रांची: पूरे विश्व में साल 2000 से अप्रैल महीने के अंतिम शनिवार को विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाया जाता है. इसकी खास वजह पशु चिकित्सकों को बढ़ावा देना है. साल 2019 में इसका मुख्य थीम 'पशुओं का टीकाकरण और मूल्यवर्धन' था. जबकि 2020 के लिए मुख्य थीम 'पशु और मानव स्वास्थ्य में सुधार के लिए पर्यावरण संरक्षण' रखा गया था. कोरोना संक्रमण को लेकर इस साल इसे नहीं मनाया जा रहा है.
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पशु रोग उपचार में कमी से देश को नुकसान
मामले में डॉ सुशील प्रसाद बताते हैं कि पशु रोग उपचार में कमी से देश को हर साल 1.5 लाख करोड़ का नुकसान और 30% पशु उत्पादों में कमी देखी गई है. प्रदेश में गाय, भैंस, बकरी, सूअर और मुर्गी का व्यापक स्तर पर पालन किया जाता है. यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पशुपालन सर्वाधिक उपयुक्त पशु नस्ल के विकास का योगदान है. एनिमल क्लीनिक कंपलेक्स में हर साल हजारों पशुओं के बीमारी का निशुल्क इलाज होता है. प्रदेश में पशुधन और कुक्कुट के उत्पादों की भारी मांग की संभावना है.
पशुपालकों को जागरूक करने की जरूरत
डीन का कहना है कि ग्रामीण स्तर पर बेहतर पशु चिकित्सा सेवा और पशु उत्पादों को बढ़ावा देकर पशुपालकों को जागरूक करने की जरूरत है, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस साल वेटनरी कॉलेज में पशुपालन दिवस नहीं मनाया जा रहा है.