केवल जमीन और मकान की खरीद-फरोख्त में होती है, बल्कि वाहन खरीदने, मकान किराये पर देने से लेकर सरकारी और निजी सेक्टर में कई कामों में इसकी जरूरत होती है. इसके अलावा हलफनामा बनवाने के लिए स्टाम्प पेपर का इस्तेमाल किया जाता है. नौकरी के लिए दी जाने वाली जरूरी जानकारी के लिए भी स्टाम्प ही जरिया है. क्योंकि स्टाम्प पेपर पर लिख कर दी गई जानकारी ही दस्तावेज के रूप में मान्य होती है और यह कानूनी दस्तावेज होने से इसकी विश्वसनीयता होती है.
स्टाम्प पेपर की जरूरत ने इसकी कालाबाजारी को बढ़ा दिया है. इसके कारण स्टाम्प पेपर विक्रेता अक्सर अधिक मूल्य पर इसे बेचते नजर आते थे. इससे ग्राहकों को अधिक मूल्य चुकाना पड़ता था. कभी-कभार ₹10 के स्टाम्प की कीमत 20 रुपये तक चुकाने पड़ते थे. इसकी शिकायतें मिलने पर राज्य सरकार ने स्टाम्प बिक्री व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया, ताकि स्टाम्प की कालाबाजारी को रोका जा सके.
सितंबर में लागू हुई नई व्यवस्था
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की वजह से साल 2020 में लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद था उस समय इस स्टाम्प पेपर की बिक्री कुछ महीने तक बंद थी लेकिन जब लॉकडाउन खत्म होने के बाद स्टाम्प पेपर की बिक्री भी शुरू कर दी गई. इधर झारखंड सरकार ने 5 सितंबर 2020 से स्टाम्प बिक्री क्षेत्र में नई व्यवस्था की शुरुआत की. अब ई-स्टाम्प बाजार में उपलब्ध है और तमाम लोगों का कहना है कि नई व्यवस्था से स्टाम्प पेपर की कालाबाजारी पर लगाम लग गई है. अब ई स्टाम्प पेपर ऑनलाइन तरीके से किसी भी कैफे या फिर कंप्यूटर या मोबाइल से निकाला जा सकता है.
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अधिवक्ताओं को भी सहूलियत
स्टाम्प की नई व्यवस्था को लेकर अधिवक्ताओं की भी परेशानी कम होती नजर आ रही है. रांची व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता सुनील प्रधान की मानें तो स्टाम्प पेपर को लेकर हम अधिवक्ताओं को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था क्योंकि स्टाम्प पेपर कि पहले जमकर कालाबाजारी होती थी लेकिन जब से ई स्टाम्प पेपर की व्यवस्था लागू हुई है तब से परेशानी कम हो गई है.
यहां पड़ती है स्टाम्प पेपर की जरूरत
न्यायिक स्टाम्प पेपर का उपयोग आमतौर पर कानूनी उद्देश्य या फिर अदालत के मामलों में किया जाता है. न्यायिक स्टाम्प पेपर को आम तौर पर अदालत शुल्क के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है. नगद लेनदेन से बचने के लिए अदालत में न्यायालय शुल्क के भुगतान के लिए न्यायिक स्टाम्प पेपर का उपयोग किया जाता है. कोई भी मामला अदालत शुल्क के भुगतान के बिना स्वीकृत नहीं किया जाता है.
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इस मूल्य के स्टाम्प पेपर मार्केट में उपलब्ध
गैर न्यायिक स्टाम्प पेपर का इस्तेमाल आमतौर पर कानूनी दस्तावेजों के लिए किया जाता है, जैसे पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल डीड, किराया इकरारनामा, एफिडेविट जमीन या मकान जैसे स्थिर संपत्ति का हस्तांतरण जैसे अन्य एकरारनामा के लिए किया जाता है. स्टाम्प पेपर ₹5 से ₹10 ₹20 ₹50 ₹100 ₹500 ₹1000 ₹5000 ₹10000 ₹15000 ₹20000 और ₹25000 की मूल्य वाले गैर न्यायिक स्टाम्प पेपर उपलब्ध हैं.
चुकाना पड़ता था अधिक मूल्य
वहीं उपभोक्ताओं की मानें तो स्टाम्प पेपर की नई व्यवस्था आने से बाजार में आसानी से स्टाम्प पेपर उपलब्ध है, नहीं तो पहले की व्यवस्था में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. 50 रुपये के स्टाम्प पेपर के एवज में 100 रुपये चुकाना पड़ता था लेकिन अब आसानी से यह स्टाम्प पेपर बाजार में उपलब्ध हो गया है और ऑनलाइन तरीके से आसानी से जितने मूल्य के स्टाम्प पेपर की आवश्यकता है उतना स्टाम्प पेपर मिल पाता है.
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स्टाम्प के लिए नहीं होना पड़ता परेशान
झारखंड नवीन दस्तावेज संघ दीपक साहू की मानें तो लॉक डाउन के बाद लगातार जमीन और मकान की खरीदी में लोगों का रुझान बढ़ा है लेकिन नई व्यवस्था के कारण आसानी से स्टाम्प मिल जा रहा है. जिससे किसी के प्रकार लोगों को परेशानी नहीं हो रही है. पहले जमीन की रजिस्ट्री कराने को लेकर स्टाम्प पेपर के लिए 4 दिन पहले से लाइन लगाना पड़ता था. लेकिन अब आसानी से किसी भी स्टाम्प वेंडर या फिर कंप्यूटर कैफे से ऑनलाइन इसे निकाल जा सकता है. इससे जमीन की रजिस्ट्री में काफी सहूलियत हुई है और सरकार को इसका सीधा राजस्व मिल पा रहा है.