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अपराधियों की कुंडली तैयार कर रहा 'नफीस', सिर्फ एक क्लिक में सामने आ जाएगा पूरा इतिहास! - FINGERPRINTS OF CRIMINALS

झारखंड पुलिस अपराधियों का रिकॉर्ड अब ऐसे तैयार कर रही है कि एक क्लिक में उसकी पूरी जानकारी मिल जाए. इससे अपराध में कमी आएगी.

FINGERPRINTS OF CRIMINALS
प्रतिकात्मक तस्वीर (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 16 hours ago

रांची: राजधानी रांची में गिरफ्तार होने वाले हर अपराधी के फिंगर प्रिंट को सेव करने का काम शुरू कर दिया गया है. फिंगर प्रिंट को नफीस (NAFIS) यानी नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम में फीड किया जा रहा है. नफीस की वजह से रांची में पकड़े गए अपराधी कब-कब जेल गए थे और किन किन जगहों से गए थे इसकी जानकारी पुलिस को एक क्लिक में मिल जा रही है.

सिटी एसपी का बयान (ईटीवी भारत)



फिंगरप्रिंट के जरिए पहचान

अपराधी जो जेल से बाहर निकल कर भी वारदातों को अंजाम देते हैं, उनकी पहचान नफीस यानी नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम
बेहद कारगर साबित हो रहा है. सिस्टम को बेहतर करने के लिए रांची में भी गिरफ्तार हर अपराधी का फिंगर प्रिंट नफीस ने में फीड किया जा रहा है. रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि एक जनवरी से राजधानी में गिरफ्तार होने वाले हर अपराधी का फिंगर प्रिंट सेव किया जा रहा है. सभी थानेदारों को इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिया गया है.

अलग-अलग कैटेगरी में डेटा हो रहा तैयार

रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि अलग अलग अपराध के तरीके में शामिल रहे अपराधियों को उनके कैटेगरी के हिसाब से डेटा तैयार किया जा रहा है. चोरी, डकैती, हत्या और रेप जैसे अपराधों में शामिल अपराधियो का अलग अलग डेटा बन रहा है.

क्या है नफीस

नफीस को नेशनल अपराध रिकार्ड ब्यूरो के द्वारा विकसित किया गया है. नफीस की मदद से अपराधियों को जल्द पकड़ने और आपराधिक मामलों को सुलझाने में पुलिस को मदद मिलती है. नफीस के द्वारा एकत्रित किए गए फिंगरप्रिंट डेटाबेस की मदद से अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलती है और कई मामलों को इसकी मदद से त्वरित सुलझाया भी गया है. नफीस की मदद से गिरफ्तार आरोपियों और दोषियों के फिंगरप्रिंट सेंट्रल सर्वर पर अपलोड किए जाते हैं. झारखंड सीआईडी के कार्यालय में नफीस का डेटाबेस तैयार किया जाता है. जिन जिलों में नफीस का सॉफ्टवेयर कार्यरत नहीं हैं, वहां गिरफ्तार अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स कागज में लेकर उन्हें रांची कार्यालय में आकर डिजिटली सेव किया जाता है. जिन अपराधियों के फिंगरप्रिंट नफीस में अपलोड होता है अगर वह देश के किसी भी हिस्सा में अपराध की घटना को अंजाम देते हैं तो पुलिस को यह जानकारी हो जाती है कि अमुक अपराधी के द्वारा घटना को अंजाम दिया गया है.

खुलासे में मदद

दरअसल, जब अपराधी वारदातों को अंजाम देते हैं और पुलिस के द्वारा जब पकड़े जाते हैं तब उनके फिंगरप्रिंट्स का मिलन नफीस सॉफ्टवेयर में करवाया जाता है. इसके बाद अपराधी की पूरी कुंडली ही खुलकर सामने आ जाती है. पकड़े गए अपराधी के द्वारा किन-किन राज्यों में कौन-कौन से अपराध किए गए हैं, इसकी जानकारी पुलिस को हो जाती है ऐसे में अगर पकड़ा गया अपराधी किसी अन्य राज्य में वांटेड है तो झारखंड पुलिस के द्वारा उसकी जानकारी उसे राज्य के पुलिस को दी जाती है.जिसके बाद दूसरे राज्य में घटित घटना का भी खुलासा हो जाता है.

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श्मशान में पार्टी के बाद डकैत देते थे कांड को अंजाम, ट्रेन पर सवार होकर लौह नगरी से पहुंचते थे गिरिडीह

रांची: राजधानी रांची में गिरफ्तार होने वाले हर अपराधी के फिंगर प्रिंट को सेव करने का काम शुरू कर दिया गया है. फिंगर प्रिंट को नफीस (NAFIS) यानी नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम में फीड किया जा रहा है. नफीस की वजह से रांची में पकड़े गए अपराधी कब-कब जेल गए थे और किन किन जगहों से गए थे इसकी जानकारी पुलिस को एक क्लिक में मिल जा रही है.

सिटी एसपी का बयान (ईटीवी भारत)



फिंगरप्रिंट के जरिए पहचान

अपराधी जो जेल से बाहर निकल कर भी वारदातों को अंजाम देते हैं, उनकी पहचान नफीस यानी नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम
बेहद कारगर साबित हो रहा है. सिस्टम को बेहतर करने के लिए रांची में भी गिरफ्तार हर अपराधी का फिंगर प्रिंट नफीस ने में फीड किया जा रहा है. रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि एक जनवरी से राजधानी में गिरफ्तार होने वाले हर अपराधी का फिंगर प्रिंट सेव किया जा रहा है. सभी थानेदारों को इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिया गया है.

अलग-अलग कैटेगरी में डेटा हो रहा तैयार

रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि अलग अलग अपराध के तरीके में शामिल रहे अपराधियों को उनके कैटेगरी के हिसाब से डेटा तैयार किया जा रहा है. चोरी, डकैती, हत्या और रेप जैसे अपराधों में शामिल अपराधियो का अलग अलग डेटा बन रहा है.

क्या है नफीस

नफीस को नेशनल अपराध रिकार्ड ब्यूरो के द्वारा विकसित किया गया है. नफीस की मदद से अपराधियों को जल्द पकड़ने और आपराधिक मामलों को सुलझाने में पुलिस को मदद मिलती है. नफीस के द्वारा एकत्रित किए गए फिंगरप्रिंट डेटाबेस की मदद से अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलती है और कई मामलों को इसकी मदद से त्वरित सुलझाया भी गया है. नफीस की मदद से गिरफ्तार आरोपियों और दोषियों के फिंगरप्रिंट सेंट्रल सर्वर पर अपलोड किए जाते हैं. झारखंड सीआईडी के कार्यालय में नफीस का डेटाबेस तैयार किया जाता है. जिन जिलों में नफीस का सॉफ्टवेयर कार्यरत नहीं हैं, वहां गिरफ्तार अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स कागज में लेकर उन्हें रांची कार्यालय में आकर डिजिटली सेव किया जाता है. जिन अपराधियों के फिंगरप्रिंट नफीस में अपलोड होता है अगर वह देश के किसी भी हिस्सा में अपराध की घटना को अंजाम देते हैं तो पुलिस को यह जानकारी हो जाती है कि अमुक अपराधी के द्वारा घटना को अंजाम दिया गया है.

खुलासे में मदद

दरअसल, जब अपराधी वारदातों को अंजाम देते हैं और पुलिस के द्वारा जब पकड़े जाते हैं तब उनके फिंगरप्रिंट्स का मिलन नफीस सॉफ्टवेयर में करवाया जाता है. इसके बाद अपराधी की पूरी कुंडली ही खुलकर सामने आ जाती है. पकड़े गए अपराधी के द्वारा किन-किन राज्यों में कौन-कौन से अपराध किए गए हैं, इसकी जानकारी पुलिस को हो जाती है ऐसे में अगर पकड़ा गया अपराधी किसी अन्य राज्य में वांटेड है तो झारखंड पुलिस के द्वारा उसकी जानकारी उसे राज्य के पुलिस को दी जाती है.जिसके बाद दूसरे राज्य में घटित घटना का भी खुलासा हो जाता है.

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