हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के सामने नॉन टीचिंग कर्मचारियों का आमरण अनशन शुरू हो गया. आमतौर पर प्रशासनिक भवन के सामने छात्रों का आंदोलन देखने को मिलता था. लेकिन अब दोनों विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के कर्मी ही आंदोलन पर है. कर्मचारियों के आंदोलन के कारण विश्वविद्यालय का काम भी प्रभावित हुआ है. सबसे अधिक परेशानी छात्रों को झेलना पड़ रहा है. जो दूर दराज से पढ़ाई के लिए पहुंचे थे, उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है.
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने झारखंड राज्य विश्वविद्यालय महाविद्यालय के नॉन टीचिंग कर्मचारी महासंघ के बैनर तले अनिश्चित कालीन आमरण अनशन शुरू हो गया. विश्वविद्यालय के कर्मचारी अपने मूलभूत मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. जिस स्थान पर आमतौर पर छात्र आंदोलन करते हुए देखे जाते थे. ठीक उसी स्थान पर अब कर्मचारियों का आंदोलन चल रहा है. दरअसल, मामला यह है कि विश्वविद्यालय एसीपी एमएसीपी जोड़कर कर्मियों को वेतन भुगतान करती थी. लेकिन वैसे कर्मचारी जिनका प्रमोशन नहीं हुआ है उनके वेतन में भी बढ़ोतरी कर दी जाती थी.
कुलपति के आदेश के बाद दिसंबर महीने से वेतन भुगतान में एसीपी और एमएसीपी काटकर दिया जाएगा. इस बात से नाराज होकर कर्मचारी धरने पर हैं. कर्मचारियों ने मांग की है कि कुलपति अपने आदेश को निरस्त करें. साथ ही पहले की भांति उन्हें वेतन भुगतान किया जाए. इसके अलावा पंचम, छठा एवं सप्तम वेतनमान निर्धारण करने की भी मांग की गई है. कर्मचारी संघ का कहना है कि सेवानिवृत कर्मी को अनुबंध पर बहाल नहीं किया जाए.
कर्मचारियों का कहना है कि कुलपति के आदेश से प्रतिमाह 10 से 15 हजार रुपए का नुकसान कर्मियों को होगा. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने मिथिलेश सिंह की अगुवाई में शिष्टमंडल को आंदोलनरत कर्मियों से वार्ता करने के लिए भेजा, लेकिन वार्ता सफल नहीं हुई. आंदोलनरत कर्मी इस बात को लेकर सहमत हुए कि उनके ओर से पांच लोगों का एक समूह कुलपति से मुलाकात कर पूरी बातों को रखेगा.
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