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प्राचीन भोलेनाथ मंदिर की है अलग विशेषता, सोन घाट से जल लाकर श्रद्धालु कर रहे हैं पूजा-अर्चना

प्राचीन भोलेनाथ के मंदिर में जलाभिषेक करने कांवरिया पहुंच रहे हैं. 14 किलोमीटर दूर सोन नदी घाट से जल लेकर बोल बम, बोल बम जयघोष कहते हुए कांवरियों की भीड़ उमड़ी.

कतार मे खड़े कांवरियां
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Published : Jul 29, 2019, 1:30 PM IST

पलामू: सोमवार को प्राचीन भोलेनाथ मंदिर में कांवरिया बड़ी संख्या में महादेव को जलाभिषेक करने पहुंचे.14 किलोमीटर दूर सोन नदी से जल लेकर बोल बम, बोल बम जयघोष कहते हुए बरेवा भोलेनाथ मंदिर जलाभिषेक के लिये पहुंच रहे हैं. सावन की सोमवारी के मौके पर बड़ी संख्या में कांवरिया बरेवा स्थित भोलेनाथ मंदिर पहुंचते हैं.

देखें पूरी खबर

मंदिर की है प्राचीन विशेषता
मंदिर की काफी प्राचीन होने के कारण इसकी विशेषता है कि यहां शिवलिंग कहीं से लेकर स्थापित नहीं किया गया है. जिस स्थान पर मंदिर है उस जगह शिवलिंग भूमि से प्रकट हुआ था. लोगों का मानना है कि जो लोग श्रद्धा के साथ यहां मन्नत मांगते हैं, वो जरुर पूरी होती है.

पलामू: सोमवार को प्राचीन भोलेनाथ मंदिर में कांवरिया बड़ी संख्या में महादेव को जलाभिषेक करने पहुंचे.14 किलोमीटर दूर सोन नदी से जल लेकर बोल बम, बोल बम जयघोष कहते हुए बरेवा भोलेनाथ मंदिर जलाभिषेक के लिये पहुंच रहे हैं. सावन की सोमवारी के मौके पर बड़ी संख्या में कांवरिया बरेवा स्थित भोलेनाथ मंदिर पहुंचते हैं.

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मंदिर की है प्राचीन विशेषता
मंदिर की काफी प्राचीन होने के कारण इसकी विशेषता है कि यहां शिवलिंग कहीं से लेकर स्थापित नहीं किया गया है. जिस स्थान पर मंदिर है उस जगह शिवलिंग भूमि से प्रकट हुआ था. लोगों का मानना है कि जो लोग श्रद्धा के साथ यहां मन्नत मांगते हैं, वो जरुर पूरी होती है.

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Body:बोल बम के नारा बा इहे एक सहारा बा के उद्घोष से गुंजायमान हुआ इलाका

सोन नदी से जल उठाकर प्राचीन भोलेनाथ के मंदिर में जलाभिषेक करने पहुचे कांवरिया

पलामू: ज़िला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर हुसैनाबाद अनुमंडल अंतर्गत प्राचीन भोलेनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में कांवरिया 14 किलो मीटर दूर काबरा कला सोन नदी घाट जल उठाने पंहुचे। उन्होंने जल उठाकर बोल बम, बोल बम के नारा है, इहे एक सहारा है आदि जयघोष के साथ प्राचीन भोलेनाथ मंदिर बरेवा जलाभिषेक के लिये पहुच रहे है। सावन की सोमवारी के मौके पर बड़ी संख्या में कावरिया बरेवा स्थित भोलेनाथ मंदिर पहुचते है। किउदंतियो के अनुसार ये मंदिर काफी प्राचीन होने के साथ सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ शिवलिंग कहीं से लेकर स्थापित नहीं किया गया है। जिस स्थान पर मंदिर है उसी स्थान पर शिवलिंग भूमि से प्रकट हुआ था। लोगो का मानना है कि जो लोग श्रद्धा के साथ यहाँ मन्नत मांगते है, वो पूरी होती है। यही वजह है कि दिन प्रतिदिन लोगों की आस्था इस प्राचीन भोलेनाथ मंदिर के प्रति बढ़ रही है। कावरियों की सुरक्षा व अन्य व्यवस्था स्थानीय मंदिर कमेटी ने किया है। वहीं कावर लेकर 14 किलो मीटर का सफर पैदल तय करने के रास्ते मे सामाजिक संस्थाओ ने शरबत पानी की व्यवस्था की।


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