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झारखंड के 22 जिलों में खुलेंगे E-FIR थाना, सीएम ने दी मंजूरी - ई एफआईआर थाना खोलने का सीएम हेमंत ने मंजूरी दी

झारखंड में आम लोगों को थाने गए बगैर एफआईआर कराने के संबंध में तैयार प्रस्ताव को सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मंजूरी मिल गई है. इसके लिए ई-एफआईआर थानों का गठन किया गया है. ई-एफआईआर थानों के सृजन का आधार आम नागरिकों को बिना थाना गए पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा.

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सीएम की बैठक
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Published : Aug 24, 2020, 8:18 PM IST

रांची: झारखंड में कोविड -19 के कारण कई थाने में काम बाधित हुआ है. आम लोगों को थाने गए बगैर एफआईआर कराने के संबंध में तैयार प्रस्ताव को सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मंजूरी मिल गई है. राज्य के खूंटी और रामगढ़ जिले को छोड़ सभी 22 जिलों में आम लोग अब ई-एफआईआर करा सकते हैं. इसके लिए ई-एफआईआर थानों का गठन किया गया है. ई-एफआईआर थानों के सृजन का आधार आम नागरिकों को बिना थाना गए पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा. इस प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा.



बिना थाना गए करवा पाएंगे एफआईआर
ई-एफआईआर थानों के सृजन का आधार आम नागरिकों को बिना थाना गए पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराने से है. ई- एफआईआर के क्रियान्वित होने से आम नागरिकों को वाहन चोरी, विभिन्न प्रकार की संपत्ति चोरी, सेंधमारी, महिला और नाबालिगों से संबंधित अपराध, नाबालिगों की गुमशुदगी से संबंधित कांड जिसमें अभियुक्त अज्ञात हो, ऐसे मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा से अनावश्यक कठिनाई से निजात मिलेगी. ई-एफआईआर की सुविधा से नागरिकों और पुलिस दोनों के बहुमूल्य समय और संसाधनों की बचत होगी.

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ई-एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया
जिस व्यक्ति को किसी कांड में ई-एफआईआर दर्ज कराना है, उन्हें समाधान पोर्टल पर लॉग इन कर अपना आवेदन ई-साइन या डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से देना होगा, तभी आवेदन स्वीकार किया जाएगा. आम नागरिकों के समाधान पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से वाहन चोरी, अन्य विविध संपत्ति की चोरी, सेंधमारी और नाबालिगों की गुमशुदगी जिसमें अभियुक्त अज्ञात हो से संबंधित प्राप्त शिकायतों के आधार पर थाना प्रभारी ई-एफआईआर संबंधित धाराओं के तहत कांड दर्ज कर जिस स्थानीय थाना कार्य क्षेत्र में घटना हुई है उसके पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान के लिए नामित करेंगे. इसके अलावा पुलिस महानिदेशक अथवा पुलिस महानिरीक्षक स्तर से समीक्षोपरांत प्रतीत हो तो उपरोक्त अंकित प्रकृति के कांडों के अलावा अन्य विविध कांडों जिनकी प्रकृति ई-एफआईआर मानकों के तहत हो, उन्हें अपने स्तर से ई-एफआईआर के तहत सूचीबद्ध करने के लिए अलग से आदेश जारी कर सकते हैं.

प्राथमिकी की प्रति वादी को प्रेषित किया जाएगा
ई-एफआईआर को लेकर थाना प्रभारी खुद डिजिटली सिग्नेचर प्राथमिकी की प्रति वादी के साथ सभी संबंधित अधिष्ठानों जैसे- जिस थाना क्षेत्र में घटना हुई हो उसके थाना प्रभारी, उस थाना के पर्यवेक्षण पदाधिकारी, संबंधित कोर्ट, बीमा कंपनी ( अप्लीकेबल होने पर), सभी पीसीआर, पुलिस अधीक्षक, एससीआरबी और एनसीआरबी को इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिट या ई-मेल के माध्यम से भेजा करेंगे.

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इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल में होगा अनुसंधान, केस डायरी की प्रविष्टि भी इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में
अनुसंधानकर्ता के ओर से कांड का अनुसंधान कार्य पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल में किया जाएगा. अनुसंधान के क्रम में की गई कार्रवाई और केस डायरी की प्रविष्टि भी इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में होगी, साथ ही जिन कांडों में प्राथमिकी दर्ज होने से 30 दिनों के अंदर उद्भेदन नहीं हो पाए तो संबंधित अनुसंधानकर्ता ई-एफआईआर थाना प्रभारी के माध्यम से उस अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में समर्पित करेंगे.

इन परिस्थितियों में ई-एफआईआर की नहीं होगी सुविधा
ई-एफआईआऱ के तहत उल्लेखित अपराध की घटना संबंधित जिले या झारखंड राज्य की सीमा के बाहर घटित होने, अभियुक्त का संदिग्ध ज्ञात हो और यदि अपराध की घटना में कोई जख्मी हुआ हो तो इन परिस्थितियों में ई-एफआईआर की सुविधा निषेध होगी. इस व्यवस्था के परिचालन से वर्तमान में ई-एफआईआर थानों के अतिरिक्त अन्य थानों में प्राथमिकी दर्ज करने और कांडों की प्राथमिकी दर्ज करने के साथ-साथ कांडों के अनुसंधान की प्रक्रिया किसी प्रकार से प्रभावित नहीं होगी.

रांची: झारखंड में कोविड -19 के कारण कई थाने में काम बाधित हुआ है. आम लोगों को थाने गए बगैर एफआईआर कराने के संबंध में तैयार प्रस्ताव को सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मंजूरी मिल गई है. राज्य के खूंटी और रामगढ़ जिले को छोड़ सभी 22 जिलों में आम लोग अब ई-एफआईआर करा सकते हैं. इसके लिए ई-एफआईआर थानों का गठन किया गया है. ई-एफआईआर थानों के सृजन का आधार आम नागरिकों को बिना थाना गए पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा. इस प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा.



बिना थाना गए करवा पाएंगे एफआईआर
ई-एफआईआर थानों के सृजन का आधार आम नागरिकों को बिना थाना गए पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराने से है. ई- एफआईआर के क्रियान्वित होने से आम नागरिकों को वाहन चोरी, विभिन्न प्रकार की संपत्ति चोरी, सेंधमारी, महिला और नाबालिगों से संबंधित अपराध, नाबालिगों की गुमशुदगी से संबंधित कांड जिसमें अभियुक्त अज्ञात हो, ऐसे मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा से अनावश्यक कठिनाई से निजात मिलेगी. ई-एफआईआर की सुविधा से नागरिकों और पुलिस दोनों के बहुमूल्य समय और संसाधनों की बचत होगी.

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ई-एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया
जिस व्यक्ति को किसी कांड में ई-एफआईआर दर्ज कराना है, उन्हें समाधान पोर्टल पर लॉग इन कर अपना आवेदन ई-साइन या डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से देना होगा, तभी आवेदन स्वीकार किया जाएगा. आम नागरिकों के समाधान पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से वाहन चोरी, अन्य विविध संपत्ति की चोरी, सेंधमारी और नाबालिगों की गुमशुदगी जिसमें अभियुक्त अज्ञात हो से संबंधित प्राप्त शिकायतों के आधार पर थाना प्रभारी ई-एफआईआर संबंधित धाराओं के तहत कांड दर्ज कर जिस स्थानीय थाना कार्य क्षेत्र में घटना हुई है उसके पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान के लिए नामित करेंगे. इसके अलावा पुलिस महानिदेशक अथवा पुलिस महानिरीक्षक स्तर से समीक्षोपरांत प्रतीत हो तो उपरोक्त अंकित प्रकृति के कांडों के अलावा अन्य विविध कांडों जिनकी प्रकृति ई-एफआईआर मानकों के तहत हो, उन्हें अपने स्तर से ई-एफआईआर के तहत सूचीबद्ध करने के लिए अलग से आदेश जारी कर सकते हैं.

प्राथमिकी की प्रति वादी को प्रेषित किया जाएगा
ई-एफआईआर को लेकर थाना प्रभारी खुद डिजिटली सिग्नेचर प्राथमिकी की प्रति वादी के साथ सभी संबंधित अधिष्ठानों जैसे- जिस थाना क्षेत्र में घटना हुई हो उसके थाना प्रभारी, उस थाना के पर्यवेक्षण पदाधिकारी, संबंधित कोर्ट, बीमा कंपनी ( अप्लीकेबल होने पर), सभी पीसीआर, पुलिस अधीक्षक, एससीआरबी और एनसीआरबी को इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिट या ई-मेल के माध्यम से भेजा करेंगे.

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इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल में होगा अनुसंधान, केस डायरी की प्रविष्टि भी इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में
अनुसंधानकर्ता के ओर से कांड का अनुसंधान कार्य पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल में किया जाएगा. अनुसंधान के क्रम में की गई कार्रवाई और केस डायरी की प्रविष्टि भी इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में होगी, साथ ही जिन कांडों में प्राथमिकी दर्ज होने से 30 दिनों के अंदर उद्भेदन नहीं हो पाए तो संबंधित अनुसंधानकर्ता ई-एफआईआर थाना प्रभारी के माध्यम से उस अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में समर्पित करेंगे.

इन परिस्थितियों में ई-एफआईआर की नहीं होगी सुविधा
ई-एफआईआऱ के तहत उल्लेखित अपराध की घटना संबंधित जिले या झारखंड राज्य की सीमा के बाहर घटित होने, अभियुक्त का संदिग्ध ज्ञात हो और यदि अपराध की घटना में कोई जख्मी हुआ हो तो इन परिस्थितियों में ई-एफआईआर की सुविधा निषेध होगी. इस व्यवस्था के परिचालन से वर्तमान में ई-एफआईआर थानों के अतिरिक्त अन्य थानों में प्राथमिकी दर्ज करने और कांडों की प्राथमिकी दर्ज करने के साथ-साथ कांडों के अनुसंधान की प्रक्रिया किसी प्रकार से प्रभावित नहीं होगी.

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